भारत और चीन दिसंबर के दूसरे पखवाड़े में करेंगे 14वें दौर की कोर कमांडर स्‍तर की बातचीत, जानें क्‍या होगा एजेंडा

वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर जारी गतिरोध को दूर करने के लिए भारत और चीन दिसंबर के दूसरे पखवाड़े में 14वें दौर की कोर कमांडर स्‍तर की बातचीत आयोजित कर सकते हैं। जानें भारत का क्‍या रहने वाला है रुख...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Thu, 02 Dec 2021 03:40 PM (IST) Updated:Fri, 03 Dec 2021 12:56 AM (IST)
भारत और चीन दिसंबर के दूसरे पखवाड़े में करेंगे 14वें दौर की कोर कमांडर स्‍तर की बातचीत, जानें क्‍या होगा एजेंडा
भारत और चीन दिसंबर के दूसरे पखवाड़े में 14वें दौर की कोर कमांडर स्‍तर की बातचीत आयोजित कर सकते हैं।

नई दिल्‍ली, एजेंसियां। वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर जारी गतिरोध के समाधान की कोशिशों के तहत भारत और चीन के बीच कोर कमांडर स्तरीय वार्ता दिसंबर के दूसरे पखवाड़े में होने की उम्मीद है। यह दोनों देशों के बीच 14वें दौर की सैन्य वार्ता होगी। सरकारी सूत्रों ने बताया कि सैन्य वार्ता के लिए आमंत्रण चीनी पक्ष की ओर से आना है। दोनों देशों के बीच यह बातचीत दिसंबर के दूसरे पखवाड़े में हो सकती है। सूत्रों ने कहा कि यह समय भारत के लिए भी उपयुक्त होगा, क्योंकि सशस्त्र बल 16 दिसंबर तक 1971 की लड़ाई में पाकिस्तान की हार और भारत की जीत के स्वर्ण जयंती वर्ष पर आयोजनों में व्यस्त होंगे।

बताते चलें कि गतिरोध का हल निकालने के लिए भारत और चीन के सैन्य अधिकारी पूर्वी लद्दाख इलाके में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर बातचीत करते रहे हैं। दोनों देशों के बीच अब तक 13 दौर की वार्ता हो चुकी है। फिलहाल दोनों पक्ष हाट स्पि्रंग्स में गतिरोध का हल निकालने का प्रयास कर रहे हैं। पिछले साल चीनी अतिक्रमण के बाद से दोनों देशों के बीच इसको लेकर गतिरोध बना हुआ है। पैंगोंग झील और गोगरा इलाकों में टकराव वाले स्थलों का समाधान निकाला जा चुका है।

सूत्रों का कहना है कि दोनों देश हाट स्प्रिंग्स में जारी गतिरोध के समाधान को लेकर बातचीत करना चाहते हैं। मालूम हो कि अब तक की सैन्‍य बातचीत और विदेश मंत्रियों के स्‍तर पर हुई वार्ता में पैंगोंग झील और गोगरा हाइट्स के किनारे वाले फ्रि‍क्‍शन प्‍वाइंट को लेकर जारी गतिरोध को दूर कर लिया गया है। हालांकि अभी भी हाट स्प्रिंग्स में गतिरोध को दूर किया जाना बाकी है। सूत्रों का कहना है कि भारत डीबीओ क्षेत्र और सीएनएन जंक्शन क्षेत्र के समाधान की भी मांग कर रहा है जो विरासती और पुराने मुद्दे माने जाते हैं।

अब तक भारत ने चीनी आक्रामकता का पुरजोर तरीके से जवाब देता आया है। भारत क्षेत्र में शांति स्थापित करने का पक्षधर रहा है और लगातार इस दिशा में काम करता रहा है लेकिन पिछले कुछ महीनों में चीन रवैया लगातार उकसाने वाला रहा है। यही कारण है कि भारत ने चीनी सैनिकों की ओर से की जाने वाली किसी भी दुस्साहस को विफल करने के लिए उच्च स्तरीय सैन्‍य तैयारियों को भी बनाए रखी है।

मौजूदा वक्‍त में भी सीमा पर दोनों देशों के बीच तनाव बरकरार है। दोनों देशों ने भारी हथियारों के साथ बड़ी संख्या में जवानों को इलाके में तैनात कर रखा है। चीन ने एलएसी के बहुत समीप सैनिकों के लिए आवास बनाकर लद्दाख के विपरीत क्षेत्रों में अपनी गतिविधियों को बढ़ा दिया है। चीन के आक्रामक बुनियादी ढांचे के निर्माण कार्यों को देखते हुए ऐसा लग रहा है कि वह किसी बड़ी योजना पर काम कर रहा है। चीन की हरकतों को देखकर भारत भी तेजी से बुनियादी ढांचे को विकसित करने में जुटा हुआ है। भारत ने सैनिकों के लिए सड़कों और आवासों को तेजी से विकसित किया है।

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