कोरोना संक्रमण के बाद डायबटीज की चपेट में आए मरीजों के इलाज में कारगर है आयुर्वेद

कोरोना संक्रमण के बाद डायबटीज की चपेट में आए मरीजों के इलाज में आयुर्वेदिक दवा कारगर साबित हो रही है। अलग-अलग अध्ययनों से यह बात साबित हुई है। ऐसे मरीज जिन्हें पहले डायबटीज नहीं थी और कोरोना संक्रमण के बाद डायबटीज हुई उनमें भी सिवियर ग्लेसेमिया पाया गया।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Sun, 20 Jun 2021 09:40 PM (IST) Updated:Sun, 20 Jun 2021 09:40 PM (IST)
कोरोना संक्रमण के बाद डायबटीज की चपेट में आए मरीजों के इलाज में कारगर है आयुर्वेद
अध्ययन में आयुर्वेदिक फार्मूले के सर्वाधिक असरदार और सुरक्षित होने की पुष्टि

नीलू रंजन, नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण के बाद डायबटीज की चपेट में आए मरीजों के इलाज में आयुर्वेदिक दवा कारगर साबित हो रही है। अलग-अलग अध्ययनों से यह बात साबित हुई है। दरअसल कोरोना के मरीजों के डाटा के विश्लेषण से पता चला है कि उनमें से 13.4 फीसद डायबटीज के शिकार है। साइंस जनरल एलसेवियर में हाल ही में छपे एम्स के डाॅक्टरों के अध्ययन के मुताबिक ऐसे मरीज जिन्हें पहले डायबटीज नहीं थी और कोरोना संक्रमण के बाद डायबटीज हुई, उनमें भी सिवियर ग्लेसेमिया पाया गया।

अध्ययन में आयुर्वेदिक फार्मूले के सर्वाधिक असरदार और सुरक्षित होने की पुष्टि

एलसेवियर में छपे अध्ययन के मुताबिक कोरोना के मरीजों को होने वाले हाइपरग्लेसेमिया के इलाज के विभिन्न तरीकों का उल्लेख किया गया है। उनमें सबसे सुरक्षित और प्रभावी डीपीपी-4 इन्हिबिटर को पाया गया। डीपीपी-4 इन्हिबिटर में पाए जाने वाले सीटाग्लिप्टिन, लिनाग्लिप्टिन तथा विन्डाग्लिप्टिन खून में सुगर के स्तर को कम करने में मददगार साबित होते हैं। जरनल ऑफ ड्रग रिसर्च में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार डीपीपी-4 इन्हिबिटर का प्राकृतिक श्रोत दारहरिद्रा नाम का औषधीय पौधा है।

एनबीआरआइ ने विकसित की है डायबटीज की आयुर्वेदिक दवा

काउंसिल आफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआइआर) की लखनऊ की प्रयोगशाला नेशनल बोटैनिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (एनबीआरआइ) के वैज्ञानिक डाॅ. एकेएस रावत के अनुसार उनके यहां विकसित की गई डायबटीज की दवा बीजीआर-34 में दारहरिद्रा का विशेष रूप से इस्तेमाल किया गया है। उन्होंने कहा कि एनबीआरआइ के वैज्ञानिकों ने दारहरिद्रा के डायबटीज को ठीक करने के गुणों के बारे में विस्तृत शोध किया है। डा. रावत के अनुसार बीजीआर-34 में दारहरिद्रा के अलावा दो और तत्व मौजूद हैं जो हाइपरग्लेसेमिया को नियंत्रित करते हैं। इनमें एक है गुड़मार के औषधीय पौधे से मिलने वाला जिमनेमिक एसिड और मेथी में पाया जाने वाला रसायन ट्रिगोनोसाइड आइबी।

जिमनेमिक एसिड डायबटीज के रोगियों में हाइपरग्लेसेमिया को रोकने में मददगार

केम रेक्सीव जनरल में हाल में प्रकाशित एक शोध में कहा गया है कि जिमनेमिक एसिड डायबटीज के रोगियों में हाइपरग्लेसेमिया को रोकने में मदद करता है। इसी प्रकार मेथी में पाया जाने वाला रसायन ट्रिगोनोसाइड आइबी भी हाइपरग्लेसेमिया के खिलाफ कारगर है। इस बारे में भी विस्तृत शोध एनवायरमेंटल चैलेंजेज जनरल में प्रकाशित हुआ है।

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