Mission 2024: शिवसेना का ममता बनर्जी पर तंज, कहा-फासीवादी ताकतों को मजबूत करेगा बिना कांग्रेस का विपक्षी गठबंधन
Maharashtra ममता बनर्जी पर तंज कसते हुए शिवसेना ने शनिवार को कहा है कि सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के बगैर संप्रग के समानांतर किसी तरह का विपक्षी गठबंधन बनाने की कवायद भाजपा और फासीवादी ताकतों को मजबूत करेगी।
मुंबई, प्रेट्र। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) प्रमुख ममता बनर्जी पर तंज कसते हुए शिवसेना ने शनिवार को कहा कि सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के बगैर संप्रग के समानांतर किसी तरह का विपक्षी गठबंधन बनाने की कवायद भाजपा और फासीवादी ताकतों को मजबूत करेगी। पार्टी के मुखपत्र सामना के संपादकीय में शिवसेना ने कहा कि जो लोग कांग्रेस के नेतृत्व वाले संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) को नहीं चाहते हैं, उन्हें पीठ पीछे बात करके भ्रम पैदा करने के बजाय सार्वजनिक रूप से अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए। पार्टी ने कहा कि भाजपा से लड़ने वाले लोगों को अगर लगता है कि कांग्रेस का अस्तित्व समाप्त हो जाना चाहिए, तो यह रवैया सबसे बड़ा खतरा है। अगर विपक्षी दलों के बीच एकता संभव नहीं है, तो भाजपा का राजनीतिक विकल्प बनने की बात बंद होनी चाहिए। शिवसेना की टिप्पणी ममता बनर्जी की हालिया मुंबई यात्रा के मद्देनजर आई है, जिसमें उन्होंने एक बयान दिया था कि अब कोई संप्रग नहीं है।
शुक्रवार को टीएमसी के मुखपत्र जागो बांग्ला ने कांग्रेस पर नया हमला करते हुए कहा था कि 'यह डीप फ्रीजर' में चली गई है। हाल ही में जागो बांग्ला ने यह भी दावा किया था कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ कांग्रेस नेता राहुल गांधी नहीं बल्कि ममता बनर्जी विपक्ष के चेहरे के रूप में उभरी हैं। शिवसेना ने चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के हालिया ट्वीट का भी उल्लेख किया कि कांग्रेस का नेतृत्व किसी व्यक्ति का दैवीय अधिकार नहीं है का उल्लेख करते हुए कहा कि पहले, भाजपा का भी उपहास उड़ाया जाता था कि वह विपक्षी बेंच पर स्थायी रूप से बैठने के लिए पैदा हुई है, लेकिन आलोचना के बावजूद पार्टी ने नई ऊंचाइयों को छुआ है।
शिवसेना ने कहा, यूपीए का नेता तय करने से पहले भाजपा के खिलाफ एकजुट हो विपक्ष
समाचार एजेंसी एएनआइ के मुताबिक, शिवसेना ने चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर की 'नेतृत्व के दिव्य अधिकार' टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए अपने मुखपत्र सामना में शनिवार को कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) का नेता कौन होगा, यह तय करने से पहले विपक्ष को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ एकजुट होना चाहिए। शिवसेना ने यह टिप्पणी तब की, जब प्रशांत किशोर ने यह कहकर कांग्रेस पर निशाना साधा कि उसका नेतृत्व किसी व्यक्ति का दैवीय अधिकार नहीं होता है। उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी पिछले 10 वर्षों में 90 प्रतिशत से अधिक चुनाव हार गई है। संपादकीय में विपक्षी दलों से सत्ता में आने के लिए कांग्रेस के पीछे नहीं जाने का आग्रह किया गया।
यूपीए जैसा गठबंधन बनाने से भाजपा को ही मिलेगी मजबूती
सामना ने लिखा कांग्रेस अभी भी कई राज्यों में है। गोवा और पूर्वोत्तर राज्यों में कांग्रेस नेता तृणमूल में शामिल हो गए हैं और आप के साथ भी ऐसा ही है। संपादकीय में यह भी कहा गया है कि यूपीए जैसा गठबंधन बनाने से भाजपा को ही मजबूती मिलेगी। सामना ने सुझाव दिया कि कांग्रेस नेताओं सोनिया गांधी और राहुल गांधी को नेतृत्व करना चाहिए और यूपीए को मजबूत करने के लिए आगे आना चाहिए। शिवसेना ने भी लखीमपुर खीरी कांड के दौरान प्रियंका गांधी के प्रयासों की सराहना की और कहा कि अगर प्रियंका लखीमपुर खीरी नहीं जातीं तो मामला खारिज हो जाता। उन्होंने एक विपक्षी नेता के रूप में अपनी भूमिका निभाई। इसमें कहा गया है कि संप्रग का नेतृत्व करने की दैवीय शक्ति किसके पास है, यह गौण है। पहले हमें लोगों को विकल्प देने की जरूरत है।
इसलिए कांग्रेस को टक्कर दे रही हैं ममता
गौरतलब है कि मुंबई में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के प्रमुख शरद पवार के साथ एक बैठक के बाद ममता की "कोई यूपीए नहीं है" टिप्पणी पर कई विपक्षी नेताओं ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की थी। मुंबई में एक कार्यक्रम में टीएमसी प्रमुख ने कहा था कि अगर सभी क्षेत्रीय दल एक साथ आते हैं तो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को हराना बहुत आसान होगा। तृणमूल कांग्रेस कभी यूपीए या संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन का हिस्सा थी, कांग्रेस सहित कई दलों का गठबंधन जो 2004 से 2014 तक 10 वर्षों तक केंद्र में सत्ता में रहा। इस साल की शुरुआत में हुए पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में टीएमसी की प्रचंड जीत के बाद ममता लगातार राष्ट्रीय स्तर पर एक मजबूत विकल्प की वकालत कर रही हैं, लेकिन परोक्ष रूप से कांग्रेस को टक्कर दे रही हैं।
कई बड़े नेता टीएमसी में हुए शामिल
मेघालय में कांग्रेस को एक बड़ा झटका तब लगा, जब उसके 17 में से 12 विधायक तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो गए, जिससे वह राज्य का मुख्य विपक्ष बन गया। मेघालय के पूर्व मुख्यमंत्री मुकुल संगमा भी टीएमसी में हाल में शामिल हुए हैं। सितंबर में गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री लुइजिन्हो फलेरियो कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद टीएमसी में शामिल हो गए। फलेरियो के बाद कांग्रेस के नौ अन्य नेता भी टीएमसी में शामिल हो गए। असम के सिलचर से कांग्रेस सांसद और अखिल भारतीय महिला कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सुष्मिता देव इस साल अगस्त में टीएमसी में शामिल हुई थीं। उन्हें त्रिपुरा में टीएमसी के मामलों को देखने के लिए सौंपा गया है। इसके अलावा लुइजिन्हो फलेरियो और सुष्मिता देव दोनों को टीएमसी में शामिल होने के बाद राज्यसभा सीटें दी गईं गैं। कांग्रेस नेता कीर्ति आजाद और हरियाणा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अशोक तंवर भी हाल ही में टीएमसी में शामिल हुए हैं। तंवर कभी राहुल गांधी के हुआ करते करीबी थे।