Army Religious Teacher: जानें सेना में धर्म शिक्षक बनने के लिए ये होनी चाहिए योग्यता; पंडित, मौलवी, पादरी और ग्रंथी भर्ती

Indian Army Religious Teacher भारतीय सेना द्वारा अपने विभिन्न रेजीमेंट और यूनिट में स्थापित धार्मिक संस्थानों में धार्मिक कार्यों को सम्पन्न कराने धार्मिक पुस्तकों का व्याख्यान करने और सेनाकर्मियों में विभिन्न प्रकार धार्मिक परंपराओं को पूरा कराने के लिए समय-समय पर धर्म शिक्षक की भर्ती की जाती है।

By Rishi SonwalEdited By: Publish:Mon, 11 Jan 2021 04:43 PM (IST) Updated:Tue, 12 Jan 2021 07:46 AM (IST)
Army Religious Teacher: जानें सेना में धर्म शिक्षक बनने के लिए ये होनी चाहिए योग्यता; पंडित, मौलवी, पादरी और ग्रंथी भर्ती
देश सेवा के साथ-साथ धर्म में रूचि रखने वालों के लिए धार्मिक शिक्षक एक बेहतरीन कैरियर विकल्प है।

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। Indian Army Religious Teacher: देश सेवा के साथ-साथ धर्म और अध्यात्म में रूचि रखने वालों के लिए सेना में धर्म शिक्षक के तौर पर नियुक्ति एक बेहतरीन कैरियर विकल्प हो सकता है। जी हां, भारतीय सेना द्वारा अपने विभिन्न रेजीमेंट और यूनिट में स्थापित धार्मिक संस्थानों में धार्मिक कार्यों को सम्पन्न कराने, धार्मिक पुस्तकों का व्याख्यान करने और सेनाकर्मियों में विभिन्न प्रकार धार्मिक परंपराओं को पूरा कराने के लिए समय-समय पर धर्म शिक्षक की भर्ती की जाती है। इसके अतिरिक्त सेना में धर्म शिक्षक के तौर पर अंतिम संस्कार कराने, अस्पतालों में बीमारों के स्वास्थ्य लाभ के लिए प्रार्थना करने, सजा काट करे सिपाहियों से मिलने और सैन्य अधिकारियों, सिपाहियों के ब्च्चों और परिवार के अन्य सदस्यों को धार्मिक संदेश देने के काम करने होते हैं।

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धर्म शिक्षक के लिए शैक्षणिक योग्यता

भारतीय सेना द्वारा धर्म शिक्षक की भर्ती पंडित, गोरखा रेजीमेंट के लिए पंडित (गोरखा), ग्रंथी, मौलवी (सुन्नी), लदाख स्काउट्स के लिए मौलवी (शिया), पादरी और लदाख स्काउट्स के लिए बौध मांक (महायान) के तौर पर की जाती है। इन सभी के लिए सेना द्वारा योग्यता मानदंड निर्धारित किये गये हैं। आइए इन सभी को बारी-बारी से जानते हैं।

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पंडित और गोरखा रेजीमेंट के लिए पंडित (गोरखा) की योग्यता: पंडित के तौर पर धर्म शिक्षक के लिए उम्मीदवारों को किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से स्नातक डिग्री उत्तीर्ण होना चाहिए। इसके अतिरिक्त उम्मीदवारों को हिंदू धर्म से सम्बन्धित होना चाहिए एवं संस्कृत में आचार्य होना चाहिए या संस्कृत में आचार्य के साथ-साथ कर्म-कांड में एक वर्षीय डिप्लोमा किया होना चाहिए। इन पदों के लिए आयु सीमा भर्ती के वर्ष में 25 वर्ष से कम और 34 वर्ष से अधिक नहीं होनी चाहिए।

ग्रंथी के तौर पर धार्मिक शिक्षक के लिए योग्यता: सिख धर्म से सम्बन्ध रखने वाले किसी भी विषय में स्नातक उम्मीदवार सेना में ग्रंथी के तौर पर धर्म शिक्षक बन सकते हैं। इसके  साथ ही उम्मीदवारों को पंजाबी में ज्ञानी होना चाहिए। इन पदों के लिए भी आयु सीमा 25 से 34 वर्ष है।

मौलवी (सुन्नी), लदाख स्काउट्स के लिए मौलवी (शिया) के लिए योग्यता: इसी प्रक्रार मुस्लिम स्नातक उम्मीदवार सेना में मौलवी (सुन्नी) और लदाख स्काउट्स के लिए मौलवी (शिया) बना सकते हैं। साथ ही, इन उम्मीदवारों को अरबी में मौलवी आलिम या उर्दू में आदिब आलिम होना चाहिए। इन पदों के लिए भी आयु सीमा 25 से 34 वर्ष है।

पादरी के तौर पर धर्म शिक्षक की योग्यता: ईसाई धर्म के स्नातक उत्तीर्ण उम्मीदवार आवेदन के पात्र हैं। साथ ही, सम्बन्धित प्राधिकारी से प्रीस्टहुड प्राप्त किया होना चाहिए एवं स्थानीय बिशप की मान्य सूची में सूचीबद्ध होना चाहिए। आयु सीमा 25 से 34 वर्ष है।

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बौध मांक (महायान) के लिए योग्यता: सेना में बौध मांक (महायान) के तौर पर धर्म शिक्षक बनने के लिए भी योग्यता स्नातक है और आयु सीमा 25 से 34 वर्ष है। हालांकि, उम्मीदवारों को सम्बन्धित प्राधिकारिक से मांक/बुद्धिस्ट प्रीस्ट के तौर पर मान्यता प्राप्त होना चाहिए।

धर्म शिक्षक के लिए शारीरिक मानदंड

सेना में धर्म शिक्षक बनने के लिए सभी उम्मीदवारों की ऊंचाई 160 सेमी होनी चाहिए। हालांकि, गोरखा एवं लदाखी उम्मीदवारों के लिए ऊंचाई 155 सेमी होनी चाहिए, जबिक एवं अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह और लक्षदीप के उम्मीदवारों के लिए ऊंचाई 155 सेमी होनी चाहिए। इसके अतिरिक्त चेस्ट 77 सेमी और वजन 50 किलो होना चाहिए। गोरखा एवं लदाखी उम्मीदावरों के लिए वजन 48 किलो है। इन सभी के अतिरिक्त उम्मीदवारों को 8 मिनट में 1600 मीटर दौड़ने में सक्षम होना चाहिए। पर्वतीय इलाकों में ऊंचाई के अनुसार इस अवधि में 30 सेकेंड से 120 सेकेंड का अतिरिक्त समय भी दिया जाता है।

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