Positive India: अल्जाइमर के उपचार के लिए भारतीय वैज्ञानिकों ने बनाई कारगर दवा!

वर्तमान में उपलब्ध उपचार सिर्फ अस्थायी राहत उपलब्ध कराता है और इसकी ऐसी कोई स्वीकृत दवा नहीं है जो सीधे अल्जाइमर्स बीमारी के रोग तंत्र के उपचार में काम आती हो। इस प्रकार अल्जाइमर्स बीमारी को रोकने या उपचार के लिए एक दवा का विकास बेहद जरूरी है।

By Vineet SharanEdited By: Publish:Wed, 03 Mar 2021 08:30 AM (IST) Updated:Wed, 03 Mar 2021 08:31 AM (IST)
Positive India: अल्जाइमर के उपचार के लिए भारतीय वैज्ञानिकों ने बनाई कारगर दवा!
अल्जाइमर से प्रभावित चूहों का टीजीआर 63 से उपचार किया गया तो एमिलॉयड जमाव में खासा कमी देखने को मिली।

नई दिल्ली, अनुराग मिश्र। भारतीय वैज्ञानिकों ने एक छोटा अणु विकसित किया है, जो उस प्रक्रिया को बाधित कर सकता है, जिसके माध्यम से अल्जाइमर्स बीमारी (एडी) में न्यूरॉन निष्क्रिय हो जाते हैं। यह अणु दुनियाभर में डिमेंशिया (70-80 फीसदी) की प्रमुख वजह को रोकने या उसके उपचार में काम आने वाली संभावित दवा का आधार बन सकता है। वर्तमान में उपलब्ध उपचार सिर्फ अस्थायी राहत उपलब्ध कराता है, और इसकी ऐसी कोई स्वीकृत दवा नहीं है, जो सीधे अल्जाइमर्स बीमारी के रोग तंत्र के उपचार में काम आती हो। इस प्रकार, अल्जाइमर्स बीमारी को रोकने या उपचार के लिए एक दवा का विकास बेहद जरूरी है।

अल्जाइमर्स से पीड़ित व्यक्ति के मस्तिष्क में प्राकृतिक रूप से बनने वाले प्रोटीन के पिंड असामान्य स्तर तक जमा होकर फलक तैयार करते हैं, जो न्यूरॉन्स के बीच जमा हो जाता है और कोशिका के कार्य को बाधित करता है। ऐसा ऐमिलॉयड पेप्टाइड (एबीटा) के निर्माण और जमा होने का कारण होता है, जो केन्द्रीय तंत्रिका प्रणाली में एकत्र हो जाता है। बहुआयामी एमिलॉयड विषाक्तता के चलते अल्जाइमर बीमारी (एडी) की बहुक्रियाशील प्रकृति ने शोधकर्ताओं को इसके प्रभावी उपचार के विकास से रोका हुआ है।

कैसे कारगर है यह अणु

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार के एक स्वायत्त संस्थान जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च (जेएनसीएएसआर) में प्रोफेसर टी. गोविंदराजू की अगुआई में वैज्ञानिकों के एक दल ने एक नए छोटे अणुओं के समूह को तैयार और संश्लेषित किया है तथा एक प्रमुख कारक के रूप में पहचान की है, जो एमिलॉयड बीटा (एबीटा) की विषाक्तता कम कर सकता है।

विस्तृत अध्ययनों ने टीजीआर63 नाम के अणु न्यूरोनल कोशिकाओं को एमिलॉयड विषाक्तता से बचाने का एक प्रमुख कारक सिद्ध किया है। आश्चर्यजनक रूप से इस अणु को कोर्टेक्स और हिप्पोकैम्पस, या टेम्पोरल लोब में गहराई में मौजूद जटिल हिस्से पर एमीलॉयड के बोझ को घटाने और संज्ञानता में कमी की स्थिति पलटने में भी कारगर पाया गया था। यह शोध हाल में एडवांस्ड थेरेप्युटिक्स में प्रकाशित हुआ है।

ऐसा हुआ असर

अल्जाइमर की बीमारी से प्रभावित चूहों के मस्तिष्क का जब टीजीआर 63 से उपचार किया गया तो एमिलॉयड जमाव में खासा कमी देखने को मिली, जिससे इससे उपचार संबंधी प्रभाव की पुष्टि हुई है। अलग व्यवहार से जुड़े परीक्षण में चूहों में सीखने का अभाव, स्मृति हानि और अनुभूति घटने की स्थिति में कमी आने का पता चला है। इन प्रमुख विशेषताओं से एडी के उपचार के लिए एक भरोसेमंद दवा के उम्मीदवार के रूप में टीजीआर63 की क्षमताएं प्रमाणित हुई हैं। जेएनसीएएसआर के दल द्वारा विकसित एक नई दवा के कारक टीजीआर63 में एडी के उपचार के लिए एक भरोसेमंद दवा बनने की संभावनाएं हैं। 

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