भारतीय वायुसेना अड्डों के सुरक्षा कवच को मजबूत करेंगे बुलेटप्रूफ वाहन, आतंकी हमला होने की स्थिति में संभालेंगे मोर्चा

यह किसी आतंकी हमले का भी मुकाबला करने में सक्षम होंगे। यह छह गरुड़ कमांडो या क्विक रिएक्शन टीम के सदस्यों को एक साथ ले जा सकेंगे। वायुसेना के सर्वोच्च कमांडरों के सुरक्षा चुनौतियों की समीक्षा करने के बाद इन वाहनों को मंजूरी मिली है

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Publish:Tue, 13 Apr 2021 03:29 PM (IST) Updated:Tue, 13 Apr 2021 10:43 PM (IST)
भारतीय वायुसेना अड्डों के सुरक्षा कवच को मजबूत करेंगे बुलेटप्रूफ वाहन, आतंकी हमला होने की स्थिति में संभालेंगे मोर्चा
क्विक रिएक्शन टीम के सदस्यों को ले जा सकते हैं ये वाहन।

नई दिल्ली, एएनआइ  भारतीय वायुसेना ने अपने सभी एयरबेस की सुरक्षा को चाकचौबंद करने के लिए सुरक्षा दस्ते में विशेष बुलेटप्रूफ वाहन शामिल किए हैं। ये वाहन पठानकोट एयरबेस पर हुए आतंकी हमले जैसी स्थिति में गोलियों और हथगोलों की मार का सामना करने में सक्षम होंगे। भारतीय वायु सेना के अधिकारियों ने बताया कि इन वाहनों को लाइट बुलेट प्रूफ व्हेकिल (एलबीपीवी) कहा जाता है। इनका इस्तेमाल एयरबेस पर किसी आतंकी हमले के दौरान किया जाएगा।

छह टन के इस वाहन को इस तरह से डिजाइन और विकसित किया गया है कि इसका इंजन आगे और पीछे दोनों तरफ से छिपा रहता है। इंजन को आसानी से निशाना नहीं बनाया जा सकता।

अधिकारियों ने कहा कि वाहन को 6 मिमी मोटी बख्तरबंद सुरक्षा दी गई है। इसकी विंडशील्ड 40 मिमी मोटी है जो जो एके-47 और स्नाइपर राइफल की गोलियों का सामना कर सकती है।

चारो तरफ निशाना साधकर गोलियां बरसा सकता है गनर

इस गाड़ी में चौतरफा सुरक्षित कैनोपी है जिससे गनर चारो तरफ निशाना साधकर गोलियां बरसा सकता है। इसे 100 से 120 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलाया जा सकता है। टायर पंचर होने की स्थिति में भी इसे चलाया जा सकता है।

इस वाहन के बंद हिस्से में पूरी तरह सुसज्जित छह गरुड़ कमांडो या क्विक रिएक्शन टीम (क्यूआरटी) के सदस्य बैठ सकते हैं। वाहन के पीछे खुले स्थान में और अधिक सुरक्षा जवान सवार हो सकते हैं।

उल्लेखनीय है 2015-16 को नए साल की पूर्व संध्या पर चार आतंकियों ने पठानकोट एयरबेस पर घुसपैठ कर लड़ाकू विमानों और हेलीकॉप्टर सहित अन्य संपत्तियों पर हमला करने की कोशिश की थी। जवाबी कार्रवाई में आतंकियों को ढेर कर दिया गया था। इस घटना से वायु सेना की तैयारी में कुछ कमियों की बात सामने आई थी। उसके बाद वायु सेना ने न केवल अपने जवानों को विशेष रूप से प्रशिक्षित किया बल्कि साजोसामान जुटाने में भी पूरी गंभीरता बरत रही है।

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