Maharashtra: एसपी विनय तिवारी के क्वारंटाइन पर रार जारी
Sushant Singh Rajput Case एसपी विनय तिवारी को मुंबई में क्वारंटाइन किए जाने पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। बीएमसी ने विनय को क्वारंटाइन से छूट देने से इन्कार किया है।
राज्य ब्यूरो, मुंबई। बिहार पुलिस के एसपी विनय तिवारी को मुंबई में क्वारंटाइन किए जाने के मसले पर विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। बीएमसी ने विनय तिवारी को क्वारंटाइन से छूट देने से इन्कार कर दिया है।
पटना के पुलिस महानिरीक्षक संजय सिंह के पत्र का जवाब देते हुए मुंबई महानगरपालिका के अतिरिक्त आयुक्त पी.वेलरासू ने कहा है कि बिहार में कोरोना महामारी की स्थिति को देखते हुए यह सलाह दी जाती है कि बिहार पुलिस के अधिकारी महाराष्ट्र के अधिकारियों के साथ जूम, गूगल मीट, जियो मीट एवं माइक्रोसॉफ्ट टीम जैसे डिजिटल माध्यमों से ही बात करें। इससे वे स्वयं भी संक्रमित होने से बचे रहेंगे और यदि वे बिना लक्षण के संक्रमित हों, तो यहां के अधिकारी भी संक्रमित होने से बच सकेंगे।
वेलरासू ने यह जवाब संजय सिंह को उनके तीन अगस्त के पत्र का उत्तर देते हुए दिया है। जिसमें संजय सिंह ने घरेलू विमान यात्रियों के लिए बनाए गए नियमों का हवाला देते हुए कहा था कि पटना से मुंबई गए एसपी विनय तिवारी एक मामले की जांच के लिए मुंबई गए हैं। यह एक वैधानिक प्रक्रिया है। उन्हें आइसोलेट किए जाने से इसमें बाधा पहुंच रही है। इसलिए उन्हें होम आइसोलेशन से मुक्त किया जाना चाहिए। पटना के महानिरीक्षक संजय सिंह ने अपने पत्र में इस बात का भी उल्लेख किया है कि विनय तिवारी के मुंबई आने की लिखित सूचना उनके पहुंचने के पहले ही पुलिस उपायुक्त, जोन-9 को दे दी गई थी। दो अगस्त को विनय तिवारी के मुंबई पहुंचने के पहले, 27 जुलाई से ही पटना पुलिस की एक चार सदस्यीय एसआईटी मुंबई में कैंप कर रही है।
मुंबई में क्वारंटाइन किए गए बिहार पुलिस के एसपी विनय तिवारी ने बीएमसी के इस निर्णय को गलत बताते हुए कहा है कि मुझे एक मामले की जांच करने के कानूनी अधिकार से रोका जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। दूसरी ओर, मुंबई उच्च न्यायालय ने सुशांत प्रकरण की जांच सीबीआइ को सौंपे जाने की एक जनहित याचिका की सुनवाई शुक्रवार तक आगे बढ़ा दी है, ताकि याचिकाकर्ताओं की ओर से याचिका की प्रति राज्य सरकार को उपलब्ध कराई जा सके। न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता एवं एएस गडकरी की खंडपीठ ने राज्य सरकार द्वारा यह बताने पर मामले की सुनवाई आगे बढ़ाई कि उसे याचिका की प्रति प्राप्त नहीं हुई है। खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को याचिका की प्रति राज्य सरकार को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।