UP Board Exam 2021: CBSE की तरह यूपी बोर्ड स्टूडेंट्स को नहीं कर सकता प्रमोट, जानें- क्या है वजह

UP Board Exam 2021 सीबीएसई व यूपी बोर्ड की परीक्षा प्रणाली में अंतर बरकरार है। सीबीएसई में मासिक टेस्ट के अलावा छमाही व वार्षिक परीक्षा का पूरा रिकॉर्ड ऑनलाइन है। केंद्रीय बोर्ड छात्र-छात्राओं के प्रदर्शन के आधार पर हाईस्कूल में आसानी से प्रमोट कर सकता है।

By Umesh TiwariEdited By: Publish:Sat, 08 May 2021 07:23 PM (IST) Updated:Sun, 09 May 2021 07:46 AM (IST)
UP Board Exam 2021: CBSE की तरह यूपी बोर्ड स्टूडेंट्स को नहीं कर सकता प्रमोट, जानें- क्या है वजह
सीबीएसई की तरह यूपी बोर्ड हाईस्कूल के छात्र-छात्राओं को प्रमोट करने की स्थिति में नहीं है।

लखनऊ, जेएनएन। कोरोना की दूसरी लहर ने बड़ी संख्या में लोगों की सांसें छीन ली हैं और हजारों लोग बीमारी से जूझ रहे हैं। विकट दौर ने परीक्षार्थियों की संख्या के हिसाब से सबसे बड़े परीक्षा संस्थान उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) में सुधार करने का रास्ता भी दिखाया है। इस समय परीक्षाएं होना संभव नहीं व केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) की तरह यूपी बोर्ड हाईस्कूल के छात्र-छात्राओं को प्रमोट करने की स्थिति में नहीं है। यूपी बोर्ड के पास विद्यालय स्तर पर होने वाली वर्षभर की परीक्षाओं का रिकॉर्ड नहीं है। बोर्ड के साथ शासन भी इसका रास्ता खोज रहा है।

असल में, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने अप्रैल माह में निर्णय लिया कि इस वर्ष हाईस्कूल की परीक्षा नहीं होगी, परीक्षार्थी अगली कक्षा में प्रमोट होंगे। इस संबंध में निर्देश जारी कर दिए गए हैं। इंटरमीडिएट के संबंध में फैसला होना है। इधर सीबीएसई व यूपी बोर्ड का पाठ्यक्रम लगभग समान है लेकिन, दोनों की परीक्षा प्रणाली में अंतर बरकरार है। सीबीएसई में मासिक टेस्ट के अलावा छमाही व वार्षिक परीक्षा का पूरा रिकॉर्ड ऑनलाइन है। केंद्रीय बोर्ड छात्र-छात्राओं के प्रदर्शन के आधार पर हाईस्कूल में आसानी से प्रमोट कर सकता है।

वहीं, यूपी बोर्ड में कक्षा 9 की अर्ध वार्षिक व वार्षिक परीक्षा का रिकॉर्ड बोर्ड मुख्यालय नहीं भेजा जाता, मासिक टेस्ट होते नहीं। इस बार प्री बोर्ड यानी हाईस्कूल व इंटर परीक्षा से पहले स्कूल स्तर की परीक्षा कराने पर जोर दिया गया। फरवरी में इम्तिहान हुए भी हैं लेकिन, उसका रिकॉर्ड बोर्ड के पास नहीं है।

यूपी बोर्ड में अधिकांश कॉलेज वित्तविहीन हैं, जबकि राजकीय व अशासकीय कॉलेज एक तिहाई ही हैं। अब जिलों से 9 वीं और प्री बोर्ड का रिकॉर्ड मांगना उचित नहीं है। इतना जरूर है कि शासन व बोर्ड सीबीएसई के निर्णय के बाद से इस पर मंथन कर रहा है। संभव है कि आगे कोई रास्ता निकले। देर-सबेर परीक्षा ही अंतिम विकल्प हो सकती है।

नई शिक्षा नीति में परीक्षा रहेगी अहम : यूपी में नई शिक्षा नीति लागू होनी है, इस बार कोरोना की वजह से जिस तरह परीक्षाएं टालना और प्रमोट करने में परेशानी हो रही है, उससे निकलने का रास्ता खोजा जाएगा, ताकि भविष्य में ऐसे हालात न बन सकें। परीक्षा प्रणाली में बड़े सुधार करने का रास्ता साफ हो गया है।

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