Maharashtra: कृषि कानून पूरी तरह खारिज नहीं किए जा सकतेः शरद पवार
Maharashtra शरद पवार ने कहा कि पूरे कानून को खारिज करने के बजाय हम उस भाग में संशोधन की मांग कर सकते हैं जिसे लेकर किसानों को आपत्ति है। लेकिन सभी पार्टियों से बातचीत के बाद ही यह प्रस्ताव लाया जाएगा।
राज्य ब्यूरो, मुंबई। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीनों कृषि कानून पूरी तरह खारिज नहीं किए जा सकते। इन कानूनों के जिस हिस्से को लेकर किसानों का विरोध है, सिर्फ उनमें संशोधन किया जा सकता है। पवार ने यह बात गुरुवार को पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए कही। शरद पवार मुंबई स्थित डीवाइ पाटिल कृषि व तकनीकी विश्वविद्यालय के वर्चुअल उद्घाटन के बाद पत्रकारों से बात कर रहे थे। पत्रकारों के यह पूछने पर कि क्या महाविकास अघाड़ी सरकार आगामी मानसून सत्र में केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ महाराष्ट्र विधानसभा में प्रस्ताव ला सकती है। पवार ने इसका जवाब देते हुए कहा कि मुझे नहीं लगता कि सोमवार से शुरू हो रहे दो दिन के मानसून सत्र में यह प्रस्ताव पास किया जा सकता है।
इसी कड़ी में पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने कहा कि पूरे कानून को खारिज करने के बजाय हम उस भाग में संशोधन की मांग कर सकते हैं, जिसे लेकर किसानों को आपत्ति है। लेकिन सभी पार्टियों से बातचीत के बाद ही यह प्रस्ताव लाया जाएगा। पवार के अनुसार, महाविकास अघाड़ी सरकार के मंत्रियों की एक उपसमिति केंद्रीय कृषि कानूनों का अध्ययन कर रही है। पवार के अनुसार, किसानों और केंद्र सरकार के बीच बातचीत बंद हो चुकी है। केंद्र सरकार को खुद पहल करके किसानों से बातचीत शुरू करनी चाहिए।
केंद्र सरकार द्वारा कृषि सुधार विधेयक पारित कराए जाने के बाद शरद पवार ने इस विधेयक पर पर्याप्त चर्चा न होने को लेकर नाराजगी व्यक्त की थी, लेकिन दूसरी ओर महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार इन कानूनों को लागू करने वाली देश की पहली राज्य सरकार थी। महाराष्ट्र शासन विपणन विभाग के उपसचिव ने सात अगस्त को ही विपणन निदेशक सतीश सोनी को अधिसूचना जारी कर अध्यादेश पर अमल करने के निर्देश दे दिए थे। इसके बाद विपणन निदेशक ने 10 अगस्त को ही राज्य की सभी मंडियों में कृषि सुधार कानूनों के तीनों अधिनियमों के सख्ती से लागू करने के निर्देश दे दिए थे। महाविकास अघाड़ी सरकार में कृषि मंत्री व शिवसेना नेता दादासाहब भुसे ने भी कृषि सुधार विधेयकों को किसानों के हितों में बताया था।