ट्रैक्टर हाइड्रोलिक सिस्टम क्या है? यह कैसे काम करता है?

दुनिया की पहली हाइड्रोलिक मशीन यॉर्कशायर में जन्मे जोसेफ ब्रामाह ने में बनाई थीं. उन्होंने हाइड्रोलिक प्रेस बनाई थीं जो प्रिंटिंग प्रेस में मुद्रांकन के अलावा अन्य कामों में उपयोग की जाती थी. सन 1956 में अमेरिकी अविष्कारक हैरी फ्रैंकलिन विकर्स ने हाइड्रोलिक सिस्टम में कई नए आविष्कार किए.

By Pawan JayaswalEdited By: Publish:Fri, 27 Nov 2020 07:11 PM (IST) Updated:Fri, 27 Nov 2020 10:21 PM (IST)
ट्रैक्टर हाइड्रोलिक सिस्टम क्या है? यह कैसे काम करता है?
ट्रैक्टर हाइड्रोलिक सिस्टम ( Tractor Hydraulic System )

नई दिल्ली, ब्रांड डेस्क। दुनिया की पहली हाइड्रोलिक मशीन यॉर्कशायर में जन्मे जोसेफ ब्रामाह ने सन 1795 में बनाई थीं. उन्होंने हाइड्रोलिक प्रेस बनाई थीं जो प्रिंटिंग प्रेस में मुद्रांकन के अलावा अन्य कामों में उपयोग की जाती थी. सन 1956 में अमेरिकी अविष्कारक हैरी फ्रैंकलिन विकर्स ने हाइड्रोलिक सिस्टम में कई नए आविष्कार किए. इसलिए उन्हें फादर ऑफ इंडस्ट्रियल हाइड्रोलिक कहा गया. उसके बाद से हाइड्रोलिक सिस्टम में कई तरह के बदलाव हुए. गौरतलब है कि हाइड्रोलिक सिस्टम से कृषि क्षेत्र में भी काफी बदलाव आए है. हाइड्रोलिक सिस्टम के आविष्कार ने किसानों को खेती संबंधित कई जटिल समस्याओं से निजात दिला दी है. 

क्या है ट्रैक्टर हाइड्रोलिक?

वर्तमान में ट्रैक्टर हाइड्रोलिक सिस्टम भी अत्याधुनिक इंजीनियरिंग का एक अनूठा उदाहरण है. ऐसे में किसानों और अन्य ट्रैक्टर खरीदने वालों को हाइड्रोलिक सिस्टम के बारे में समझना अत्यंत महत्वपूर्ण है ताकि वे ठीक से और सुरक्षित तरीके से हाइड्रोलिक को संचालित कर सकें. ट्रैक्टर हाइड्रोलिक सिस्टम सादा और सरल सिस्टम है. यह खुला और बंद हाइड्रोलिक सिस्टम में आता है जो आपके द्वारा खरीदे गए ट्रैक्टर पर निर्भर करता है.  

ट्रैक्टर हाइड्रोलिक सिस्टम का उद्देश्य -

ट्रैक्टर हाइड्रोलिक सिस्टम के जरिए ट्रैक्टर से जुड़े उन सभी कार्यो को आसानी से किया जा सकता है जो सामान्य इंसान नहीं कर सकता. महज सामान्य पुश  के जरिए ही हाइड्रोलिक सर्किट को सक्रिय करके कृषि कार्य सरलता से किए जा सकते हैं. हाइड्रोलिक सिस्टम का मूल उद्देश्य तरल गतिकी के जरिए ट्रैक्टर से विभिन्न कार्यों को सरलता से करवाना होता है. इसमें ब्रेक और स्टीयरिंग का प्रयोग किया जाता है. हाइड्रोलिक सिस्टम की मदद से ही ट्रैक्टर के विभिन्न यंत्रों को आसानी से ऊपर या नीचे उठाया सकता है. पहले यह कार्य यांत्रिक साधनों की मदद से किए जाते थे जो काफी जटिल था. आज के हाइड्रोलिक सिस्टम पहले से काफी सटीक है.

कृषि क्षेत्र में हाइड्रोलिक की भूमिका -

जैसा कि हम जानते हैं भारत एक कृषि प्रधान देश है. देश की लगभग 70 प्रतिशत आबादी कृषि क्षेत्र पर किसी न किसी तरीके से निर्भर है. वहीं आज भी हमारे देश में खेती संबंधित ज्यादातर कार्य परंपरागत तरीके से किए जाते हैं. इस वजह से खेती की लागत ज्यादा और लाभ कम मिल पाता है. शायद इसलिए ही आजादी के 73 साल बाद भी किसानों को आर्थिक रूप से मजबूती नहीं मिल पाई. ऐसे में हाइड्रोलिक उपकरणों और आधुनिक कृषि मशीनरी के जरिए कृषि कार्याें में दक्षता लाने के साथ उत्पादकता बढ़ाई जा सकती है. कहा जाता है कि एक समय पर अमेरिकी आबादी का एक बढ़ा हिस्सा कृषि आधारित कार्याें पर निर्भर था. वहीं लोग कृषि कार्य को छोड़कर दूसरे क्षेत्रों में पलायन करने को मजबूर हो गए थे. लेकिन हाइड्रोलिक उपकरणों एवं आधुनिक कृषि मशीनरी के उपयोग से आज वहां की कुल आबादी का एक प्रतिशत ही कृषि क्षेत्र में काम करता है.

10-15 साल पहले और आज के हाइड्रोलिक में क्या तकनीकी बदलाव हुए -

आज के हाइड्रोलिक 10-15 साल पहले के हाइड्रोलिक की तुलना में तकनीकी रूप से काफी सक्षम है. पहले की तुलना आज के हाइड्रोलिक्स में तरल पदार्थ की मात्रा और इलेक्ट्रानिक नियंत्रण बढ़ गया है. वहीं कुछ ट्रैक्टरों में रेटेड प्रवाह 80 से 90 जी.पी.एम. है तो नौ रिमोट सर्किट उपलब्ध है. पुराने समय में चेन की मदद से कई चीजें चलाते थे लेकिन आज इसे हाइड्रोलिक मोटर से सीधे चला सकते हैं. महिंद्रा की m-Lift हाइड्रोलिक एक अत्यंत ही आधुनिक उपलब्धि है जो न केवल भारी उपकरणों के साथ काम करता है बल्कि दे सटीक बुवाई करने में भी सक्षम है.

महिंद्रा के आलू प्लांटर किसानों के लिए मददगार -

आलू उत्पादन में भारत का दूसरा स्थान है. पहले स्थान पर नीदरलैंड है. हम आलू उत्पादन में नीदरलैंड से काफी पीछे है. जहां नीदरलैंड में प्रति एकड़ से 17 टन आलू का उत्पादन होता है वहीं हमारे देश में प्रति एकड़ से महज 8. 5 टन उत्पादन हो पाता है. ऐसे में अधिक से अधिक कृषि मशीनरी का उपयोग करना बेहद जरूरी है. देश आलू किसानों के लिए महिंद्रा का आलू प्लांटर काफी फायदेमंद हो सकता है. यह आलू बोने की एक सटीक मशीन है जिसे महिंद्रा ने वैश्विक पार्टनर डेल्फ के सहयोग से डिजाइन और विकसित किया है.

आइए जानते हैं इसकी विशेषताएं -

1. इसका हाई लेवल सिंगुलेशन आलू के बीज को खराब नहीं होने देता है. यह एक जगह पर एक ही बीज डालता है.

2. यह आलू के बीज की एक समान दूरी और गहराई पर बुआई करता है जिसके कारण उत्पादन अधिक से अधिक मिलता है. 

3. महिंद्रा का आलू प्लांटर आलू की बुवाई के दौरान उस पर लकीरें बना देता है जिससे कंद को विकसित होने में मदद मिलती है. 

4. इसके प्रयोग से आलू की गुणवत्तापूर्ण और अधिक पैदावार होती है. 

5.प्लान्टर का डिजाइन ऐसा है कि इसे आलू के बीज के मुताबिक एडजस्ट किया जा सकता है. जैसे सही या कटे आलू को सीधी रेखा या जिगजैग पद्धति से किस गहराई पर बुवाई करना है. 

प्लान्टर के फीचर्स -

1.इसका मैकेनिकल वाइब्रेटर इस बात को सुनिश्चित करता है कि एक स्थान पर एक ही आलू की बुवाई हो. 

2.इसका एडजस्टेबल रिडर्स आलू के कंद तक पर्याप्त हवा और प्रकाश पहुंचाने में मददगार है.

3.गहराई नियंत्रण पहिया आलू की उचित गहराई पर बुआई करता है. 

4. 20 से 60 मिमी साइज के आलू बीज को आसानी से बोया जा सकता है.

5.इसमें एक फर्टिलाइजर टैंक होता है जो बीज की बुवाई के दौरान उर्वरकों को आनुपातिक वितरण करता है.

महिंद्रा प्लान्टर के फायदे-

1. पुलिंग पावर (खींचने की क्षमता) जबरदस्त है.

2. इसी पीसी और डीसी लीवर सेटिंग बीज की उचित गहराई पर बुआई  करता है.

(यह आर्टिकल ब्रांड डेस्‍क द्वारा लिखा गया है।)

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