धान के अधिक उत्पादन के लिए उगाए ये प्रमुख उन्नत किस्में

देश में साल 1960-61 में धान का उत्पादन 34.5 मिलियन टन था। वहीं देश के किसानों और वैज्ञानिकों के सामूहिक प्रयास को देखते हुए सरकार ने साल 2021 के लिए धान उत्पादन का लक्ष्य 11.96 करोड़ टन रखा है।

By Ankit KumarEdited By: Publish:Wed, 11 Aug 2021 02:06 PM (IST) Updated:Wed, 11 Aug 2021 02:06 PM (IST)
धान के अधिक उत्पादन के लिए उगाए ये प्रमुख उन्नत किस्में
आज बासमती की 23 से अधिक उन्नत किस्में मौजूद है।

नई दिल्ली, ब्रांड डेस्क। जनसंख्या के लिहाज से चीन के बाद भारत सबसे बड़ा देश है। इतनी बड़ी आबादी के लिए अन्न की पूर्ति करना किसी चुनौती से कम नहीं है। ऐसे में किसानों को आज आधुनिक खेती अपनाना होगा। धान भारत ही नहीं बल्कि दुनिया की प्रमुख खाद्यान्य फसल है। भारत की एक बड़ी आबादी का अन्न धान ही है। देश की अन्न आपूर्ति के लिए जहां किसान विषम परिस्थियों में खेती कर रहे हैं, वहीं कृषि वैज्ञानिक अपनी लगन, अथक प्रयास और शोध के जरिए विभिन्न फसलों, सब्जियों तथा फलों की नई किस्म ईजाद करने में जुटें हैं।

देश में साल 1960-61 में धान का उत्पादन 34.5 मिलियन टन था। वहीं देश के किसानों और वैज्ञानिकों के सामूहिक प्रयास को देखते हुए सरकार ने साल 2021 के लिए धान उत्पादन का लक्ष्य 11.96 करोड़ टन रखा है। बता दें कि धान का अधिक उत्पादन उन्नत किस्मों के चुनाव, आधुनिक कृषि उपकरणों के इस्तेमाल तथा वैज्ञानिक खेती से ही संभव है। वैसे तो धान की पहली उन्नत किस्म जीईबी-24 साल 1921 में किसानों के बीच जारी की गई थी। तब से लेकर आज तक हमारे कृषि वैज्ञानिक धान की एक हजार से अधिक धान की किस्में ईजाद कर चुके हैं। जो कि अलग-अलग राज्यों की जलवायु, भूमि तथा मौसम के अनुकूल है। वहीं आज बासमती की 23 से अधिक उन्नत किस्में मौजूद है। तो आइए जानते हैं धान की अधिक उत्पादन देने वाली प्रमुख उन्नत किस्में-

विजेता 

धान की इस किस्म को एमटीयू 1001 के नाम से भी जाना जाता है। 135 दिनों में पकने वाली इस किस्म से प्रति हेक्टेयर 6.5 से 9 टन तक पैदावार ली जा सकती है। यह किस्म केवल आंध्र प्रदेश के लिए अनुशंसित है। इसके अलावा आंध्र प्रदेश के लिए सोना मेहसुरी, निलोरे मेहसुरी जैसी किस्में मौजूद है। इन दोनों किस्मों से 6 से 8 टन प्रति हेक्टेयर का उत्पादन लिया जा सकता है।

पीआर 122 

यह किस्म पंजाब के लिए अनुशंसित है जो 147 दिनों में परिपक्व हो जाती है। इससे प्रति हेक्टेयर 7.8 टन उत्पादन लिया जा सकता है। इसके अलावा पंजाब की जलवायु के लिए पीआर 113, पीआर 121, पीआर 114 तथा पीआर 116 जैसे किस्में उपयुक्त है।

एनडीआर 359 

यह किस्म 130 में पक जाती है तथा इससे प्रति हेक्टेयर 6 से 7.5 प्रति हेक्टेयर तक का उत्पादन लिया जा सकता है। यह उत्तर प्रदेश, असम, बिहार तथा उड़ीसा जैसे राज्यों के लिए अनुशंसित है।

पंत धन 12 

कम अवधि (110 दिनों) में पकने वाली यह किस्म उत्तर प्रदेश तथा उत्तराखंड के मैदानी भागों के अनुकूल है। इससे प्रति हेक्टेयर 5.5 से 6 टन उत्पादन लेना संभव है।

पुसा सुगंधा 2 

धान की यह किस्म 125 दिनों में पक जाती है। इससे प्रति हेक्टेयर 6.2 से 6.5 टन उत्पादन लिया जा सकता है। यह किस्म पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तराखंड, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लिए उपयुक्त है। इन्हीं राज्यों के लिए पुसा सुगंधा-3 तथा पुसा सुगंधा- 5 भी जैसी किस्मने भी अनुशंसित है।

पुसा 44 

लंबी अवधि (140 दिनों) में पकने वाली इस किस्में से प्रति हेक्टेयर 7 से 8 टन तक उत्पादन लिया जा सकता है। यह पंजाब, यूपी, हरियाणा, केरल तथा कर्नाटक राज्य के लिए अनुशंसित है।

पुष्यामी 

इसे एमटीयू 1075 के नाम से जाना जाता है जिससे प्रति हेक्टेयर 6.5 से 8 टन तक उत्पादन लिया जा सकता है। धान की यह किस्म आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात और कर्नाटक के लिए अनुशंसित है।

अक्षयाधन 

130 दिनों में पकने वाली इस किस्म से प्रति हेक्टेयर 6 से 6.5 टन उत्पादन लिया जा सकता है। यह झारखंड, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश तथा कर्नाटक राज्य के लिए अनुशंसित है।

कृष्णा हमसा 

यह किस्म 125 दिनों में पक जाती है। इससे प्रति हेक्टेयर 4.5 से 5 टन उत्पादन लिया जा सकता है। यह आंध्र प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल व त्रिपुरा के लिए अनुशंसित है।

राशि 

कम अवधि की यह किस्म आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, यूपी तथा राजस्थान के लिए अनुसंशित है। इससे प्रति हेक्टेयर 4 से 4.5 टन उत्पादन लिया जा सकता है।

धान की हाइब्रिड किस्में 

भारत में 1989 में धान की हाइब्रिड किस्में विकसित करने की कोशिशें शुरू हुई। आज देश में धान की 72 से अधिक हाइब्रिड किस्में मौजूद है। आइए जानते हैं धान की प्रमुख हाइब्रिड किस्मों के बारे में-

27पी31 

धान की यह हाइब्रिड किस्म है जिससे प्रति हेक्टेयर 8 से 9 टन उत्पादन लिया जा सकता है। यह किस्म 125 से 130 दिनों में पक जाती है। झारखंड, महाराष्ट्र, यूपी, तमिलनाडु, बिहार, कर्नाटक, छत्तीगढ़, मध्य प्रदेश व उड़ीसा के लिए अनुशंसित है।

एचकेआरएच-1 

लंबी अवधि की यह किस्म केवल हरियाणा राज्य के लिए अनुशंसित है। इससे प्रति हेक्टेयर 9.41 टन उत्पादन लिया जा सकता है।

डीआरएच 775 

महज 97 दिनों में पकने वाली धान की इस किस्म से प्रति हेक्टेयर 7 से 7.7 टन उत्पादन लिया जा सकता है। यह किस्म बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, यूपी, उत्तराखंड तथा पश्चिम बंगाल जैसे प्रमुख राज्यों के लिए अनुशंसित है।

जेआरएच 8 

115 से 120 दिनों में पकने वाली इस किस्म से प्रति हेक्टेयर 7.7 टन उत्पादन लिया जा सकता है। यह केवल मध्य प्रदेश के लिए अनुशंसित है।

एचआरआई 157 

130 से 135 दिनों में पकने वाली इस किस्म से प्रति हेक्टेयर 6.50 टन उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। यह किस्म छत्तीसगढ़, गुजरात, बिहार, उड़ीसा, झारखंड, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश तथा त्रिपुरा की जलवायु के लिए उपयुक्त है।

केआरएच-2 

इस किस्म से प्रति हेक्टेयर 7.40 टन उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है। 130 से 135 दिनों में पकने वाली यह किस्म बिहार, तमिलनाडु, त्रिपुरा, कर्नाटक, हरियाणा, महाराष्ट्र, उड़ीसा, उत्तराखंड पांडिचेरी, राजस्थान तथा पश्चिम बंगाल के लिए अनुशंसित है।

पीएचबी 71

यह वैरायटी 130 से 135 दिनों में पक जाती है। वहीं हरियाणा, यूपी, आंध्र पद्रेश, तमिलनाडु, तथा कर्नाटक के लिए अनुशंसित है। इससे प्रति हेक्टेयर 7.80 टन उत्पादन लिया जा सकता है।

हाइब्रिड को-4 

यह किस्म 130 से 145 दिनों में पक जाती है। इससे प्रति हेक्टेयर 7.34 टन उत्पादन लिया जा सकता है। यह तमिलनाडु, गुजरात, उत्तराखंड, यूपी, महाराष्ट्र, बिहार, वेस्ट बंगाल तथा छत्तीसगढ़ के लिए अनुशंसित है।

अन्य हाइब्रिड किस्में

डीआरआरएच-2, सीआरएचआर-7,सहयाद्री-2, सहयाद्री-3, पीएसी 835, पीएसी 837, आईएनडीएएम 200-017, वीएनआर-2245, वीएनआर 2375 प्लस आदि।

बासमती की प्रमुख किस्में

भारत दुनिया का सबसे बड़ा बासमती उत्पादक और निर्यातक देश है। हमारे यहां दुनिया का कुल 70 फीसदी बासमती चावल का उत्पादन होता है। आइए जानते हैं बासमती की प्रमुख उन्नत किस्में-

पुसा बासमती 1509

2013 में ईजाद की गई बासमती चावल की इस किस्म से प्रति हेक्टेयर 5 से 6 उत्पादन लिया जा सकता है।

बासमती 564

145 दिनों में पकने वाली इस किस्म को 2015 में विकसित किया गया है। इससे प्रति हेक्टेयर 3.5 से 4.5 टन उत्पादन लिया जा सकता है।

माही सुगंधा

इस किस्म को राजस्थान स्थित राइस रिसर्च स्टेशन ने 1995 में विकसित किया था। यह किस्म 140 दिनों में पक जाती है। इससे प्रति हेक्टेयर 4 से 4.5 टन उत्पादन लिया जा सकता है।

पुसा बासमती 1

135 दिनों में पकने वाली इस किस्म से प्रति हेक्टेयर 4 से 4.5 टन उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।

पुसा बासमती 6

यह किस्म 150 दिनों पककर तैयारी हो जाती है। इससे प्रति हेक्टेयर 4 से 5 टन उत्पादन लिया जा सकता है।

बासमती की अन्य किस्में

हरियाणा बासमती-1, पंजाब बासमती-1, मालवीय बासमती धान, कस्तुरी, वल्लभ बासमती-21/22/23, सीएसआर 30, रणबीर बासमती आदि।

(नोटः यह आर्टिकल ब्रांड डेस्‍क द्वारा लिखा गया है।)

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