हाट स्प्रिंग, गोगरा और अन्य टकराव के बिंदुओं को खाली करे चीन, सैन्य स्तर की 12वें दौर की वार्ता में भारत की दो-टूक

भारत और चीन के बीच 12वें दौर की कोर कमांडर स्तर की शनिवार को शाम 7.30 बजे संपन्न हो गई। नौ घंटे तक चली इस बैठक में दोनों पक्षों ने पूर्वी लद्दाख सेक्टर में चल रहे सैन्य गतिरोध को हल करने के मुद्दों पर चर्चा की।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Sat, 31 Jul 2021 08:56 PM (IST) Updated:Sat, 31 Jul 2021 11:32 PM (IST)
हाट स्प्रिंग, गोगरा और अन्य टकराव के बिंदुओं को खाली करे चीन, सैन्य स्तर की 12वें दौर की वार्ता में भारत की दो-टूक
भारत और चीन के बीच 12वें दौर की कोर कमांडर स्तर की शनिवार को शाम 7.30 बजे संपन्न हो गई।

नई दिल्ली, पीटीआइ। भारत ने चीन से साफतौर पर कह दिया कि वह पूर्वी लद्दाख के हाट स्पि्रंग, गोगरा और अन्य टकराव के बिंदुओं से अपने सैनिकों और हथियारों को तुरंत हटाए। शनिवार को दोनों देशों के बीच सैन्य स्तर की 12वें दौर की बातचीत में भारत ने इसको लेकर दबाव बनाया। भारत और चीन की तरफ से बातचीत को लेकर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है। सूत्रों ने बताया कि सभी मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हुई।

नौ घंटे तक चली बातचीत

वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन की तरफ मोल्डो में नौ घंटे तक चली बातचीत से गोगरा और हाट स्प्रिंग से सैनिकों को हटाने की प्रक्रिया शुरू होने की उम्मीद है। बैठक सुबह 10:30 बजे शुरू हुई और शाम 7:30 बजे तक चली। माना जा रहा है कि दोनों देशों के बीच सैनिकों को हटाने की प्रक्रिया के साथ ही अन्य टकराव वाले बिंदुओं पर तनाव करने को लेकर विस्तार से बातचीत हुई। बताया जा रहा है कि दोनों पक्ष क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखने पर भी सहमत हैं।

सैनिकों को हटाने की प्रक्रिया पर जोर

सूत्रों ने बताया कि भारत ने तत्काल टकराव को खत्म करने और हाट स्प्रिंग और गोगरा में सैनिकों को हटाने की प्रक्रिया तेज करने पर बार-बार जोर दिया। बातचीत शुरू होने से पहले भारत ने सैनिकों को हटाने के मसले पर सकारात्मक नतीजे आने की उम्मीद जताई थी।

सभी मुद्दों का समाधान जरूरी

भारत लगातार इस पर जोर देता रहा है कि दोनों देशों के बीच सामान्य संबंधों के लिए देपसांग, हाट स्प्रिंग और गोगरा समेत सभी मुद्दों का समाधान जरूरी है। सैन्य स्तर की यह बातचीत लगभग साढ़े तीन महीने बाद हुई है। 11वें दौर की सैन्य स्तर की वार्ता नौ अप्रैल को एलएसी पर भारत की तरफ चोशुल में हुई थी जो करीब 13 घंटे चली थी।

जयशंकर ने दिए थे सख्त संदेश

इस वार्ता से दो हफ्ते पहले ही विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अपने चीनी समकक्ष वांग यी को बता चुके थे कि पूर्वी लद्दाख के मौजूदा हालात के चलते दोनों देशों के संबंधों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। दोनों मंत्रियों के बीच 14 जुलाई को ताजिकिस्तान के दुशांबे में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की बैठक के दौरान अलग से एक घंटे की बातचीत हुई थी।

एलएसी पर एकतरफा बदलाव स्वीकार्य नहीं

जयशंकर ने यी से यह भी स्पष्ट कर दिया था कि एलएसी पर किसी भी तरह का एकतरफा बदलाव भारत को स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने यह भी कहा था कि पूर्वी लद्दाख में पूरी तरह से शांति के बहाली के बाद ही दोनों देशों के बीच समग्र संबंध विकसित हो सकते हैं।

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