भारतीय पर्वतारोहण के इतिहास में जुड़ा नया अध्‍याय, माउंड मंदा का शिखर चूमा महाराष्ट्र के युवकों ने

महाराष्ट्र के पुणे स्थित गिरिप्रेमी संस्था के दल (Giripremi Sanstha Pune) ने माउंट मंदा की चोटी (Mount Manda Peak)पर तिरंगा फहराया। माउंट मंदा-1 उत्तराखंड की केदार गंगा घाटी में तीन पर्वत शिखरों का एक समूह है। यह पर्वत शिखर गंगोत्तरी का हिस्सा हैं

By Babita KashyapEdited By: Publish:Wed, 22 Sep 2021 01:00 PM (IST) Updated:Wed, 22 Sep 2021 01:01 PM (IST)
भारतीय पर्वतारोहण के इतिहास में जुड़ा नया अध्‍याय, माउंड मंदा का शिखर चूमा महाराष्ट्र के युवकों ने
महाराष्ट्र के युवकों ने माउंट मंदा की चोटी पर तिरंगा फहराया।

मुंबई, राज्य ब्यूरो। भारतीय पर्वतारोहण के इतिहास में उस समय एक नया अध्याय जुड़ गया, जब महाराष्ट्र के पुणे स्थित गिरिप्रेमी संस्था (Giripremi Sanstha Pune) के दल ने माउंट एवरेस्ट एवं कंचन जंघा जैसी कठिन मानी जाने वाली माउंट मंदा की चोटी (Mount Manda Peak) पर तिरंगा फहराया। यह अभियान इसलिए अधिक महत्त्व रखता है, क्योंकि पहली बार किसी भारतीय दल ने नार्थ रिज (शिखरनुमा तंग पहाड़ी रास्ता) से होते हुए शिखर तक पहुंचने का साहस जुटाया।

देश की स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव (Amrit Mahotsav) के अवसर पर पुणे की गिरिप्रेमी संस्था ने उत्तराखंड के माउंट मंदा शिखर पर जाने की योजना बनाई। माउंट मंदा-1 उत्तराखंड की केदार गंगा घाटी में तीन पर्वत शिखरों का एक समूह है। यह पर्वत शिखर गंगोत्तरी का हिस्सा हैं एवं हिमालय के गंगोत्तरी क्षेत्र के शिखरों की चढ़ाई बहुत कठिन मानी जाती है। पुणे की गिरिप्रेमी संस्था का दल इससे पहले 1989 एवं 1991 में इसी पर्वत शिखर की चढ़ाई में असफल रहा है। इस शिखर पर नार्थ रिज के मार्ग से सिर्फ एक जापानी पर्वतारोहियों का अभियान 1984 में फतह हासिल कर पाया है।

करीब 30 साल बाद गिरिप्रेमी संस्था के डॉ. सुमित मंदाले, विवेक शिवड़े एवं पवन हादोले ने दो शेरपाओं मिंगम शेरपा और निम दोरजे शेरपा के साथ इस अभियान की 15 अगस्त को पुणे से शुरुआत की थी। इस दल ने 18 सितंबर को माउंट मंदा-1 के शिखर पर तिरंगा फहराकर अपना अभियान पूरा किया। इस टीम के प्रेरणास्रोत उमेश जिरपे और आनंद माली थे। बता दें कि इसके पूर्व के जिन दो अभियानों में गिरिप्रेमी दल सफल नहीं रह सका था, उमेश जिरपे उसका हिस्सा थे। अखिल महाराष्ट्र गिर्यारोहण महासंघ के अध्यक्ष एवं गार्जियन गिरिप्रेमी इंस्टीट्यूट आफ माउंटेनियरिंग के डायरेक्टर जिरपे बताते हैं कि नार्थ रिज एक चाकूनुमा भूखंड है। जिस पर चढ़ाई लगभग नामुमकिन मानी जाती है। माउंट मंदा-1 की ऊंचाई 6,510 मीटर है, और 5000 मीटर के बाद 70 से 80 डिग्री की बर्फ से ढकी खड़ी चढ़ाई चढ़नी पड़ती है।

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