Maharashtra: ‘ऑपरेशन कमल’ महाराष्ट्र में सफल नहीं होगाः शरद पवार

Sharad Pawar राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के मुखिया शरद पवार ने कहा कि महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी का ऑपरेशन कमल सफल नहीं होगा। उद्धव सरकार यहां पूरे पांच साल चलेगी।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Publish:Mon, 13 Jul 2020 08:12 PM (IST) Updated:Mon, 13 Jul 2020 08:12 PM (IST)
Maharashtra: ‘ऑपरेशन कमल’ महाराष्ट्र में सफल नहीं होगाः शरद पवार
Maharashtra: ‘ऑपरेशन कमल’ महाराष्ट्र में सफल नहीं होगाः शरद पवार

राज्य ब्यूरो, मुंबई। Sharad Pawar: महाराष्ट्र की महाविकास आघाड़ी सरकार (मविआ) में शामिल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के मुखिया शरद पवार ने कहा कि महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी का ऑपरेशन कमल सफल नहीं होगा। उद्धव सरकार यहां पूरे पांच साल चलेगी। शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में प्रकाशित हो रहे शरद पवार के धारावाहिक साक्षात्कार का सोमवार को तीसरा और अंतिम दिन था। इसमें ‘सामना’ के कार्यकारी संपादक संजय राउत के सवालों का जवाब देते हुए ऑपेरशन कमल का सीधा मतलब है, लोगों द्वारा चुनी गई सरकार को कमजोर करना, अस्थिर करना, और उसके लिए केंद्र की सत्ता का सीधा-सीधा दुरुपयोग करना।

पवार के अनुसार, महाराष्ट्र में पहले तीन महीने में सरकार गिरने की बात कही जा रही थी। फिर छह महीने में गिरने की बात की जाने लगी। अब छह महीने भी बीत गए तो कुछ लोग सितंबर, तो कुछ लोग अक्टूबर तक मविआ सरकार गिरने की बात कह रहे हैं। लेकिन मुझे विश्वास है कि पूरे पांच साल उत्तम तरीके से यह सरकार राज्य का कामकाज करेगी। ऑपरेशन कमल हो, या कुछ और, इसका कोई परिणाम उद्धव ठाकरे की सरकार पर नहीं होगा। पवार ने यह सलाह जरूर दी है कि महाराष्ट्र में तीन दलों की सरकार है। इन तीनों दलों में संवाद बढ़ना चाहिए। राजस्थान में चल रहे राजनीतिक घटनाक्रमों के मद्देनजर पवार का यह बयान महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है। पवार ने राउत के एक सवाल का समर्थन करते हुए यह भी कहा कि इस समय केंद्र द्वारा विरोधी दलों की सरकारों को अस्थिर करने का सीधा-सीधा प्रयास हो रहा है।

क्या शरद पवार कभी भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाना चाहते थे ? इसका जवाब देते हुए पवार ने यह खुलासा भी किया कि 2014 में उन्होंने महाराष्ट्र में भाजपा की सरकार को बाहर से समर्थन सिर्फ इसलिए दिया, क्योंकि वह भाजपा से शिवसेना को दूर करना चाहते थे। लेकिन बाद में शिवसेना खुद ही भाजपा के साथ सरकार में आ गई। अब चूंकि भाजपा खुद ही शिवसेना से दूर हो चुकी है, तो यह सवाल ही पैदा नहीं होता। हाल में भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस द्वारा कही गई इस बात को भी शरद पवार ने गलत करार दिया कि नवंबर 2019 में वह भाजपा के साथ सरकार बनाने के इच्छुक थे। उन्होंने कहा कि भाजपा की तरफ से ही एक नहीं, दो नहीं, बल्कि तीन बार उनके पास प्रस्ताव भेजा गया। लेकिन मैंने स्वयं प्रधानमंत्री के पास जाकर उन्हें बता दिया कि हम आपके साथ सरकार नहीं बना सकते। हम शिवसेना के साथ सरकार बनाने जा रहे हैं। ऐसा न हो सका, तो हम विपक्ष में बैठेंगे। पवार ने प्रियंका वाड्रा का दिल्ली में घर वापस लेने को सुसंस्कृति नहीं, बल्कि ओछी हरकत करार दिया है।

पवार राजग में शामिल होंः रामदास अठावले

केंद्र सरकार में मंत्री एवं रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले) के मुखिया रामदास अठावले ने कहा कि शरद पवार को भाजपानीत राजग सरकार में शामिल होना चाहिए। इससे उनके अनुभव का लाभ महाराष्ट्र के साथ-साथ देश को भी मिलेगा। अठावले ने अपने बयान में कहा कि पवार को शिवसेना के बजाय भाजपा का साथ देना चाहिए। इसके साथ ही, महाराष्ट्र में भाजपा, राकांपा और आरपीआई (अठावले) का गठबंधन बनना चाहिए। पवार को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।

1990 के आसपास रामदास अठावले को महाराष्ट्र की राजनीति में प्रवेश दिलाने वाले भी स्वयं शरद पवार ही थे। पवार ने अठावले को सीधे मंत्रिमंडल में शामिल कर महाराष्ट्र के प्रमुख दलित नेता के रूप में उभारने में मदद की थी। अठावले लंबे समय तक पवार की छत्रछाया में ही राजनीति करते रहे,लेकिन 2014 से वह स्वयं भाजपा के करीब आकर राजग का हिस्सा बन चुके हैं। अब वह पवार को भी राजग गठबंधन में शामिल होने की सलाह दे रहे हैं।  

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