आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस बदल देगी नौकरियों की दशा-दिशा, आखिर कितने तैयार हैं आप
लिंक्डइन पर सबसे तेजी से बढ़ने वाले कौशल में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस शामिल है। 2015 से 2017 के बीच इस स्किल में 190 फीसद वृद्धि हुई है।
नई दिल्ली (जागरण स्पेशल)। आने वाले समय में नौकरियों क्या हाल होगा इसको लेकर दुनियाभर के विशेषज्ञ और शोधकर्ता रिपोर्ट जारी करते रहते हैं। किसी रिपोर्ट में बताया जाता है कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और ऑटोमेशन के चलते लाखों लोगों की नौकरियां जाएंगी। कोई रिपोर्ट कहती है कि रोजगार के नए अवसर खुलेंगे। अब वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम ने कयासों को दरकिनार करते हुए तथ्यों पर आधारित एक रिपोर्ट तैयार की है। द फ्यूचर ऑफ जॉब्स 2018 नामक यह रिपोर्ट तकनीक के क्षेत्र में आ रहे बदलावों को देखते हुए चौथी औद्योगिक क्रांति में नौकरियों की बदलती रूप-रेखा का आकलन पेश कर रही है।
तीन बढ़ते ट्रेंड
लिंक्डइन पर सबसे तेजी से बढ़ने वाले कौशल में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस शामिल है। 2015 से 2017 के बीच इस स्किल में 190 फीसद वृद्धि हुई है। एआइ स्किल्स का मतलब उन स्किल्स से है जो आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस तकनीक के निर्माण में जरूरी होती हैं। जिन उद्योगों में एआइ स्किल्स का अधिक प्रयोग होता है, उनमें तेजी से बदलाव हो रहा है। अगर हम बदलाव को नवोन्मेष मानें, तो इससे जाहिर होता है कि एआइ स्किल्स की मौजूदगी और उद्योग में बढ़ते नवोन्मेष में बड़ा संबंध है। इससे यह भी साफ होता है आने वाले समय में कई उद्योग अपनी एआइ काबिलियत बढ़ाने के लिए भारी निवेश करने को तैयार होंगे।
झूठी हैं अवधारणाएं
आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस को लेकर जो दो धारणाएं मौजूद हैं, उनमें से कोई भी सही नहीं है। अनुमान लगाए जाते हैं कि 2025 तक मशीनों द्वारा किया गया काम 29 फीसद से बढ़कर 50 फीसद हो जाएगा, लेकिन इसके साथ ही रोजगार के नए क्षेत्र भी खुलेंगे जिनमें अधिक लोगों को नौकरी मिलेगी। हालांकि अभी यह साफ नहीं है कि किस प्रकार की नौकरियों के अवसर खुलेंगे, ये नौकरियां कितनी स्थायी होंगी और उनके लिए किस प्रकार के प्रशिक्षण की जरूरत पड़ेगी।
बेरोजगारी की समस्या
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) जैसी तकनीक के विकास से दुनियाभर में यह डर पैदा हुआ है कि कहीं मानवों के रोजगार पर पर रोबोट का कब्जा ना हो जाए। कई लोगों ने इस तकनीक के विकास से बेरोजगारी की समस्या भयावह होने की आशंका भी जताई है। हालांकि संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के विशेषज्ञ एकहार्ड अन्र्स्ट इससे सहमत नहीं हैं। उनका मानना है कि एआइ के आने से रोजगार का स्वरूप बदलेगा, लेकिन बड़े पैमाने पर बेरोजगारी की स्थिति नहीं पैदा होगी। अर्नस्ट का मानना है कि अपनी रचनात्मक क्षमताओं के चलते मनुष्य इन सब मशीनों से ऊपर रहेगा मेन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में और विशेषरूप से विकसित देशों में एआइ से बहुत ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा। इनसे कंस्ट्रक्शन, हेल्थकेयर और बिजनेस जैसे सेवा क्षेत्रों पर असर पड़ेगा।
काम के स्वरूप में बदलाव
अर्नस्ट ने कहा, 'मामला नौकरी के अवसर खत्म होने से ज्यादा काम के स्वरूप में बदलाव का है। इन क्षेत्रों के कर्मचारियों के सामने नए तरह के काम आएंगे, जिनमें उनकी मदद के लिए कंप्यूटर और रोबोट होंगे।' एआइ एल्गोरिदम की वजह से ऐसे काम आसानी से हो सकेंगे, जो एक ही ढर्रे पर लगातार होते हैं और जिनमें बहुत समय लग जाता है। मनुष्य पारस्परिक संबंधों, सामाजिक कार्यो और भावनात्मक गुणों को निखारने पर काम कर सकेंगे। विकासशील देशों में इसका सबसे बड़ा फायदा कृषि क्षेत्र को होगा। एआइ पहले से ही मौसम की जानकारी से लेकर बाजार भाव बताने तक के विभिन्न मामलों में किसानों की सहायता कर रहा है।
डिजिटल टेक्नोलॉजी
सब-सहारा अफ्रीका में यूएन फूड एंड एग्रीकल्चरल ऑर्गनाइजेशन की मदद से एक एप बनाया गया है जो फसलों के कीड़ों की पहचान कर लेता है। अन्र्स्ट ने कहा, 'वर्तमान समय में जरूरत है कि लोगों को डिजिटल टेक्नोलॉजी की जानकारी दी जाए, ताकि वे मशीनों के साथ आसानी से काम कर सकें। लोग इन मशीनों का उसी तरह इस्तेमाल करने में सक्षम बनें, जैसे वो अपनी कार या कुल्हाड़ी का करते हैं।' यूबीएस ने अनुमान जताया है कि अगले पांच साल सालाना 40 लाख की औसत से रोजगार सृजन होगा। पिछले पांच साल में यह औसत सालाना 20 लाख रोजगार का रहा है। सर्वे में यह भी कहा गया है कि ऑटोमेशन की नई तकनीकों से रोजगार पर अभी कोई नकारात्मक असर पड़ता नहीं दिख रहा है।