शिक्षा मंत्रालय के एजुकेशन पोर्टल से उड़िया भाषा हटने पर इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री ने जताई चिंता, पढ़ें अपडेट

शिक्षा मंत्रालय द्वारा संचालित एक ऑनलाइन पोर्टल से उड़िया भाषा हट जाने पर ओडिशा के इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री तुषार कांति बेहरा ने चिंता जताई है। ऑनलाइन पोर्टल से उड़िया भाषा को बाहर करने पर मंत्री ने केंद्र सरकार से इस अन्यायपूर्ण निर्णय पर पुनर्विचार करने की अपील की है।

By Nandini DubeyEdited By: Publish:Sat, 12 Jun 2021 11:57 AM (IST) Updated:Sat, 12 Jun 2021 12:11 PM (IST)
शिक्षा मंत्रालय के एजुकेशन पोर्टल से उड़िया भाषा हटने पर इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री ने जताई चिंता, पढ़ें अपडेट
ओडिशा के इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री तुषार कांति बेहरा (Odisha electronics and IT minister Tushar Kanti Behera)

शिक्षा मंत्रालय द्वारा संचालित एक ऑनलाइन पोर्टल से उड़िया भाषा हट जाने पर ओडिशा के इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री तुषार कांति बेहरा (Odisha electronics and IT minister Tushar Kanti Behera) ने चिंता जताई है। मंत्रालय द्वारा संचालित एक ऑनलाइन पोर्टल से ओड़िया भाषा को बाहर करने पर मंत्री ने केंद्र सरकार से इस "अन्यायपूर्ण" निर्णय पर पुनर्विचार करने की अपील की है। दरअसल हाल ही में शिक्षा मंत्रालय ने घोषणा की थी कि स्वयं पोर्टल पर उड़िया सहित 10 भाषाओं में स्टडी मैटेरियल उपलब्ध कराया जाएगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि, जिससे छात्रों को पढ़ाई में किसी भी प्रकार की कोई समस्या न हो

लेकिन अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) द्वारा स्टडी मैटेरियल के अनुवाद के दौरान उड़िया भाषा को हटा दिया गया है। इलेक्ट्रानिक्स और आईटी मंत्री ने अपने एक बयान में कहा कि एआईसीटीई की सिफारिश पर भाषा को हटाने का मंत्रालय का फैसला "दुर्भाग्यपूर्ण और अन्यायपूर्ण" है। मंत्री ने कहा कि अगर उड़िया भाषा को बाहर करने से खासतौर पर  ग्रामीण क्षेत्रों में छात्रों को पढ़ाई में मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। छात्र-छात्राएं गुणवत्तापूर्ण ई-शिक्षा से वंचित हो जाएंगे। 

मंत्री ने आगे कहा कि वैसे भी COVID-19 महामारी के बीच छात्र ऑनलाइन शिक्षा पर बहुत अधिक निर्भर हैं। इन परिस्थितियों में उड़िया भाषा को छोड़ने का निर्णय छात्रों के लिए मुश्किल पैदा कर सकता है। उन्होंने कहा, किसी भी परिस्थिति में उड़िया के छात्रों के भविष्य से समझौता नहीं किया जाएगा। इसलिए केंद्र सरकार से अपील की जाएगी कि, वे अपने इस फैसले पर एक बार फिर विचार करें। 

गौरतलब है कि पिछले साल यानी कि मार्च 2020 में कोरोना वायरस महामारी की पहली लहर आने के बाद से ही सभी स्कूल-कॉलेज समेत शैक्षणिक संस्थान बंद कर दिए गए थे। हालांकि हालात कुछ सुधरने के बाद साल के अंत में स्कूल-कॉलेजों को खोला गया था लेकिन साल 2021 के अप्रैल में मामले बढ़ने के बाद से दोबारा स्कूल-कॉलेजों को बंद कर दिया गया था। 

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