चाबहार की राह में अमेरिकी अड़चन खत्म, दी हरी झंडी, टू प्लस टू वार्ता में स्पष्ट हुई बात

अमेरिका ने भारत को परियोजना को आगे बढ़ाने को हरी झंडी दिखा दी है। परियोजना से जुड़ी कंपनियों को किसी तरह के प्रतिबंध का सामना नहीं करना पड़ेगा। भारत चाबहार पोर्ट से जुड़ी परियोजनाओं को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए फिर से ईरान के संपर्क में है।

By Vinay TiwariEdited By: Publish:Sat, 31 Oct 2020 07:14 PM (IST) Updated:Sat, 31 Oct 2020 07:14 PM (IST)
चाबहार की राह में अमेरिकी अड़चन खत्म, दी हरी झंडी, टू प्लस टू वार्ता में स्पष्ट हुई बात
टू प्लस टू वार्ता ने चाबहार पोर्ट को विकसित करने की अड़चनों को दूर कर दिया। (फाइल फोटो)

जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। पिछले मंगलवार को भारत और अमेरिका के बीच हुई टू प्लस टू वार्ता ने चाबहार पोर्ट को विकसित करने की राह की अड़चनों को दूर कर दिया है। ईरान स्थित चाबहार पोर्ट के विकास की भारतीय प्लानिंग अमेरिका की तरफ से ईरान पर लगाये गये प्रतिबंधों से ठप्प पड़ गये थे।

अब अमेरिका ने भारत को परियोजना को आगे बढ़ाने को हरी झंडी दिखा दी है। परियोजना से जुड़ी कंपनियों को किसी तरह के प्रतिबंध का सामना नहीं करना पड़ेगा। भारत चाबहार पोर्ट से जुड़ी परियोजनाओं को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए फिर से ईरान के संपर्क में है। उम्मीद है कि दोनो देशों के बीच इस संदर्भ में जल्द ही विमर्श की शुरुआत होगी।

विदेश मंत्रालय की तरफ से संकेत दिया गया है कि अमेरिका के रुख में बदलाव के पीछे अफगानिस्तान को विकास करने की भारतीय मदद की भूमिका अहम रही है। ईरान पर भारत व अमेरिका के बीच हुई बातचीत पर दैनिक जागरण के सवाल का जवाब देते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्ताव ने बताया कि, ''भारत अफगानिस्तान के लिए मल्टीमॉडल इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार कर रहा है। अमेरिका इस बात की प्रशंसा करता है कि भारत वहां दीर्घकालिक डेवलपमेंट परियोजनाओं के तहत काम कर रहा है।''

विदेश मंत्रालय प्रवक्ता ने सीधे तौर पर नाम नहीं लिया लेकिन उन्होंने जिस मल्टीमॉडल इंफ्रास्ट्रक्चर की बात की है वह चाबहार से ही जुड़ा हुआ है। भारत चाबहार पोर्ट से अफगानिस्तान की सीमा जारंज शहर तक रेल मार्ग और उसके बाद देलाराम शहर तक सड़क मार्ग से जोड़ने की मंशा रखता है। अमेरिका की अगुवाई में लगे अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों से इस परियोजना पर असमंजसता छा गई थी।

यह भी उल्लेखनीय है कि भारत व अमेरिका के विदेश व रक्षा मंत्रियों की इस अहम बैठक के अगले दिन ही विदेश मंत्री एस जयशंकर की केंद्रीय एशियाई देशों (कजाखस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्केमिनिस्तान, उज्बेकिस्तान व किर्गिस्तान) के विदेश मंत्रियों से बात हुई थी। इसमें भारत ने इन देशों को चाबहार पोर्ट से जोड़ने की योजना के बारे में बताया था। बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में भी बताया गया कि चाबहार पोर्ट केंद्रीय एशिया के मार्केट से जोड़ने का एक महत्वपूर्ण लिंक बनेगा। सूत्रों के मुताबिक अमेरिका से हरी झंडी मिलने की संभावना को देखते हुए ही सितंबर के पहले पखवाड़े में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री जयशंकर ने तेहरान की यात्रा की थी।

सनद रहे कि भारत व ईरान के द्विपक्षीय रिश्तों में अभी सिर्फ चाबहार का ही लिंक बचा हुआ है। वर्ष 2019 तक भारत ईरान का दूसरा सबसे बड़ा तेल खरीददार देश होता था लेकिन अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों की वजह से अब भारत ने उससे तेल लेना बंद कर दिया है। इसका असर दोनो देशों के रिश्तों पर भी पड़ा है। ईरान की तरफ से कई बार कश्मीर के मुद्दे पर चुभने वाले बयान दिये गये हैं। जबकि जुलाई, 2020 में ईरानी मीडिया ने यह खबर दी थी कि चाबहार पोर्ट से भारत को बाहर करने की तैयारी है। ऐसे में अब भारत ईरान से अपने रिश्ते को फिर से पटरी पर ला सकता है।

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