Corona Vaccine: विशेष विमान से छत्तीसगढ़ पहुंची 7,19,410 वैक्सीन, टीकाकरण में आएगी तेजी

छत्तीसगढ़ में शनिवार को विशेष विमान से 719410 कोविशील्ड और को-वैक्सीन की खेप रायपुर के माना स्थित विवेकानंद एयरपोर्ट पहुंची। राज्य टीकाकरण अधिकारी डाॅ. अमर सिंह ठाकुर ने बताया कि इसमें राज्य की 297110 और केंद्र ने 347300 कोविशील्ड और को-वैक्सीन का 75 हजार डोज शामिल है।

By Bhupendra SinghEdited By: Publish:Sat, 15 May 2021 10:50 PM (IST) Updated:Sat, 15 May 2021 10:50 PM (IST)
Corona Vaccine: विशेष विमान से छत्तीसगढ़ पहुंची 7,19,410 वैक्सीन, टीकाकरण में आएगी तेजी
18 से 44 आयु वालों के लिए कोविशील्ड की 2,97,110 डोज पहुंची।

रायपुर, राज्य ब्यूरो। छत्तीसगढ़ में शनिवार को विशेष विमान से 7,19,410 कोविशील्ड और को-वैक्सीन की खेप रायपुर के माना स्थित विवेकानंद एयरपोर्ट पहुंची। राज्य टीकाकरण अधिकारी डाॅ. अमर सिंह ठाकुर ने बताया कि इसमें राज्य की 2,97,110 और केंद्र ने 3,47,300 कोविशील्ड और को-वैक्सीन का 75 हजार डोज शामिल है।

18 से 44 आयु वालों के लिए कोविशील्ड की 2,97,110 डोज पहुंची

18 से 44 आयु वालों के लिए कोविशील्ड की 2,97,110, 45 से अधिक आयु वालों के लिए कोविशील्ड 3,47,300 डोज पहुंचा है। साथ ही 75 हजार कोवैक्सीन की डोज 45 से अधिक आयु वालों के लिए पहुंचा है।

टीके खत्म होने की वजह से नहीं लग पा रहे थे

बता दें कि राज्य के पास सप्ताहभर से टीका नहीं था। जिलों में भी एपीएल और फ्रंट लाइन वर्कर्स के टीके खत्म होने की वजह से नहीं लग पा रहे थे। टीका आने के बाद अब जिलों में टीकाकरण के लिए वैक्सीन भेजेंगे। राज्य शासन के निर्देश के अनुसार अंत्योदय को 12 फीसद, बीपीएल को 52, एपीएल को 18 और फ्रंट लाइन वर्कर्स को 20 फीसद के अनुपात में उपलब्ध टीका को बांटा गया था।

कोरोना वायरस की दूसरी लहर बरपा रही कहर

कोरोना वायरस की दूसरी लहर जब कहर बरपा रही है, तब बस्तर के ज्यादातर आदिवासी इलाके इस महामारी से सुरक्षित हैं। जहां लोगों ने जिनता प्रकृति को बचाकर और खुद को उसके करीब रखा है, वह उतना ज्यादा सुरक्षित है। बस्तर संभाग में कुल सात जिले हैं। इनमें से चार जिलों नारायणपुर, सुकमा, बीजापुर और दंतेवाड़ा में कोरोना आदिवासियों को ज्यादा प्रभावित नहीं कर पाया। स्थानीय लोग कह रहे हैं कि इन जिलों में संक्रमण के जो मामले आए हैं उनमें ज्यादातर सुरक्षा बल के जवान या दूसरे शहरों में आने-जाने वाले लोग शामिल हैं।

दुनियाभर में दहशत, यहां शांति

कोरोना की दूसरी लहर ने पखवाड़ेभर पहले बीते अप्रैल में जमकर कहर बरपाया। छत्तीसगढ़ में रोज 15 हजार से ज्यादा नए केस आ रहे थे। अधिकांश जिलों में प्रतिदिन संक्रमित मिलने वालों की संख्या पांच सौ के पार पहुंची, लेकिन नारायणपुर में एक अप्रैल से 14 मई के बीच लगभग सात सौ नए केस मिले। सुकमा में यह संख्या 12 सौ, बीजापुर में 11 सौ और दंतेवाड़ा में 24 सौ से कुछ अधिक रही।

बीजापुर में केवल एक मौत

कोरोना की दूसरी लहर के कहर के इन डेढ़ महीनों में सुकमा जिले में कोरोना की वजह से केवल एक जान गई। दंतेवाड़ा में दो, सुकमा में चार और नारायणपुर में आठ मौतें हुई हैं। इसके विपरीत बाहरी दुनिया से ज्यादा करीब इस संभाग के कांकेर में इस दौरान 116, बस्तर में 50 और कोंडागांव में 48 जानें गई हैं।

शहरी सीमा से करीब कांकेर में ज्यादा कहर

संभाग के बाकी तीन जिलों कांकेर, कोंडागांव और बस्तर अपेक्षाकृत ज्यादा प्रभावित हुए हैं। इन तीनों जिलों में शहरीकरण का असर ज्यादा है। इसमें कांकेर में कोरोना की दूसरी लहर का सबसे ज्यादा असर हुआ है, क्योंकि यह राजधानी रायपुर की तरफ से बस्तर संभाग का पहला जिला है। यहां की बड़ी आबादी दूसरे शहरों से जुड़ी हुई है। इसी तरह कोंडागांव की स्थिति भी लगभग ऐसी है। वहीं, बस्तर संभागीय मुख्यालय है, इस वजह से छत्तीसगढ़ ही नहीं दूसरे राज्यों के लोग भी बड़ी संख्या में वहां पहुंचते हैं।

हम प्रकृति की रक्षा करते हैं वो हमारी

हल्बा समाज के पूर्व अध्यक्ष अर्जुन नाग कहते हैं कि प्रकृति हमारी मां है। हम उसकी रक्षा करते हैं और वो हमारी रक्षा करती है। हमारे तीज-त्यौहार, खान-पान से लेकर जीवन और मरण सब कुछ प्राकृतिक है। वन क्षेत्रों में रहने के कारण हमें अपनी रोजमर्रा की जरूरतें पूरी करने के लिए भी संघर्ष करना पड़ता है, लेकिन इससे हमें ताकत मिलती है। यही वजह है कि जो वनवासी शहरी दुनिया से जितनी दूर हैं उतने ही इस महामारी से सुरिक्षत हैं।

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