श्रीलंकाई मैनेजर को जिंदा जलाने के बाद खुद को मुंह दिखाने लायक नहीं मान रहे कई पाकिस्तानी, जानें कैसे हो रही है प्रतिक्र‍िया

स्यालकोट की बर्बर घटना के बाद जहां पाकिस्तान में ऐसा कहने वाले सामने आ रहे हैं कि यह बर्बरियत मौलाना-मौलवियों को छूट देने का नतीजा है वहीं कई पाकिस्तान यह कहने को मजबूर हैं कि वहशी वारदात के बाद वे खुद को मुंह दिखाने लायक नहीं मान रहे हैं।

By Rajeev SachanEdited By: Publish:Tue, 07 Dec 2021 08:12 PM (IST) Updated:Tue, 07 Dec 2021 11:10 PM (IST)
श्रीलंकाई मैनेजर को जिंदा जलाने के बाद खुद को मुंह दिखाने लायक नहीं मान रहे कई पाकिस्तानी, जानें कैसे हो रही है प्रतिक्र‍िया
श्रीलंकाई मैनेजर के शव जलाने की वहशी वारदात के बाद वे खुद को मुंह दिखाने लायक नहीं मान रहे हैं

 नई दिल्ली, जेएनएन। स्यालकोट की बर्बर घटना के बाद जहां पाकिस्तान में ऐसा कहने वाले सामने आ रहे हैं कि यह बर्बरियत मौलाना-मौलवियों को मजहब को एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने की छूट देने का नतीजा है, वहीं विदेश में रहने वाले कई पाकिस्तान यह कहने को मजबूर हैं कि श्रीलंकाई मैनेजर प्रियांथा कुमारा की पीट-पीटकर हत्या के बाद उसका शव जलाने की वहशी वारदात के बाद वे खुद को मुंह दिखाने लायक नहीं मान रहे हैं। ऐसे कई पाकिस्तानी, जो विदेश में रहकर अपना यू ट्यूब चैनल चलाते हैं या फिर उन पर आकर अपने विचार रखते हैं, यह भी मान रहे हैं कि स्यालकोट की दिल दहलाने वाली घटना के लिए उन्मादी भीड़ के साथ सरकार और सेना भी बराबर की दोषी है, जिसने पिछले दिनों तहरीके लब्बैक पाकिस्तान नामक संगठन के साथ समझौता कर उसके समर्थकों का दुस्साहस बढ़ाया।

इस कट्टरपंथी संगठन ने फ्रांस के खिलाफ अपने उग्र प्रदर्शन के दौरान आठ पुलिस वालों की हत्या कर दी थी, लेकिन सरकार ने उससे सुलह करना बेहतर समझा। इस सुलहनामे के तहत हिंसा भड़काने के आरोप में गिरफ्तार किए गए लोग छोड़ दिए गए। कहा जा रहा है कि जिन लोगों ने स्यालकोट की एक फैक्ट्री में श्रीलंकाई मैनेजर प्रियांथा कुमारा को गुस्ताखे ए रसूल करार देकर पीट-पीटकर मार दिया था, उनमें तहरीके लब्बैक समर्थक वे लोग भी थे, जिन्हें हिंसा फैलाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।

सभी हत्यारों का खुलकर समर्थन करता है तहरीके लब्बैक पाकिस्तान

तहरीके लब्बैक पाकिस्तान उन संगठनों में से सबसे प्रमुख है, जो ईशनिंदा के आरोपियों को मौत की सजा देने की वकालत करने के साथ ऐसे सभी हत्यारों का खुलकर समर्थन करता है, जिन्होंने ईशनिंदा के किसी न किसी आरोपित को मौत के घाट उतारा- भले ही हत्या फर्जी तोहमत लगाकर की गई हो। इनमें वह मुमताज कादरी भी था, जिसने पंजाब के पूर्व गवर्नर सलमान तासीर को गोलियों से भून दिया था। इसी संगठन ने मुहम्मद साहब के कार्टूनों को लेकर फ्रांस को सबक सिखाने के लिए इमरान सरकार को उसके खिलाफ परमाणु बम का इस्तेमाल करने की सलाह दी थी।

पाकिस्तान के रक्षामंत्री का  बेहूदा बयान

स्यालकोट की खौफनाक घटना के बाद जहां पाकिस्तान रक्षामंत्री ने इस तरह का बेहूदा बयान दिया कि लड़कों से जोश-जज्बात में गलती हो गई, वहीं वाशिंगटन में रहने वाले पाकिस्तानी मूल के वकील एवं उद्योगपति सज्जाद तरार ने कहा कि पाकिस्तान ने तो बर्बररियत में तालिबान को भी पछाड़ दिया। राजनीतिक टिप्पणीकार कमर चीमा के चैनल पर सज्जाद ने स्यालकोट की घटना पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि यह शर्मनाक है कि इतनी बड़ी घटना घट गई, लेकिन किसी ने इस्तीफा नहीं दिया। उनके मुताबिक इस घटना ने पूरी दुनिया में पाकिस्तान को नीचा दिखाया है।

घटनाओं की जड़ में ईशनिंदा का जाली कानून

कुछ ऐसे ही विचार राजनीति शास्त्र के प्रोफेसर इश्तियाक अहमद ने व्यक्त किए हैं। लाहौर में जन्में अहमद नार्वे में पढ़ाते हैं। उन्होंने भारत विभाजन और जिन्ना पर किताबें लिखीं हैं, जो भारत में भी चर्चित हुईं। उन्होंने स्यालकोट की घटना पर कहा कि पागल जहन वाले पाकिस्तानी बेलगाम हो गए हैं। उन्होंने कहा कि श्रीलंकाई मैनेजर तो हमारा गेस्ट था। उसे न तो ऊर्दू आती होगी और न ही अरबी। उसे बेदर्दी से मारना बर्बरियत है। उनके मुताबिक ऐसा तो ईरान और सऊदी अरब में भी नहीं होता। उन्होंने कहा कि इस तरह की घटनाओं की जड़ में ईशनिंदा का जाली कानून है। उनका मानना है कि इस्लामोफोबिया की फर्जी बातें उन लोगों को उकसाती हैं, जिन्होंने श्रीलंकाई मैनेजर को मारा।

दुनिया भर में बदनाम हो गया पाक‍िस्‍तान

कनाडा में रहकर टैग टीवी चैनल में एकंरिग करने वाले पाकिस्तान के ताहिर गोरा का कहना है कि स्यालकोट की वारदात नई नहीं है। 2000 के बाद से कम से कम 75 लोग इसी तरह एक्स्ट्रा जुडिशियल किलिंग के शिकार बनाए गए हैं। टैग टीवी पर उनके शो 'बिलातकल्लुफ' में इसी घटना पर अपने विचार व्यक्त करते हुए पाकिस्तानी पत्रकार आलिया शाह ने कहा कि मुल्क की पूरी कौन एक हुजूम में बदल दी गई है। यू ट्यूबर रुस्तम शाह ने स्यालकोट में श्रीलंकाई मैनेजर की खौफनाक तरीके से हत्या पर कहा कि यह पाकिस्तान को दुनिया भर में बदनाम करने और उसकी मुश्किलें बढ़ाने वाली है।

इसी चैनल पर अमेरिका में रह रहे पाकिस्तानी मूल के डाक्टर फारूख नसीम ने कहा कि मजहब के बेजा इस्तेमाल ने पाकिस्तानी अवाम को जोंबी में बदल दिया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्ताना में इसी तरह की घटनाओं के कारण हम लोग खुद को पाकिस्तानी के बजाय हिंदुस्तानी बताना पसंद करते हैं। उन्होंने सवाल किया कि आखिर हम कैसे कहें कि हम पाकिस्तानी हैं? उनके मुताबिक इस पर हैरत नहीं कि पाकिस्तानी नेता और मुल्ला-मौलवी स्यालकोट की घटना पर लीपापोती ही करते दिख रहे हैं।

उत्तर कोरिया बनता जा रहा है पाक‍िस्‍तान

यू ट्यूबर गालिब कमाल का कहना है कि स्यालकोट की घटना ने हमें कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं रहा। उनके मुताबिक पाकिस्तान उत्तर कोरिया बनने जा रहा है। यही बात एक अन्य यू ट्यूबर सुल्तान सलातीन ने काफी तल्ख शब्दों में कही। इसके अलावा पत्रकार आरजू काजमी ने भी स्याल कोट की घटना को कौम की शर्मिंदगी का सबब माना है। इन सभी पाकिस्तानियों को इसमें संदेह है कि प्रिंयथा को मारने वालों का कुछ बिगड़ेगा। ऐसे कुछ लोग पाकिस्तान को अफगानिस्तान के रास्ते पर भी जाते हुए देख रहे हैं।

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