चंद्रमा पर धरती से 200 गुना ज्यादा रेडिएशन, अंतरिक्ष यात्रियों को करना पड़ता है सर्वाधिक जोखिम का सामना

चंद्रमा पर जब 2024 में महिला अंतरिक्ष यात्री पहुंचेंगी तो उन्हें इसकी सतह पर धरती से 200 गुना ज्यादा रेडिएशन का सामना करना होगा। पहली बार चंद्रमा की सतह पर रेडिएशन के बारे में जानकारी सामने आई है।

By Sanjeev TiwariEdited By: Publish:Sun, 27 Sep 2020 11:59 AM (IST) Updated:Sun, 27 Sep 2020 11:59 AM (IST)
चंद्रमा पर धरती से 200 गुना ज्यादा रेडिएशन, अंतरिक्ष यात्रियों को करना पड़ता है सर्वाधिक जोखिम का सामना
अंतरिक्ष यात्री पृथ्वी की तुलना में 10 गुना अधिक रेडिएशन के संपर्क में हैं। फाइल फोटो

नई दिल्ली, जेएनएन। नासा एक बार फिर चंद्रमा पर अंतरिक्ष यात्री भेजने जा रहा है। चंद्रमा पर जब 2024 में महिला अंतरिक्ष यात्री पहुंचेंगी तो उन्हें इसकी सतह पर धरती से 200 गुना ज्यादा रेडिएशन का सामना करना होगा। पहली बार चंद्रमा की सतह पर रेडिएशन के बारे में जानकारी सामने आई है। जर्नल साइंस एडवांसेज के अध्ययन से पता लगा कि चीन का चेंग 4 रोबोटिक अंतरिक्ष यान 3 जनवरी 2019 को चंद्रमा की सतह पर उतरा था। जिसने जर्मनी के लैंडर न्यूट्रॉन एंड डोसिमेट्री उपकरण से रेडिएशन मापा। अध्ययन में जर्मन एयरोस्पेस सेंटर के शोधकर्ताओं सहित कई वैज्ञानिक शामिल रहे। रेडिएशन अंतरिक्ष यात्रियों के स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव डाल सकता है।

अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से ज्यादा

अध्ययन के अनुसार, चंद्रमा मिशन के अंतरिक्ष यात्री प्रतिदिन 1,369 माइक्रोसेवर्ट के बराबर औसत दैनिक रेडिएशन का सामना करेंगे। यह अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के चालक दल को दैनिक मिलने वाली विकिरण

की खुराक से 2.6 गुना अधिक होता है।

कई तरह के रेडिएशन हैं मौजूद

अंतरिक्ष यात्री अंतरिक्ष में कई तरह के हानिकारक रेडिएशन स्नोतों का सामना करते हैं, जिनसे पृथ्वी का वातावरण

बहुत हद तक इनसे हमारी रक्षा करता है। इसमें गैलेक्टिक कॉस्मिक किरणें, छिटपुट सोलर कक्ष

(जब सूर्य इन कणों को प्रसारित करता है तो यह तेज हो जाते हैं ) शामिल हैं। साथ ही न्यूट्रॉन और गामा किरणें अंतरिक्ष के रेडिएशन और चंद्रमा की मिट्टी की पारस्परिक प्रक्रिया से निकलती हैं।

ऐसे समझिए रेडिएशन को

रेडिएशन ऊर्जा है, जो विद्युत चुंबकीय तरंगों या कणों में उत्सर्जित होती है। जिसमें दृश्य प्रकाश और गर्मी (इंफ्रारेड रेडिएशन) शामिल है, जिसे हम महसूस कर सकते हैं और अन्य को नहीं जैसे एक्सरे और रेडियो तरंगे।

अंतरिक्ष यात्रा के दौरान होता है रेडिएशन का जोखिम

जर्मनी के कील स्थित विश्वविद्यालय में भौतिकी के प्रोफेसर रॉबर्ट विमर श्विंगरबर ने कहा कि हमने चंद्रमा पर रेडिएशन का स्तर मापा जो धरती की सतह से 200 गुना और न्यूयॉर्क से फ्रैंकफर्ट की फ्लाइट से 5 से 10 गुना अधिक है। वे भी अध्ययन से जुड़े रहे हैं। अध्ययन के मुताबिक अंतरिक्ष यात्रियों को सर्वाधिक जोखिम का सामना करना पड़ता है, क्योंकि गैलेक्टिक कॉस्मिक किरणों के ज्यादा संपर्क में रहने से यह केंद्रीय तंत्रिका तंत्र या अन्य अंग प्रणालियों के कैंसर और ऐसे ही रोगों की ओर ले जा सकता है।

मंगल मिशन में ज्यादा खतरा

अंतरिक्ष यात्री एक साल से अंतरराष्ट्रीय स्टेशन पर मौजूद हैं। यह स्टेशन पृथ्वी के सुरक्षात्मक चुंबकीय क्षेत्र में है। इसका अर्थ है कि अंतरिक्ष यात्री पृथ्वी की तुलना में 10 गुना अधिक रेडिएशन के संपर्क में हैं। हालांकि यह उस

जगह की तुलना में बहुत कम है, जो कि अंतरिक्ष के और अंदर मौजूद है। मंगल मिशन में दो से तीन साल लगते

हैं, ऐसे में मिशन के दौरान ज्यादा खुराक की संभावना होगी। नासा ने कहा है कि सुरक्षात्मक उपायों को अपनाया जाएगा। दवाओं को लेकर भी अध्ययन किया जा रहा है। यह रेडिएशन से बचाव में मदद कर सकता है।

chat bot
आपका साथी