Positive India : बेहतर कार्ययोजना से एक्यूट इन्सेफलाइटिस सिंड्रोम की रफ्तार रोकने में मिली सफलता

पिछले वर्ष जून के दूसरे सप्ताह में जहां मुजफ्फरपुर जिला एईएस (एक्यूट इन्सेफलाइटिस सिंड्रोम) की कहर से परेशान था वहीं इस वर्ष जिले में एईएस के फैलने की रफ़्तार बहुत कम है।

By Vineet SharanEdited By: Publish:Tue, 07 Jul 2020 08:54 AM (IST) Updated:Tue, 07 Jul 2020 08:55 AM (IST)
Positive India : बेहतर कार्ययोजना से एक्यूट इन्सेफलाइटिस सिंड्रोम की रफ्तार रोकने में मिली सफलता
Positive India : बेहतर कार्ययोजना से एक्यूट इन्सेफलाइटिस सिंड्रोम की रफ्तार रोकने में मिली सफलता

नई दिल्ली, अनुराग मिश्र। पिछले वर्ष जून के दूसरे सप्ताह में जहां मुजफ्फरपुर जिला एईएस (एक्यूट इन्सेफलाइटिस सिंड्रोम) की कहर से परेशान था, वहीं, इस वर्ष जिले में एईएस के फैलने की रफ़्तार बहुत कम है। यद्यपि, इस वर्ष के मार्च महीने से कोरोना संक्रमण ने एईएस की रोकथाम में कई चुनौतियां पेश की हैं, लेकिन पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष जिला प्रशासन एवं जिला स्वास्थ्य विभाग की बेहतर कार्ययोजना एवं नई पहल की बदौलत एईएस पर प्रभावी रोकथाम में सफलता मिली है। एईएस मरीजों को अस्पताल पहुंचाने के लिए प्राइवेट वाहनों की टैगिंग एवं पंचायती राज सदस्यों की ट्रेनिंग जैसी नयी पहल के कारण इस वर्ष अभी तक एसकेएमसी हॉस्पिटल में कम संख्या में मरीज भर्ती हुए हैं।

प्राइवेट वाहनों की टैगिंग साबित हुआ मील का पत्थर

जिले के सिविल सर्जन डॉ शैलेश प्रसाद सिंह ने बताया कि सही समय पर एईएस पीड़ितों के अस्पताल नहीं पहुंचने से पीड़ितों की मृत्यु होने की आशंका बढ़ जाती है। इसे ध्यान में रखते हुए इस वर्ष एईएस मरीजों को उनके क्षेत्र से अस्पताल तक पहुंचाने के लिए जिले के प्रत्येक प्रखंडों में एक एम्बुलेंस को एईएस के लिए टैग किया गया है। वहीं, जिले के 385 पंचायतों में 1408 प्राइवेट वाहनों की टैगिंग की गई है। इस वर्ष स्वास्थ्य विभाग के साथ जीविका ने भी एईएस के खिलाफ जंग में महत्वपूर्ण योगदान दिया। जीविका ने जिले में अपने 3500 जीविका मित्रों को प्रशिक्षित किया है।

रफ्तार रोकने में मिली सफलता

जिला वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल ऑफिसर-सह-नोडल अधिकारी एईएस डॉ. सतीश कुमार ने बताया कि विगत वर्ष में 20 जून तक एसकेएमसी हॉस्पिटल में जिले के एईएस पीड़ित 280 बच्चे भर्ती हो चुके थे, जिनमें 65 बच्चों की मृत्यु भी हुई थी, लेकिन इस वर्ष 17 जून तक एसकेएमसीएच में जिले के एईएस पीड़ित केवल 26 एईएस पीड़ित बच्चे भर्ती हुए हैं, जिनमें 4 बच्चों की जान चली गई है। ये आंकड़े जिले के लिए फिलहाल राहत देने वाले हैं। जिला वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल ऑफिसर डॉ. सतीश कुमार ने बताया कि इस वर्ष नई पहल करते हुए जिले के 1123 ग्रामीण स्तरीय चिकित्सकों को एईएस प्रबंधन पर प्रशिक्षण दिया गया है। 

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