Maharashtra: अब संजय राउत ने भी अनिल देशमुख पर उठाए सवाल, कहा-'एक्सीडेंटल' गृह मंत्री; एनसीपी ने किया पलटवार

Maharashtra शिवसेना के राज्यसभा सदस्य संजय राउत ने गृहमंत्री व सचिन वाझे के संबंधों पर कई तरह के सवाल उठाते हुए कहा कि अनिल देशमुख तो दुर्घटनावश गृहमंत्री बन गए। वहीं एनसीपी ने कहा कि अगर गृह मंत्री में कुछ कमियां हैं तो वे उसे दूर करने का काम करेंगे।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Publish:Sun, 28 Mar 2021 08:03 PM (IST) Updated:Sun, 28 Mar 2021 09:10 PM (IST)
Maharashtra: अब संजय राउत ने भी अनिल देशमुख पर उठाए सवाल, कहा-'एक्सीडेंटल' गृह मंत्री; एनसीपी ने किया पलटवार
अब संजय राउत ने भी अनिल देशमुख पर उठाए सवाल। फाइल फोटो

राज्य ब्यूरो, मुंबई। Maharashtra: अब तक विरोधी दल भाजपा के ही निशाने पर रहे महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख अब अपने सहयोगी दल शिवसेना के भी निशाने पर आ गए हैं। शिवसेना के राज्यसभा सदस्य संजय राउत ने गृहमंत्री व सचिन वाझे के संबंधों पर कई तरह के सवाल उठाते हुए कहा कि अनिल देशमुख तो दुर्घटनावश गृहमंत्री बन गए। शिवसेना के मुखपत्र सामना में प्रत्येक रविवार को इसके कार्यकारी संपादक संजय राउत का स्तंभ ‘रोखठोक’ प्रकाशित होता है। अपने इस बार के स्तंभ में राउत ने लिखा है कि सचिन वाझे अब एक रहस्यमयी मामला बन गया है। पुलिस आयुक्त, गृहमंत्री, मंत्रिमंडल के प्रमुख लोगों का दुलारा व विश्वासपात्र रहा वाझे महज एक सहायक पुलिस निरीक्षक था। उसे मुंबई पुलिस का असीमित अधिकार किसके आदेश पर दिया यह वास्तविक जांच का विषय है। मुंबई पुलिस आयुक्तालय में बैठकर वाझे वसूली कर रहा था और गृहमंत्री को इस बारे में जानकारी नहीं होगी ? 

संजय राउत यह सवाल करके ही नहीं रुके। उन्होंने कहा कि देशमुख पर सीधा प्रहार करते हुए लिखा है कि देशमुख को गृहमंत्री का पद दुर्घटनावश मिल गया। जयंत पाटील, दिलीप वलसे-पाटील ने गृहमंत्री का पद स्वीकार करने से मना कर दिया था। तब यह पद शरद पवार ने देशमुख को सौंपा। इस पद की एक गरिमा व रुतबा है। खौफ भी है। आरआर पाटील की गृहमंत्री के रूप में कार्य पद्धति की तुलना आज भी की जाती है। संदेह के घेरे में रहकर राज्य के गृहमंत्री पद पर बैठा कोई भी व्यक्ति काम नहीं कर सकता है। पुलिस विभाग पहले ही बदनाम है। उस पर ऐसी बातों से संदेह बढ़ता है।

गृहमंत्री की कार्यशैली पर टिप्पणी करते हुए राउत लिखते हैं कि अनिल देशमुख ने कुछ वरिष्ठ अधिकारियों से बेवजह पंगा लिया। गृहमंत्री को कम-से-कम बोलना चाहिए। बेवजह कैमरे के सामने जाना और जांच का आदेश जारी करना अच्छा नहीं है। ‘सौ सुनार की एक लोहार की’ ऐसा बर्ताव गृहमंत्री का होना चाहिए। पुलिस विभाग का नेतृत्व सिर्फ ‘सैल्यूट’ लेने के लिए नहीं होता है। वह प्रखर नेतृत्व देने के लिए होता है। प्रखरता ईमानदारी से तैयार होती है, ये भूलने से कैसे काम चलेगा? पूर्व पुलिस आयुक्त द्वारा गृहमंत्री पर लगाए गए 100 करोड़ की वसूली के आरोप के बाद डैमेज कंट्रोल में देरी पर भी राउत ने सवाल उठाया है।

वह लिखते हैं कि परमबीर सिंह ने जब आरोप लगाया, तब महाराष्ट्र सरकार के बचाव में एक भी महत्वपूर्ण मंत्री तुरंत सामने नहीं आया। चौबीस घंटे गड़बड़ी का माहौल बना रहा। लोगों को परमबीर का आरोप प्रारंभ में सही लगा, इसकी वजह यह रही कि सरकार के पास ‘डैमेज कंट्रोल’ के लिए कोई व्यवस्था नहीं थी। एक वसूलीबाज पुलिस अधिकारी का बचाव प्रारंभ में विधान मंडल में किया गया। लेकिन परमबीर सिंह के आरोपों का उत्तर देने के लिए कोई तैयार नहीं था।

दूसरी ओर गृहमंत्री अनिल देशमुख ने रविवार को स्वयं यह जानकारी दी कि उन्होंने खुद पर लगे आरोपों की जांच की मांग मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से की थी। उद्धव ठाकरे ने इस प्रकरण की जांच मुंबई उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश से करवाने का फैसला किया है। बता दें कि कुछ दिनों पहले मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने आरोप लगाया था कि गृहमंत्री अनिल देशमुख पुलिस अधिकारियों को सीधे बुलाकर हर महीने 100 करोड़ रुपये वसूली का आदेश देते थे। इस सनसनीखेज आरोप के बाद से विपक्ष लगातार गृहमंत्री के इस्तीफे की मांग कर रहा है। अब तक महाविकास अघाड़ी सरकार में राकांपा की सहयोगी शिवसेना व कांग्रेस चट्टान की तरह गृहमंत्री के पीछे खड़ी थीं। लेकिन शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने भी देशमुख पर सवाल उठा दिए हैं।

संजय राउत के बयान पर कांग्रेस व राकांपा असहज

शिवसेना नेता संजय राउत द्वारा व्यक्त किए जा रहे विचार महाविकास आघाड़ी सरकार में शिवसेना के सहयोगी दलों कांग्रेस व राकांपा को रास नहीं आ रहे हैं। सामना में लिखे गए राउत के लेख पर उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। राउत ने अपने सामना के अपने साप्ताहिक स्तंभ में लिखा है कि अनिल देशमुख दुर्घटनावश गृहमंत्री बन गए हैं। इसका जवाब देते हुए अजीत पवार ने कहा है कि एनसीपी के कोटे से किसे कौन सा पद मिलेगा, यह पार्टी अध्यक्ष शरद पवार तय करते हैं। किसी दूसरे को इस पर सवाल करने का कोई अधिकार नहीं है। अजीत पवार के अनुसार, खासकर महाविकास अघाड़ी के लोगों के ऐसा बयान देने से बचना चाहिए। इस तरह के बयान गठबंधन में समस्या पैदा करेंगे।

मुंबई कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष संजय निरूपम ने कहा कि शिवसेना ने महाराष्ट्र के गृहमंत्री के चाल-चलन पर शक जाहिर किया है। जबकि राष्ट्रवादी कांग्रेस के मुखिया कह चुके हैं कि गृहमंत्री के भविष्य का फैसला मुख्यमंत्री करें। फिर मुख्यमंत्री को कार्रवाई करने से किसने रोका है ? मुख्यमंत्री शिवसेना के हैं, और मौन साधे हुए हैं। संजय राउत ने दो दिन पहले ही एक बयान देकर राकांपा अध्यक्ष शरद पवार को संप्रग का अध्यक्ष बनाने का सुझाव दिया था। राउत का यह बयान भी कांग्रेस नेताओं को रास नहीं आया था। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने इसके जवाब में कहा था कि संजय राउत शरद पवार के प्रवक्ता बन गए हैं। शिवसेना खुद संप्रग का हिस्सा नहीं है, इसलिए उसे इस मामले में बोलने का कोई अधिकार नहीं है। उन्हें ऐसे मामलों में नहीं बोलना चाहिए, जिससे उनका मतलब न हो।

समाचार एजेंसी एएनआइ के मुताबिक, एनसीपी नेता नवाब मलिक ने कहा कि सामना के लेख में कहा गया है कि अनिल देशमुख 'एक्सीडेंटल' गृह मंत्री है। संपादक को लेख लिखने का अधिकार है। शरद पवार ने उन्हें सोच समझकर ज़िम्मेदारी दी है। वे 'एक्सीडेंटल' गृह मंत्री नहीं है। अगर गृह मंत्री में कुछ कमियां हैं तो वे उसे दूर करने का काम करेंगे।

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