बांधों के सुधार व रखरखाव कार्यक्रम को मिली मंजूरी, 19 राज्यों के 736 बांध किए गए चयनित

केंद्रीय मंत्री शेखावत ने बताया कि बांधों की संख्या में चीन और अमेरिका के बाद भारत तीसरे नंबर पर है। यहां फिलहाल 5334 बांध हैं जबकि 411 बांध निर्माणाधीन हैं। इनमें 80 फीसद बांध 25 साल और उससे ज्यादा पुराने हैं।

By Dhyanendra SinghEdited By: Publish:Thu, 29 Oct 2020 08:22 PM (IST) Updated:Thu, 29 Oct 2020 08:22 PM (IST)
बांधों के सुधार व रखरखाव कार्यक्रम को मिली मंजूरी, 19 राज्यों के 736 बांध किए गए चयनित
देश में सौ साल पुराने बांध भी मौजूद हैं और 80 फीसद बांध 25 साल पुराने बांध हैं

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। देश में बांधों के सुधार और रखरखाव कार्यक्रम के दूसरे व तीसरे चरण को सरकार ने बुधवार को मंजूरी दे दी। इसमें 19 राज्यों के 736 बांधों को चयनित किया गया है, जिनमें सुधार को अगले 10 वर्षो में पूरा कर लिया जाएगा। इस सिलसिले में केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय के प्रस्ताव पर गुरुवार को कैबिनेट की मुहर लग गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया। इसे पूरा करने में 10 हजार करोड़ रुपये से अधिक की लागत आएगी।

इस बारे में लिए गए फैसलों की जानकारी देने पहुंचे केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र शेखावत ने बताया कि इस कार्यक्रम की लागत का 86 फीसद हिस्सा बांधों के सुधार व रखरखाव पर व्यय किया जाएगा। इस कार्यक्रम पर आने वाली लागत का 80 फीसद हिस्सा विश्व बैंक और एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक से प्राप्त होगा।

411 बांध निर्माणाधीन हैं

शेखावत ने बताया कि बांधों की संख्या में चीन और अमेरिका के बाद भारत तीसरे नंबर पर है। यहां फिलहाल 5,334 बांध हैं, जबकि 411 बांध निर्माणाधीन हैं। इनमें 80 फीसद बांध 25 साल और उससे ज्यादा पुराने हैं। जिन वैज्ञानिक पद्धतियों का इस्तेमाल उनके रख रखाव में चाहिए उसकी कैपेसिटी बिल्डिंग की जरूरत महसूस की जाती रही है। बांध बाढ़ नियंत्रण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। देश में 100 साल पुराने बांध भी चल रहे हैं, लेकिन उनकी हालत बहुत संतोषजनक नहीं है। ऐसे बांधों की सुरक्षा को लेकर सरकार की चिंताएं हैं, जिसके लिए यह कार्यक्रम उपयोगी साबित हो सकता है।

बांधों से सिंचाई, बिजली उत्पादन और पेयजल आपूर्ति तो की ही जाती है। इसके अलावा बाढ़ नियंत्रण में भी इनकी अहम भूमिका होती है। बांधों की सुरक्षा में चूक होने से जानमाल की भारी क्षति हो सकती है। पुराने पड़ चुके बांधों में जोखिम भी कम नहीं है। कैबिनेट की बैठक में इस बात पर भी विचार किया गया कि इन बांधों के जलाशयों से जल आधारित पर्यटन और मछली पालन जैसे उद्यम से राजस्व प्राप्त किया जा सकता है।

chat bot
आपका साथी