कृषि मंत्री ने कहा- कानून रद करने के अलावा विकल्प बताएं किसान संगठन, 10वें दौर की वार्ता 19 को

कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा कि कृषि सुधार के कानूनों के अमल पर शीर्ष अदालत की रोक के बाद जिद का सवाल ही खत्म हो गया है। किसानों के पास कानूनों को रद करने के अलावा कोई और विकल्प हो तो वे सरकार के सामने रख सकते हैं।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Sun, 17 Jan 2021 09:31 PM (IST) Updated:Mon, 18 Jan 2021 06:59 AM (IST)
कृषि मंत्री ने कहा- कानून रद करने के अलावा विकल्प बताएं किसान संगठन, 10वें दौर की वार्ता 19 को
कानूनों के अमल पर सुप्रीम कोर्ट की रोक से जिद का सवाल ही खत्म।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सरकार ने आंदोलनकारी किसान संगठनों से 19 जनवरी को होने वाली बैठक में तीनों कानूनों पर बिंदुवार चर्चा के लिए तैयार होकर आने को कहा है। कानून के किसी बिंदु पर किसान नेताओं को अगर कोई एतराज हो तो उस पर सरकार चर्चा के साथ संशोधन पर विचार कर सकती है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा कि कृषि सुधार के कानूनों के अमल पर शीर्ष अदालत की रोक के बाद जिद का सवाल ही खत्म हो गया है। किसानों के पास कानूनों को रद करने के अलावा कोई और विकल्प हो तो वे सरकार के सामने रख सकते हैं।

कृषि मंत्री ने कहा- 10वें दौर की वार्ता में सभी मुद्दों पर विस्तृत चर्चा होगी

कृषि मंत्री ने उम्मीद जताई कि किसानों की बैठक में सभी मुद्दों पर विस्तृत चर्चा होगी। इसी के आधार पर तैयार प्रस्तावों के साथ आंदोलनकारी किसान 10वें दौर की वार्ता में हिस्सा लेंगे। तोमर ने कहा कि अगले दौर की वार्ता में किसान संगठन तीनों कृषि कानूनों पर चर्चा कर अपनी आपत्ति बताएं तो सरकार उन पर विचार करेगी। उन्होंने इस बार किसान नेताओं की शंकाओं का समाधान होने और वार्ता सफल रहने की उम्मीद जताई है। आंदोलनकारी किसान संगठनों के साथ कृषि मंत्री तोमर की अध्यक्षता वाला मंत्री समूह लगातार वार्ता कर रहा है।

53 दिन से प्रदर्शनकारी किसान अब भी अड़े

दूसरी ओर, 53 दिन से प्रदर्शन कर रहे किसान संगठन लगातार अड़ियल रवैया अपनाए हुए हैं। इसीलिए अपने प्रदर्शन को तेज करने की अपनी पूर्व निर्धारित योजना पर आगे बढ़ने पर जोर दे रहे हैं। कृषि मंत्री ने हैरानी जताते हुए कहा कि सरकार हर बार सकारात्मक तरीके से अपनी बात कह रही है, लेकिन किसान संगठन टस से मस होने को तैयार नहीं हैं। वे तीनों कानूनों को रद करने की जिद पर अड़े हुए हैं। संसद में पारित कानून पूरे देश के लिए होता है। इन तीनों कानूनों से देश के अधिकांश किसान, विद्वान, वैज्ञानिक और कृषि क्षेत्र में काम करने वाले लोग पूरी तरह सहमत हैं और इनके समर्थन में खड़े हैं।

सुप्रीम कोर्ट से भी संतुष्ट नहीं प्रदर्शनकारी

वार्ता में समाधान न निकलने पर सुप्रीम कोर्ट ने भी हस्तक्षेप करते हुए आदेश जारी किया है। कोर्ट ने तीनों कानूनों के अमल पर फिलहाल रोक लगाते हुए एक विशेषज्ञ कमेटी का गठन कर दोनों पक्षों को अपनी बात रखने को कहा है। किसान संगठनों ने कानूनों के अमल पर रोक का तो स्वागत किया, लेकिन उसकी गठित कमेटी के समक्ष जाने से मना कर दिया है।

सरकार सभी प्रावधानों पर चर्चा के लिए तैयार

जिन कानूनों को रद करने पर प्रदर्शनकारियों का जोर है, उनके सभी प्रावधानों पर चर्चा के लिए सरकार तैयार है। सरकार ने खुद पहल करते हुए विभिन्न बिंदुओं के एक प्रस्ताव पर उनकी राय मांगी थी, लेकिन उस पर वे चर्चा को तैयार नहीं हुए। सरकार हर बार की तरह 19 जनवरी को भी समाधान तक पहुंचने के लिए बातचीत को तैयार है - नरेंद्र सिंह तोमर, केंद्रीय कृषि मंत्री।

किसानों की आय दोगुनी करना प्राथमिकता : शाह

गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को कहा कि किसानों की आय दोगुनी करना नरेंद्र मोदी सरकार की प्राथमिकता है। तीनों कृषि कानून किसानों की आय बढ़ाने में सहायक होंगे। उन्होंने कहा कि सत्ता संभालने के बाद से मोदी सरकार ने कृषि क्षेत्र का बजट बढ़ाया है और कई फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाया है।

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