Positive India : इलेक्ट्रिक कार के बाद अब बन रही इलेक्ट्रिक रोड, जानें-भारत में कहां हो रहा है ये प्रयोग

सीमेंस ने सबसे पहले जर्मनी की फ्रैंकफर्ट शहर में मई 2019 में इस तकनीक से सड़क बनाई। छह मील लंबी इस सड़क के ऊपर बिजली के विशाल केबल लगे हैं। इन केबल में 670 वोल्ट का करंट होता है। इलेक्ट्रिक ट्रक इन केबल से अपनी बैटरी को रिचार्ज करते हैं।

By Vineet SharanEdited By: Publish:Wed, 14 Apr 2021 08:19 AM (IST) Updated:Wed, 14 Apr 2021 08:26 AM (IST)
Positive India : इलेक्ट्रिक कार के बाद अब बन रही इलेक्ट्रिक रोड, जानें-भारत में कहां हो रहा है ये प्रयोग
इन रोड पर वाहन 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकेंगे और प्रदूषण भी बेहद कम होगा।

नई दिल्ली, जेएनएन। सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक देश में बिकने वाले 30% वाहन इलेक्ट्रिक हों। इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए सरकार अब इलेक्ट्रिक रोड बनाने पर भी काम कर रही है। ये रोड अपने ऊपर चलने वाले वाहनों को ऊर्जा की आपूर्ति करते हैं, जिससे वाहनों को रिचार्ज होने के लिए कहीं रुकना नहीं पड़ता है।

दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे पर बन रही ई-रोड

हाल में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने बताया है कि एक लाख करोड़ की लागत से बन रहे दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस वे पर एक लेन ई हाईवे की होगी। यह ई लेन करीब 1300 किलोमीटर लंबी होगी। इससे लॉजिस्टिक का खर्च 70 फीसद तक कम हो जाएगा। नितिन गडकरी ने बताया है कि इन ई रोड पर उसी तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा, जिस तकनीक से जर्मनी में ई हाईवे बनाए गए हैं। जर्मनी और भारत दोनों जगहों पर सीमेंस ( Siemens) ई रोड बना रही है।

सीमेंस ने सबसे पहले जर्मनी की फ्रैंकफर्ट शहर में मई 2019 में इस तकनीक से सड़क बनाई। छह मील लंबी इस सड़क के ऊपर बिजली के विशाल केबल लगे हैं। इन केबल में 670 वोल्ट का करंट होता है। इनके नीचे से गुजरने वाले इलेक्ट्रिक ट्रक इन केबल से ऊर्जा हासिल करके अपनी बैटरी को रिचार्ज करते हैं। इन रोड पर वाहन 120 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकेंगे और प्रदूषण भी बेहद कम होगा।

तकनीक

ट्रांसपोर्ट रिसर्च लैबोरेट्री के मुताबिक, इलेक्ट्रिक रोड में मुख्य रूप से तीन तकनीकों का इस्तेमाल होता है। पहला, गाड़ियों के ऊपर पावर लाइन होती है, जैसा भारत में होता है। वहीं जमीन पर पटरी या अंडरग्राउंड क्वाएल से भी बिजली की आपूर्ति की जाती है। ओवरहेड केबल सबसे उन्नत तकनीक है, लेकिन गैर व्यावसायिक वाहनों के लिए ये कारगर नहीं है, क्योंकि कार की ऊंचाई बेहद कम होती है और ये बेहद ऊपर मौजूद केबल से ऊर्जा हासिल नहीं कर पाएंगे जबकि ई ट्रक के लिए ये केबल पहुंच में होंगे। वहीं जमीन से मिलने वाली बिजली जैसे रेल से आसानी से ज्यादा ऊर्जा मिल जाएगी। वहीं चार्जिंग क्वाएल की तकनीक में कम पावर मिलेगी और ज्यादा उपकरण भी लगेंगे।

इन देशों में बनी ई रोड

जर्मनी में 1882 से ही सड़क परिवहन में ओवरहेड पावर लाइन का इस्तेमाल हो रहा है। 2018 के आंकड़ों के मुताबिक, बर्लिन में ऐसी 300 ट्रॉली बस चलती हैं। इसके अलावा कोरिया, स्वीडन, न्यूजीलैंड में ब्रिटेन में ई रोड बनी है। वहीं तेल अवीव में हाल में बनी ई रोड में सड़क के नीचे बिछे क्वायल के जरिए बिजली की आपूर्ति की जाती है। 

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