कोरोना से होने वाली डायबटीज के इलाज में कारगर है आयुर्वेद, जानें कौन सी दवा है इसके लिए रामबाण

कोरोना संक्रमण के बाद डायबटीज की चपेट में आए मरीजों के इलाज में आयुर्वेदिक दवा कारगर साबित हो रही है। अलग-अलग अध्ययनों से यह बात साबित हुई है। दरअसल कोरोना के मरीजों के डाटा के विश्लेषण से पता चला है कि उनमें से 13.4 फीसद डायबटीज के शिकार है।

By Ramesh MishraEdited By: Publish:Sun, 20 Jun 2021 08:45 PM (IST) Updated:Sun, 20 Jun 2021 10:12 PM (IST)
कोरोना से होने वाली डायबटीज के इलाज में कारगर है आयुर्वेद, जानें कौन सी दवा है इसके लिए रामबाण
कोरोना से होने वाली डायबटीज के इलाज में कारगर है आयुर्वेद। फाइल फोटो।

नई दिल्ली, नीलू रंजन। कोरोना संक्रमण के बाद डायबटीज की चपेट में आए मरीजों के इलाज में आयुर्वेदिक दवा कारगर साबित हो रही है। अलग-अलग अध्ययनों से यह बात साबित हुई है। दरअसल कोरोना के मरीजों के डाटा के विश्लेषण से पता चला है कि उनमें से 13.4 फीसद डायबटीज के शिकार है। साइंस जनरल एलसेवियर में हाल ही में छपे एम्स के डाक्टरों के अध्ययन के मुताबिक ऐसे मरीज जिन्हें पहले डायबटीज नहीं थी और कोरोना संक्रमण के बाद डायबटीज हुई, उनमें भी सिवियर ग्लेसेमिया पाया गया। एलसेवियर में छपे अध्ययन के मुताबिक कोरोना के मरीजों को होने वाले हाइपरग्लेसेमिया के इलाज के विभिन्न तरीकों का उल्लेख किया गया है। उनमें सबसे सुरक्षित और प्रभावी डीपीपी-4 इन्हिबिटर को पाया गया।

डायबटीज की दवा बीजीआर-34 में दारुहरिद्रा का विशेष रूप से इस्तेमाल

डीपीपी-4 इन्हिबिटर में पाए जाने वाले सीटाग्लिप्टिन, लिनाग्लिप्टिन तथा विन्डाग्लिप्टिन खून में सुगर के स्तर को कम करने में मददगार साबित होते हैं।जरनल ऑफ ड्रग रिसर्च में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार डीपीपी-4 इन्हिबिटर का प्राकृतिक स्त्रोत दारुहरिद्रा नाम का औषधीय पौधा है। काउंसिल आफ साइंटिफिक एंड इंड्रस्टि्रयल रिसर्च (सीएसआइआर) की लखनऊ की प्रयोगशाला नेशनल बोटैनिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (एनबीआरआइ) के वैज्ञानिक डा. एकेएस रावत के अनुसार उनके यहां विकसित की गई डायबटीज की दवा बीजीआर-34 में दारुहरिद्रा का विशेष रूप से इस्तेमाल किया गया है।

दारुहरिद्रा के अलावा दो और तत्व हाइपरग्लेसेमिया को करते हैं नियंत्रित

उन्होंने कहा कि एनबीआरआइ के वैज्ञानिकों ने दारुहरिद्रा के डायबटीज को ठीक करने के गुणों के बारे में विस्तृत शोध किया है। डा. रावत के अनुसार बीजीआर-34 में दारुहरिद्रा के अलावा दो और तत्व मौजूद हैं जो हाइपरग्लेसेमिया को नियंत्रित करते हैं। इनमें एक है गुड़मार के औषधीय पौधे से मिलने वाला जिमनेमिक एसिड और मेथी में पाया जाने वाला रसायन ट्रिगोनोसाइड आइबी। केम रेक्सीव जनरल में हाल में प्रकाशित एक शोध में कहा गया है कि जिमनेमिक एसिड डायबटीज के रोगियों में हाइपरग्लेसेमिया को रोकने में मदद करता है। इसी प्रकार मेथी में पाया जाने वाला रसायन ट्रिगोनोसाइड आइबी भी हाइपरग्लेसेमिया के खिलाफ कारगर है। इस बारे में भी विस्तृत शोध एनवायरमेंटल चैलेंजेज जनरल में प्रकाशित हुआ है।

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