एनसीडीआरसी सदस्य के तीन खाली पदों के लिए आवेदन किए गए आमंत्रित

उपभोक्ता मामले खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के तहत आने वाले विभाग ने कहा है कि उसने एनसीडीआरसी में रिक्त सदस्यों के तीन पदों को भरने के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं। आयोग का मुख्यालय नई दिल्ली में है।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Publish:Thu, 28 Oct 2021 10:27 PM (IST) Updated:Thu, 28 Oct 2021 10:49 PM (IST)
एनसीडीआरसी सदस्य के तीन खाली पदों के लिए आवेदन किए गए आमंत्रित
समिति चुने गए उम्मीदवारों को व्यक्तिगत संवाद के लिए भी आमंत्रित करेगी

नई दिल्ली, प्रेट्र। उपभोक्ता मामलों के विभाग ने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निपटारा आयोग (एनसीडीआरसी) में सदस्य के तीन रिक्त पदों को भरने के लिए आवेदन पत्र आमंत्रित किए हैं। विभाग ने आनलाइन आवेदन पत्र सौंपने के लिए कहा है। उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के तहत आने वाले विभाग ने कहा है कि उसने एनसीडीआरसी में रिक्त सदस्यों के तीन पदों को भरने के लिए आवेदन आमंत्रित किए हैं। उपभोक्ता सुरक्षा अधिनियम 2019 के तहत स्थापित एनसीडीआरसी एक अपीलीय प्राधिकरण है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत यह विभिन्न अपीलों की सुनवाई करता है। आयोग का मुख्यालय नई दिल्ली में है।

एक आवेदक की नियुक्ति की पात्रता, वेतन और अन्य नियम व शर्तें ट्रिब्यूनल सुधार अधिनियम और ट्रिब्यूनल (सेवा शर्तें) नियम, 2021 के प्रविधान के तहत लागू होंगे। ट्रिब्यूनल सुधार अधिनियम 2021 के तहत गठित खोज-सह-अनुभाग समिति आवेदकों की योग्यता और अनुभव के आधार पर आवेदन की जांच करेगी और उसके बाद सिफारिश करेगी।

समिति चुने गए उम्मीदवारों को व्यक्तिगत संवाद के लिए भी आमंत्रित करेगी। समिति पात्रता, अनुभव और व्यक्तिगत संवाद के आधार पर आवेदकों का मूल्यांकन करेगी और फिर उनका चयन किया जाएगा।

निर्धारित आवेदन पत्र, ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स एक्ट, 2021 और ट्रिब्यूनल (सेवा की शर्तें) नियम, 2021 भी मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध हैं। आवेदन पत्र जमा करने की अंतिम तिथि 30 नवंबर है।

एनसीडीआरसी के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

वहीं, दूसरी ओर पिछले दिनों एक मामले में सुप्रीम कोर्ट बीमा कंपनी की उस अपील पर सुनवाई करने के लिए राजी हो गया है जिसमें उसने राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) के एक आदेश को चुनौती दी है। एनसीडीआरसी ने उसे एक महिला को 13.48 लाख रुपये देने का निर्देश दिया था जिसके पति ने आत्महत्या कर ली थी। रिलायंस लाइफ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड ने दावे को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि यह बीमा नीति के दायरे से बाहर है।

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