ब्लड कैंसर की दवा तैयार करने में मदद करेंगे अंटार्कटिका में मिले खास कवक

वैज्ञानिकों को कुछ विशिष्ट अंटार्कटिका कवक प्रजातियां मिली हैं, जिसमें शुद्ध एल-एस्पेरेजिनेज नामक एंजाइम पाया गया है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Thu, 21 Feb 2019 11:38 AM (IST) Updated:Thu, 21 Feb 2019 11:38 AM (IST)
ब्लड कैंसर की दवा तैयार करने में मदद करेंगे अंटार्कटिका में मिले खास कवक
ब्लड कैंसर की दवा तैयार करने में मदद करेंगे अंटार्कटिका में मिले खास कवक

वास्को-द-गामा (गोवा), आइएसडब्ल्यू। भारतीय वैज्ञानिकों ने अंटार्कटिका में ऐसी कवक प्रजातियों को तलाशने में सफलता हासिल की है, जिनसे ब्लड कैंसर का उपचार की उम्मीद जगी है। दरअसल, इन खास कवक प्रजातियों से ब्लड कैंसर के इलाज में उपयोग होने वाले एंजाइम का उत्पादन किया जा सकता है। इससे इस बीमारी के उपचार के लिए बेहतर दवाएं तैयार की जा सकती हैं। वैज्ञानिकों को कुछ विशिष्ट अंटार्कटिका कवक प्रजातियां मिली हैं, जिसमें शुद्ध एल-एस्पेरेजिनेज नामक एंजाइम पाया गया है। इस एंजाइम का उपयोग एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया (एएलएल) नामक ब्लड कैंसर के उपचार की एंजाइम-आधारित कीमोथेरेपी में किया जाता है।

मौजूदा कीमोथेरेपी के लिए प्रयुक्त एलएस्पेरेजिनेज का उत्पादन साधारण जीवाणुओं जैसे एश्चेरीचिया कोलाई और इरवीनिया क्राइसेंथेमी से किया जाता है, लेकिन इन जीवाणुओं से उत्पादित एल-एस्पेरेजिनेज के साथ ग्लूटामिनेज और यूरिएज नामक दो अन्य एंजाइम भी जुड़े रहते हैं। इन दोनों एंजाइमों के कारण मरीजों को प्रतिकूल दुष्प्रभाव झेलने पड़ते हैं।

शोध से जुड़े एनसीपीओआर, गोवा के वैज्ञानिक डॉ. अनूप तिवारी ने बताया कि एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया की मौजूदा कीमोथेरेपी में दूसरे जीवाणुओं से निकाले गए एल-एस्पेरेजिनेज को व्यापक रूप से शुद्ध करना पड़ता है। ऐसा करने पर उपचार की लागत बढ़ जाती है। खोजे गए अंटार्कटिका कवक का प्रयोग करने पर सीधे शुद्ध एल-एस्पेरेजिनेज मिल सकेगा, जिससे सस्ते उपचार के साथ- साथ ग्लूटामिनेज और यूरिएज के कारण होने वाले गंभीर दुष्प्रभावों को रोका जा सकता है।

एल-एस्पेरेजिनेज एंजाइम ब्लड कैंसर के इलाज करने के लिए सबसे ज्यादा इस्तेमाल की जाने वाली कीमोथेरेपी दवाओं में से एक है। यह कैंसर कोशिकाओं में पाए जाने वाले प्रोटीन के संश्लेषण के लिए आवश्यक एस्पेरेजिन नामक अमीनो अम्ल की आपूर्ति को कम करता है। इस प्रकार यह एंजाइम कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि और प्रसार को रोकता है।

इन परिस्थितियों में रहने में सक्षम

खोजी गई अंटार्कटिका कवक प्रजातियां अत्यंत ठंडे वातावरण में वृद्धि करने में सक्षम सूक्ष्मजीवों के अंतर्गत आती हैं। ये कवक प्रजातियां शून्य से 10 डिग्री नीचे से लेकर 10 डिग्री सेंटीग्रेट के न्यूनतम तापमान पर वृद्धि और प्रजनन कर सकती हैं। इस तरह के सूक्ष्मजीवों में एक विशेष तरह के एंटी-फ्रीज एंजाइम पाए जाते हैं, जिनके कारण ये अंटार्कटिका जैसे अत्यधिक ठंडे ध्रुवीय वातावरण में भी जीवित रह पाते हैं। इन एंजाइमों की इसी क्षमता का उपयोग कैंसर जैसी बीमारियों के लिए प्रभावशाली दवाएं तैयार करने के लिए किया जा सकता है। यह शोध साइंटिफिक रिपोट्र्स में प्रकाशित किया गया है।

यहां से लिए थे कवक के 55 नमूने

राष्ट्रीय ध्रुवीय एवं समुद्री अनुसंधान केंद्र (एनसीपीओआर), गोवा और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी), हैदराबाद के वैज्ञानिकों ने अंटार्कटिका के श्रीमाचेर पर्वत की मिट्टी और काई से कवक प्रजातियों के 55 नमूने अलग किए थे। इनमें शामिल 30 नमूनों में शुद्ध एल-एस्पेरेजिनेज पाया गया है। इस तरह की एंजाइमिक गतिविधि ट्राइकोस्पोरोन असाहि आइबीबीएलए-1 नामक कवक में सबसे ज्यादा देखी गई है।

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