कई बड़े धमाकों से दहली दुनिया, लेकिन इस धमाके में छिपे थे कई राज; नहीं समझ पाईं थीं बेनजीर
यह धमाका इतिहास में केवल इसलिए दर्ज नहीं है कि इसमें बड़ी तादाद में लोग मारे गए थे बल्कि इस हमले में पाक की पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो बाल-बाल बच गईं थीं।
नई दिल्ली, [जागरण स्पेशल] । कई दफे बड़े धमाकों से ये दुनिया दहली है। 18 अक्टूबर, 2007 को ऐसा ही एक धमाका पाकिस्तान में हुआ था। इस धमाके में बड़ी तादाद में लोग मारे गए थे। यह धमाका इतिहास में केवल इसलिए दर्ज नहीं है कि इसमें बड़ी तादाद में लोग मारे गए थे, बल्कि यह धमाका इसलिए भी याद किया जाता है, क्योंकि इस हमले में पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री बेनज़ीर भुटटो बाल-बाल बच गईं थीं। इस धमाके में वह बच तो गईं, लेकिन मौत उनका पीछा करती रही। करीब दो महीने बाद एक अन्य बड़े धमाके में वह नहीं बच सकीं। इस धमाके में उनकी जान चली गई, क्योंकि इस धमाके बाद भी बेनज़ीर सचेत नहीं हुई थीं। इस लापरवाही का नतीजा था उनकी मौत।
27 दिसंबर 2007 में बेनज़ीर की हत्या
27 दिसंबर, 2007 की तारीख थी। स्थान था-पाकिस्तान का रावलपिंडी। बेनज़ीर को एक चुनावी सभा को संबोधित करना था। बेनज़ीर की चुनावी सभा समाप्त हो चुकी थी। उनका काफिला इस्लामाबाद की ओर रवाना होने के लिए रैली की भीड़ को चीरता हुआ आगे निकल रहा था। बेनज़ीर जैसे ही अपने समर्थकों को जवाब देने के लिए कार से बाहर निकलीं, उसके बाद वहां तीन गोलियां चलीं और एक भयानक विस्फोट हुआ। इस धमाके में बेनज़ीर समेत 25 लोग मारे गए थे।
15 साल के खुदकुश बिलाल ने इस धमाके को अंजाम दिया था। इस धमाके में ही बेनज़ीर की मौत छिपी थी। इस हत्या में तालिबान का नाम सामने आया था। कहा जाता है कि बिलाल ने यह हमला तालिबान के हुक्म की तामील करते हुए किया था। बेनज़ीर की चुनावी सभा समाप्त हो चुकी थी। उनका भाषण खत्म हो चुका था। मौत उनके करीब थी। बिलाल उनकी कार के पास था। पहले उसने बेनज़ीर को गोली मारी और फिर खुद को उड़ा दिया।
बेनज़ीर भुट्टो किसी मुस्लिम देश की कमान संभालने वाली पहली महिला थीं। उनकी हत्या के दस वर्ष गुजर चुके हैं। बेनज़ीर भुट्टो पाकिस्तान में लोकतांत्रिक तरीके से चुने गए पहले प्रधानमंत्री जुल्फ़िकार अली भुट्टो की बेटी थीं। जनरल ज़िया-उल-हक के जमाने में उनके पिता का सियासी सफर वक्त के पहले खत्म हो गया, जब उन्हें फांसी दे दी गई।
मौत के बाद आरोपों का दौर
उनकी मौत के लिए तालिबान को जिम्मेदार ठहराया गया, लेकिन तालिबान ने इस आरोप को खारिज कर दिया। उस वक्त तत्कालीन राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ पर भी आरोप लगा कि वह बेनजीर को मरवाना चाहते थे। 2013 में पाकिस्तान की एक अदालत में उनके खिलाफ हत्या के जुड़े आरोप तय हुए, लेकिन 2016 में मुशर्रफ पाकिस्तान से भाग गए। भु्ट्टो की मौत के बाद पाक में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की सरकार बनी। बेनजीर के पति आसिफ अली जरदारी देश के राष्ट्रपति बने। वह बेनजीर के हत्यारों को बेनकाब करने में नाकाम रहे। तब शक की सुई जरदारी की तरफ भी गई।