OBC Reservation: शिवसेना ने ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर की केंद्र की आलोचना

OBC Reservation शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादकीय में महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को उस अध्यादेश पर हस्ताक्षर करने के लिए धन्यवाद दिया गया है जिसमें कुछ उप चुनावों और स्थानीय निकाय चुनावों से पहले ओबीसी कोटा को बहाल कर दिया गया है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Publish:Fri, 24 Sep 2021 08:00 PM (IST) Updated:Fri, 24 Sep 2021 08:00 PM (IST)
OBC Reservation: शिवसेना ने ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर की केंद्र की आलोचना
शिवसेना ने ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर की केंद्र की आलोचना। फाइल फोटो

मुंबई, प्रेट्र। केंद्र सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में जातिगत जनगणना को लेकर हलफनामा दाखिल कर इसे मुश्किल काम बताए जाने के एक दिन बाद शिवसेना ने उसकी आलोचना की है। इसने कहा है कि यदि केंद्र सरकार ने यह रुख अपनाया है तो फिर ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर महाविकास अघाड़ी सरकार को क्यों बदनाम किया जाता रहा है। शुक्रवार को शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादकीय में महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को उस अध्यादेश पर हस्ताक्षर करने के लिए धन्यवाद दिया गया है, जिसमें कुछ उप चुनावों और स्थानीय निकाय चुनावों से पहले ओबीसी कोटा को बहाल कर दिया गया है। गुरुवार को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर बताया था कि जातिगत जनगणना प्रशासनिक रूप से मुश्किल और दुष्कर काम है।

केंद्र सरकार ने कहा कि 2011 में कराई गई सामाजिक-आर्थिक और जातिगत जनगणना में गलतियों की भरमार है। महाराष्ट्र सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एक याचिका के जवाब में सरकार ने यह हलफनामा दाखिल किया है। महाराष्ट्र सरकार ने अदालत से केंद्र और संबंधित अधिकारियों को यह निर्देश देने का अनुरोध किया था कि वे 2011 की जनगणना से ओबीसी की जानकारी मुहैया कराएं। राज्य सरकार द्वारा कई बार मांग किए जाने के बावजूद केंद्र ने उसे यह जानकारी नहीं दी है। शिवसेना ने कहा कि यदि केंद्र ने ओबीसी का आंकड़ा राज्य के साथ साझा नहीं करने का फैसला किया है तो फिर महाविकास अघाड़ी सरकार को इतने महीनों से बदनाम क्यों किया जा रहा है।

गौरतलब है कि राज्य सांख्यिकी विभाग के 2015 में जारी आंकड़ों के अनुसार, महाराष्ट्र में ओबीसी की कुल आबादी 41 फीसद है। 2011 की जनगणना के अनुसार भी राज्य में ओबीसी की जनसंख्या (कुणबी छोड़कर) 27 फीसद है। यही अन्य पिछड़ा वर्ग एक समय भाजपा का मजबूत जनाधार रहा है। गोपीनाथ मुंडे, नासा फरांदे, एकनाथ खडसे जैसे अन्य पिछड़ा वर्ग के नेताओं ने भाजपा को मजबूत करने में बड़ी भूमिका निभाई है। 

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