आंध्र प्रदेश सरकार ने स्नातक करने के लिए अंग्रेजी को किया अनिवार्य, बताया कारण

आंध्र प्रदेश सरकार ने शैक्षणिक वर्ष 2021-22 से राज्य के सभी सरकारी निजी सहायता प्राप्त और गैर-सहायता प्राप्त डिग्री कॉलेजों में अंग्रेजी माध्यम अनिवार्य करने का फैसला लिया है। यह जानकारी मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी के कार्यालय ने दी है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Tue, 15 Jun 2021 07:10 PM (IST) Updated:Tue, 15 Jun 2021 07:29 PM (IST)
आंध्र प्रदेश सरकार ने स्नातक करने के लिए अंग्रेजी को किया अनिवार्य, बताया कारण
आंध्र प्रदेश सरकार ने वर्ष 2021-22 से सभी डिग्री कॉलेजों में 'अंग्रेजी माध्यम' अनिवार्य करने का फैसला लिया है।

अमरावती, एएनआइ। आंध्र प्रदेश में स्नातक करने के लिए अंग्रजी को अनिवार्य कर दिया गया है। आंध्र प्रदेश सरकार ने शैक्षणिक वर्ष 2021-22 से राज्य के सभी सरकारी, निजी सहायता प्राप्त और गैर-सहायता प्राप्त डिग्री कॉलेजों में 'अंग्रेजी माध्यम' अनिवार्य करने का फैसला लिया है। यह जानकारी मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी के कार्यालय ने दी है। छात्रों में रोजगार की संभावनाएं के लिए ऐसा किया गया है।

Andhra Pradesh Govt has decided to make ‘english medium’ compulsory across all government, private aided & unaided degree colleges in the state from the academic year 2021-22: Chief Minister's Office— ANI (@ANI) June 15, 2021

करियर की संभावनाएं बढ़ेंगी

आंध्र प्रदेश स्टेट काउंसिल ऑफ हायर एजुकेशन (APSCHE) ने कहा है कि डिग्री कॉलेजों को शैक्षणिक वर्ष 2021-22 से केवल अंग्रेजी माध्यम में पाठ्यक्रम प्रदान करना चाहिए। राज्य सरकार ने सभी सरकारी, निजी सहायता प्राप्त और गैर सहायता प्राप्त डिग्री कॉलेजों में अंग्रेजी माध्यम को अनिवार्य करने का निर्णय लिया है। शिक्षा मंत्री ऑडिमुलपु सुरेश के अनुसार स्नातक स्तर पर अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा शुरू करने से स्नातकों के करियर की संभावनाएं बढ़ेंगी।

राज्य का आंकड़ा

राज्य सरकार ने बताया कि तेलुगु माध्यम के 65,981 छात्रों में से 24,007, 16,925 और 24,960 ने क्रमशः बीए, बी कॉम और बीएससी में इनरोल किया है। अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा इन छात्रों को बेहद लाभ देने वाली है। आंध्र प्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग के अनुसार, राज्य भर के डिग्री कॉलेजों में प्रवेश लेने वाले 2.62 लाख से अधिक छात्रों में से केवल 65,981 छात्रों को 2020-21 के दौरान तेलुगु माध्यम की पृष्ठभूमि में प्रवेश दिया गया है।

बताया कारण

अंग्रेजी को शिक्षा की भाषा बनाने का फैसले से इन छात्रों को भी बहुत लाभ होगा। इसके अलावा तथ्य यह है कि अधिकांश कंपनियों ने बहुभाषी उम्मीदवारों को प्राथमिकता देना शुरू कर दिया है और अंग्रेजी पर जोर दिया है। ऐसे में यह आवश्यक है कि छात्र अंग्रेजी माध्यम में स्नातक (यूजी) की डिग्री हासिल करें। अन्य कारण जो शिक्षा विभाग ने अंग्रेजी माध्यम को अनिवार्य बनाने से पहले माना था, वे हैं यूपीएससी, एपीपीएससी, एसएससी, बीएसआरबी के माध्यम से आयोजित सार्वजनिक क्षेत्र की भर्ती प्रक्रिया भी भाषा दक्षता का परीक्षण करती है। चूंकि यूजी पाठ्यक्रम का चौथा वर्ष अनुसंधान उन्मुख है, इसलिए यदि यूजी का तेलुगु माध्यम में अध्ययन किया जाता है, तो पीएचडी में गुणवत्तापूर्ण कार्य करना मुश्किल होगा।

डिग्री कॉलेजों में पेश किया गया कौशल प्रोग्राम 

उच्च शिक्षा विभाग ने व्यक्तित्व विकास और नेतृत्व और मानवीय मूल्यों और व्यावसायिक नैतिकता जैसे कौशल पाठ्यक्रम भी शुरू किए हैं। प्रत्येक छात्र को अनिवार्य रूप से पहले दो सेमेस्टर में कम से कम एक कौशल पाठ्यक्रम और तीसरे में दो का चयन करना चाहिए। बयान में आगे कहा गया है कि डिग्री कॉलेजों में पाठ्यक्रम को 2020-21 से 10 महीने के लिए अनिवार्य इंटर्नशिप के साथ पूरी तरह से संशोधित किया गया है। संशोधित पाठ्यक्रम के 30 फीसद में कुशलता उन्मुख कार्यक्रम शामिल हैं। विभाग 1, 2 और 3 के स्तर पर स्पोकन इंग्लिश पाठ्यक्रम भी विकसित कर रहा है।

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