Maharashtra: मुंबई के ऑक्सीजन आपूर्ति प्रबंधन पर ठोकी जा रही बीएमसी की पीठ

Maharashtra देश में चल रही ऑक्सीजन की किल्लत पर जब सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि 92000 मरीजों का आंकड़ा पार कर चुका अत्यंत घनी आबादी वाला महानगर मुंबई सिर्फ 235 मीट्रिक टन ऑक्सीजन के सहारे अपने मरीजों की देखभाल कर रहा है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Publish:Fri, 07 May 2021 07:25 PM (IST) Updated:Fri, 07 May 2021 07:25 PM (IST)
Maharashtra: मुंबई के ऑक्सीजन आपूर्ति प्रबंधन पर ठोकी जा रही बीएमसी की पीठ
मुंबई के ऑक्सीजन आपूर्ति प्रबंधन पर ठोकी जा रही बीएमसी की पीठ। फाइल फोटो

मुंबई, राज्य ब्यूरो। Maharashtra: कोरोना मरीजों को मेडिकल ऑक्सीजन नहीं मिल पाने से इन दिनों पूरा देश परेशान है, लेकिन मुंबई महानगरपालिका ने मुंबई में कोरोना मरीजों के लिए जिस प्रकार का ऑक्सीजन प्रबंधन किया है, उसकी तारीफ सर्वोच्च न्यायालय भी कर रहा है। देश में चल रही ऑक्सीजन की किल्लत पर बुधवार को जब सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सर्वोच्च न्यायालय को बताया कि 92000 मरीजों का आंकड़ा पार कर चुका अत्यंत घनी आबादी वाला महानगर मुंबई सिर्फ 235 मीट्रिक टन ऑक्सीजन के सहारे अपने मरीजों की देखभाल कर रहा है। तो न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ व एमआर शाह ने सवाल उठाया कि दिल्ली को 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की जरूरत क्यों पड़ रही है ? न्यायमूर्ति ने दिल्ली सरकार को मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) से सीखने की भी सलाह दी। कोरोना की पहली लहर भी मुंबई पर बहुत भारी पड़ी थी। मुंबई ने तभी से सबक सीखना शुरू कर दिया था। बीएमसी के अपने चार बड़े व 17 छोटे अस्पताल हैं। कोरोना काल में सात जंबो कोविड सेंटर खोले गए हैं, जहां 28 हजार बिस्तर उपलब्ध हैं। इनमें करीब 12000 बिस्तर ऑक्सीजनेटेड हैं। इसके अलावा निजी अस्पतालों में भी ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती ही है।

इन सारी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए बीएमसी ने पिछले वर्ष सितंबर-अक्तूबर से ही तैयारियां शुरू कर दी थीं। बीएमसी ने दूसरी लहर की शुरुआत होते ही उक्त सभी अस्पतालों में ऑक्सीजन की कुल खपत का सर्वे कर लिया था। इससे पता चल गया कि मुंबई को प्रतिदिन लगभग 235 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की जरूरत पड़ सकती है। बीएमसी ने इसका इंतजाम आइनॉक्स व लिंडे जैसी ऑक्सीजन निर्माता कंपनियों से करार करके कर लिया था। इन कंपनियों के प्लांट मुंबई से कुछ ही दूरी पर स्थित हैं, इसलिए सड़क मार्ग से मुंबई के लिए ऑक्सीजन की आपूर्ति और आसान हो गया। बीएमसी ने अपने विशेषज्ञ डॉक्टरों की मदद से ऑक्सीजन इस्तेमाल करने के लिए कुछ प्रोटोकाल भी बनाए, ताकि ऑक्सीजन का दुरुपयोग न हो सके। मेडिकल स्टाफ को ऑक्सीजन के सही इस्तेमाल की ट्रेनिंग भी दी गई। यही कारण रहा कि मुंबई में 90,000 से ज्यादा कोविड मरीज होने के बावजूद यहां 235 मीट्रिक टन ऑक्सीजन में ही काम चल गया।

यह बात सिर्फ सरकारी अस्पतालों तक ही सीमित नहीं है। एसोसिएशन ऑफ मेडिकल कंसलटेंट्स के अध्यक्ष डॉ. दीपक बैद बताते हैं कि बीएमसी ने प्राइवेट अस्पतालों को भी कह रखा था कि आप ऑक्सीजन की कमी के कारण किसी मरीज को बाहर नहीं निकालिए। तुरंत क्षेत्र के स्वास्थ्य अधिकारी को सूचित करिए। यदि वह ऑक्सीजन की व्यवस्था करने में नाकाम रहेगा, तो वह बीएमसी कमिश्नर को सूचना देगा। यदि वहां भी बात नहीं बनेगी, तो आपदा प्रबंधन विभाग को सूचित किया जाएगा, लेकिन किसी भी हालत में ऑक्सीजन की व्यवस्था की जाएगी। प्राइवेट अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए सचल ऑक्सीजन वैन की भी व्यवस्था की गई थी। डॉ. बैद के अनुसार आज भले ही मुंबई में की गई ऑक्सीजन की व्यवस्था पर सर्वोच्च न्यायालय बीएमसी की पीठ ठोक रहा हो, लेकिन ये व्यवस्थाएं करने में बीएमसी को भी करीब 15-20 दिन देर लगी। जिसके कारण कुछ अस्पतालों से मरीजों को इधर-उधर भेजना पड़ा। बीएमसी थोड़ा और सतर्क रहती तो ये दिक्कत भी नहीं देखनी पड़ती। 

chat bot
आपका साथी