खुद ही रास्ते बनाने का संदेश देने वाली पर्यटन नगरी मनाली की 'जया सागर' से विशेष बातचीत...

मां ही रोल मॉडल पर्यटन नगरी मनाली की जया सागर का कहना है कि परिवार के हर सदस्य ने मुझे प्रोत्साहित किया लेकिन स्कूल प्रिंसिपल मां मंजीत कौर मेरी रोल मॉडल हैं। मैं उनके जैसा ही बनना चाहती थी।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Sun, 27 Sep 2020 06:50 AM (IST) Updated:Sun, 27 Sep 2020 09:36 AM (IST)
खुद ही रास्ते बनाने का संदेश देने वाली पर्यटन नगरी मनाली की 'जया सागर' से विशेष बातचीत...
हिमाचल की जया सागर को मिली ढाई करोड़ की छात्रवृत्ति।

मनाली, जसवंत ठाकुर। पर्यटन नगरी मनाली की जया सागर ने दुनिया के दस श्रेष्ठ विद्यार्थियों में अपना नाम दर्ज करवाकर इंग्लैंड की यूनिर्विसटी ऑफ ब्रिस्टल में स्कॉलरशिप हासिल की है। खुद ही रास्ते बनाने का संदेश देने वाली जया से बातचीत...

किसी सपने से कम नहीं: जया कहती हैं, यह स्कॉलरशिप क्वांटम इंजीनियरिंग में पीएचडी. करने के लिए यूनिवसिटी ऑफ ब्रिस्टल, इंग्लैंड में मिली है। इस जुत्शी-स्मिथ स्कॉलरशिप की कुल राशि ढाई करोड़ से अधिक है। क्वांटम इंजीनियरिंग भौतिक विज्ञान का एक बहुत ही उन्नत विषय है। यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिस्टल दुनिया की उन चुनिंदा यूनिर्विसटीज में शामिल है, जो क्वांटम इंजीनियरिंग में पीएचडी प्रोग्राम्स करवाती हैं। अधिकतर छात्रों को पीएचडी. करने के लिए पहले मास्टर्स और एमफिल. की डिग्री प्राप्त करनी पड़ती है, लेकिन मैंने बीटेक. के दौरान अपनी समर रिसर्च इंटर्नशिप क्वांटम कंप्यूटिंग के फील्ड में ऑस्ट्रिया से की थी। इसका लाभ मिला और मेरे सुपरवाइजर ने मळ्झे डायरेक्ट पीएचडी. के लिए प्रेरित किया। इस कोर्स में सिर्फ दस सीटें हैं। कई इंटरव्यू के बाद मेरा सेलेक्शन हुआ।

मां ही रोल मॉडल: जया का कहना है कि परिवार के हर सदस्य ने मुझे प्रोत्साहित किया, लेकिन स्कूल प्रिंसिपल मां मंजीत कौर मेरी रोल मॉडल हैं। मैं उनके जैसा ही बनना चाहती थी। जिस तरीके से मां ने मेरी पढ़ाई पर ध्यान दिया और मेरी जिज्ञासा को प्रेरित किया, वह महिला सशक्तीकरण की सही मिसाल हैं। इंजीनियरिंग के क्षेत्र में बड़े भाई सुमित सागर से भी प्रेरणा मिली। वह इंजीनियर हैं और उन्होंने ऐसा ड्रोन बनाया है, जो हवा, पानी व जमीन पर सीधा-उल्टा चल सकता है।

देश-दुनिया के लिए योगदान: जया कहती हैं, वैज्ञानिक के तौर पर पीएचडी. प्राथमिकता है। बाइस की उम्र में पीएचडी की शुरुआत कर ली है। खुशी है कि दुनिया की प्रसिद्ध यूनिवर्सिटी से पीएचडी. करने का मौका मिल रहा है। उम्मीद है कि आने वाले समय में वैज्ञानिक के तौर पर कॅरियर बना सकूंगी।

स्कूल में साझा किए अनुभव: जया कहती हैं, आगे बढ़ने के लिए रास्ते खुद ही बनाने पड़ते हैं, लेकिन जाना कहां है, वह सपना आपकी आंखों में होना चाहिए। हर बच्चे की रुचि अलग होती है। हमें बस इतना बताना है कि उनके पास क्या-क्या विकल्प हैं। वे कैसे कॅरियर बना सकते हैं। वर्ष 2014 में जब पहली बार अंतरराष्ट्रीय स्तर का एक्सपोजर मिला तो वापस आकर स्कूल में कार्यशाला में बच्चों के साथ अनुभव साझा किया। एक एनजीओ मंगलदायक की शुरुआत की। इसके माध्यम से हिमाचल प्रदेश में पांच हजार से अधिक बच्चों की कार्यशालाएं करवाई हैं। कार्यशाला में साइंस के क्षेत्र में विकल्प के बारे में बताया जाता है।

लगन व निष्ठा से मिलती मंजिल: जया का कहना है, सफलता का रास्ता आसान नहीं होता है। यह जरूरी नहीं कि हर प्रयास सफल हो या हर कार्य में सबका सहयोग मिले। यह हमारी लगन व निष्ठा पर निर्भर करता है कि हम किस तरह से मुश्किलों का सामना कर आगे बढ़ते हैं। मुश्किल समय में परिवार का साथ और भगवान पर विश्वास बहुत बड़ा सहारा होता है।

कलाम साहब की बात घर कर गई: जया कहती हैं, जिंदगी का सबसे महत्वपूर्ण दिन था राष्ट्रीय आविष्कार अभियान का उद्घाटन, जो कि दिल्ली में जुलाई 2015 में हुआ था। इसमें देशभर से आए तीन हजार से अधिक स्कूली बच्चों, वैज्ञानिकों व अधिकारियों के सामने मुझे पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के साथ मंच साझा करने का मौका मिला। मेरे मुख्य वक्ता के रूप में भाषण के बाद डॉ. कलाम का संबोधन था। डॉ. कलाम ने कहा कि अगर हम एक बार सफल होते हैं तो लोग उसे हमारी अच्छी किस्मत बोलकर नजरअंदाज कर देते हैं। अपने टैलेंट को साबित करने के लिए बार-बार उस चीज में उत्तीर्ण होना पड़ता है। इसीलिए हमें अपने प्रयासों को नहीं रोकना चाहिए। हार या जीत से प्रभावित हुए बिना कार्य को निष्ठा से करते रहना चाहिए। उस दिन से यह बात मेरे मन में बैठ गई और मैंने विज्ञान के क्षेत्र में प्रयासों को कभी नहीं रोका।

शुरू से विज्ञान के प्रति रुझान: जया कहती हैं, मैंने दसवीं तक की शिक्षा मनाली पब्लिक स्कूल से की। साइंस से संबंधित प्रतियोगिताओं में मेरी बहुत रुचि थी। छठवीं कक्षा से ही साइंस फेयर में हिस्सा लेने का मौका मिला। सातवीं कक्षा में राज्यस्तरीय साइंस क्विज में तीसरा पुरस्कार जीता और नौवीं कक्षा में प्रोजेक्ट रिपोर्ट में राज्यस्तर पर दूसरा पुरस्कार जीता। दसवीं में प्रदेश में पहला पुरस्कार जीतकर राष्ट्रीय स्तर पर हिमाचल प्रदेश का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिला। शिक्षकों ने बहळ्त सहयोग किया। सेब का उत्पादन बढ़ाने के प्रोजेक्ट पर काम करने के दौरान भारत का प्रतिनिधित्व करने का भी मौका मिला।

यह इंटरनेशनल साइंस एंड इंजीनियरिंग फेयर 2014 में अमेरिका में हुआ था। इसमें देश के लिए दो पुरस्कार जीते और इस प्रोजेक्ट के लिए भारत सरकार से कॉपी राइट्स मिले। राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआइटी) हमीरपुर, हिमाचल प्रदेश से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में बीटेक. किया। इस दौरान कई प्रोजेक्ट पर काम किया। इनमें सैन्य सुरक्षा, मिसाइल कम्युनिकेशन सिस्टम, क्रैकर्स की सुरक्षा के लिए एपलांच रेस्क्यू बेल्ट, पहाड़ी इलाकों में स्कूलों की सेंट्रल हीटिंग के लिए सोलर एयर हीटर सिस्टम, 5जी कम्युनिकेशन और वाईफाई की स्पीड बढ़ाना शामिल हैं।

प्रमुख उपलब्धियां: नेशनल यूथ अवार्ड, रिसर्च एंड इनोवेशन की फील्ड में 2015-16 के लिए, वर्ष 2019 में नेशनल वुमन अचीवर्स अवार्ड मिला।

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