असम में 'विदेशी' बुजुर्ग का शव लेने से परिवार का इन्कार, भारतीय घोषित करने की मांग

असम के दरांग जिला निवासी दुलाल चंद्र पॉल (65) को अक्टूबर 2017 में एक फॉरेन ट्रिब्यूनल ने एकतरफा विदेशी घोषित कर दिया था।

By Sanjeev TiwariEdited By: Publish:Wed, 16 Oct 2019 07:44 AM (IST) Updated:Wed, 16 Oct 2019 07:46 AM (IST)
असम में 'विदेशी' बुजुर्ग का शव लेने से परिवार का इन्कार, भारतीय घोषित करने की मांग
असम में 'विदेशी' बुजुर्ग का शव लेने से परिवार का इन्कार, भारतीय घोषित करने की मांग

गुवाहाटी, आइएएनएस। असम में 'विदेशी' घोषित किए गए एक बुजुर्ग के शव को लेने से उनके परिजन ने इन्कार कर दिया। उनका कहना है कि जब तक सरकार बुजुर्ग को भारतीय घोषित नहीं करती, तब तक वे उनका शव नहीं लेंगे।

असम के दरांग जिला निवासी दुलाल चंद्र पॉल (65) को अक्टूबर 2017 में एक फॉरेन ट्रिब्यूनल ने एकतरफा विदेशी घोषित कर दिया था। इसके बाद उन्हें तेजपुर स्थित हिरासत गृह में भेज दिया गया था। गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज में उपचार के दौरान रविवार को उनकी मौत हो गई।

पॉल के बेटे आशीष ने कहा, 'हम किसी विदेशी का शव कैसे ले सकते हैं। हमारे पिता को ट्रिब्यूनल ने भारतीय प्रमाणित किए जाने के सभी दस्तावेजों के रहते विदेशी घोषित कर दिया था। अगर ट्रिब्यूनल का आदेश सही है तो मरने के बाद वह भारतीय कैसे हो सकते हैं?' उन्होंने कहा कि हमने असम सरकार से अपने पिता को भारतीय घोषित किए जाने का आग्रह किया है। हम उनके शव को तभी लेंगे जब उन्हें भारतीय घोषित कर दिया जाएगा।

आशीष ने पिता की मौत के लिए अधिकारियों की लापरवाही को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि हमें 27 सितंबर को पिता की बीमारी के बारे में सूचना दी गई। हमें बताया गया कि उन्हें गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज की आइसीयू में भर्ती किया गया है। 29 सितंबर को जब हम वहां पहुंचे तो उन्हें अस्पताल के बरामदा में लेटा पाया। डॉक्टरों ने बताया कि कई दिनों से खाना नहीं खाने के कारण उनकी तबीयत खराब हो गई थी।

मृतक के एक बेटे ने बताया कि अगर उनके पिता बांग्लादेशी थे, तो उन्हें शव को बांग्लादेश भेजना चाहिए था।परिवार के मुताबिक, उन्हें मानसिक रूप से अस्थिर होने के बावजूद साल 2017 में विदेशी घोषित किया गया था। पाल डायबटीज और गुर्दे की बीमारी से भी पीड़ित थे। उन्हें अक्टूबर 2017 से डिटेंशन सेंटर में रखा गया था। उन्हें इस साल 28 सितंबर को अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

उल्लेखनीय है कि असम में 31 अगस्त को राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का अंतिम प्रकाशन किया गया था। इसके बाद प्रदेश के करीब 19 लाख लोग एनआरसी से बाहर हो गए थे।

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