गलवन के बाद चीन को बेहतर प्रशिक्षण की जरूरत महसूस हुई: जनरल बिपिन रावत

सीडीएस रावत ने कहा कि चीनी सैनिकों को मुख्य रूप से छोटी अवधि के लिए भर्ती किया जाता है। उन्हें हिमालय जैसे दुर्गम इलाकों में लड़ने का ज्यादा अनुभव नहीं है। बीते साल 15 जून को गलवन घाटी संघर्ष में चीनी सेना को भारी नुकसान हुआ था।

By Nitin AroraEdited By: Publish:Wed, 23 Jun 2021 02:25 AM (IST) Updated:Wed, 23 Jun 2021 02:25 AM (IST)
गलवन के बाद चीन को बेहतर प्रशिक्षण की जरूरत महसूस हुई: जनरल बिपिन रावत
गलवान के बाद चीन को बेहतर प्रशिक्षण की जरूरत महसूस हुई: जनरल बिपिन रावत

नई दिल्ली, एएनआइ। चीफ आफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने मंगलवार को कहा कि पिछले साल पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गलवन घाटी और अन्य स्थानों में भारतीय सेना के साथ आमना-सामना होने के बाद, चीनी सेना ने महसूस किया कि उसे बेहतर प्रशिक्षण की जरूरत है।

सीडीएस रावत ने कहा कि चीनी सैनिकों को मुख्य रूप से छोटी अवधि के लिए भर्ती किया जाता है। उन्हें हिमालय जैसे दुर्गम इलाकों में लड़ने का ज्यादा अनुभव नहीं है।

जनरल रावत से जब इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि भारत के साथ सीमा पर चीनी तैनाती में बदलाव आया है, खासकर मई और जून 2020 में गलवन और अन्य क्षेत्रों में हुई घटनाओं के बाद। इसके बाद, उन्होंने महसूस किया कि उन्हें बेहतर प्रशिक्षण और बेहतर तैयारी की जरूरत है। उल्लेखनीय है बीते साल 15 जून को गलवन घाटी संघर्ष में चीनी सेना को भारी नुकसान हुआ था।

जनरल रावत ने कहा कि भारत को इस क्षेत्र में चीन की सभी गतिविधियों पर नजर रखनी है और भारतीय सैनिक इस क्षेत्र में लड़ने में बहुत माहिर हैं।

तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र एक दुर्गम क्षेत्र है। यह पहाड़ी इलाका है। इसके लिए आपको विशेष प्रशिक्षण की जरूरत होती है। जिसमें हमारे सैनिक बहुत कुशल हैं। जबकि चीनियों के लिए, ऐसा नहीं है। यह उस प्रशिक्षण का हिस्सा है जिसे वे अंजाम दे रहे हैं। हमें अपना पहरा रखना होगा और चीनी सेना की सभी गतिविधियों पर नजर रखनी होगी।

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