18 से 45 उम्र समूह के 59 करोड़ लोगों के लिए चाहिए वैक्सीन की 122 करोड़ डोज, केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को दी जानकारी
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि भारत में वर्तमान में उपलब्ध दो वैक्सीन कोवैक्सीन व कोविशील्ड की सीमित उपलब्धता के मद्देनजर सरकार के लिए सर्वाधिक वैज्ञानिक तरीके से टीकाकरण की प्राथमिकता तय करना जरूरी हो गया था।
नई दिल्ली, प्रेट्र। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी है कि 18 से 45 आयु वर्ग के 59 करोड़ लोगों को कोरोना का टीका (वैक्सीन) लगाने के लिए कुल 122 करोड़ डोज की जरूरत होगी। शीर्ष अदालत में दाखिल हलफनामे में केंद्र सरकार ने कहा कि टीकाकरण केंद्र सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है और उपलब्ध संसाधनों को ध्यान में रखते हुए व वैक्सीन डोज की उपलब्धता के मद्देनजर कम से कम समय में सौ फीसद टीकाकरण के लक्ष्य को हासिल करने के सभी प्रयास किए जा रहे हैं।
केंद्र ने कहा, 'भारत में वर्तमान में उपलब्ध दो वैक्सीन कोवैक्सीन व कोविशील्ड की सीमित उपलब्धता के मद्देनजर सरकार के लिए सर्वाधिक वैज्ञानिक तरीके से टीकाकरण की प्राथमिकता तय करना जरूरी हो गया था। टीकाकरण की प्राथमिकता तय करते समय पहली प्राथमिकता स्वास्थ्य कर्मियों को दी गई। वर्ष 2021 के लिए 18 से 45 आयु वर्ग के लोगों की आबादी करीब 59 करोड़ है। इस समूह के लोगों का टीकाकरण करने के लिए कुल 122 करोड़ डोज की जरूरत (बर्बाद होने वाली अनुमानित डोज शामिल) होगी।'
हलफनामे के मुताबिक, केंद्र ने पहले ही अन्य देशों में स्वीकृत टीकों के आपात इस्तेमाल को अनुमति प्रदान कर दी है। रूस व अन्य देशों में अध्ययन या क्लीनिकल ट्रायल और डा. रेड्डी लेबोरेटरीज द्वारा भारत में किए गए फेज-2 एवं फेज फेज-3 ट्रायल के आंकड़ों के आधार पर स्पुतनिक-वी टीके के आपात इस्तेमाल का पहले ही लाइसेंस दिया जा चुका है।
अनुमान के मुताबिक, स्थानीय स्तर पर निर्मित स्पुतनिक-वी टीका जुलाई से उपलब्ध हो सकेगा। उम्मीद है कि स्थानीय स्तर पर निर्मित स्पुतनिक-वी टीके की जुलाई और अगस्त में क्रमश: 80 लाख और 1.6 करोड़ डोज उपलब्ध होंगी। इसके अलावा भारत सरकार पिछले साल के मध्य से ही फाइजर, माडर्ना और जानसन एंड जानसन के लगातार संपर्क में है ताकि इन कंपनियों को भारत में स्थानीय साझीदारों के साथ संबंधित टीकों के विकास/ आपूर्ति/ उत्पादन के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। याद दिला दें कि शीर्ष अदालत ने 22 अप्रैल को देश में महामारी के हालात पर स्वत: संज्ञान लिया था और केंद्र से इससे निपटने की राष्ट्रीय योजना पेश करने को कहा था।