ट्रैक्टर मार्च के दौरान भड़की हिंसा के लिए केंद्र सरकार को दोषी मान रहे संजय राऊत और शरद पवार

ट्रैक्टर मार्च के दौरान भड़की हिंसा के लिए राकांपा अध्यक्ष शरद पवार मानते हैं कि आज दिल्ली में जो हुआ वह ठीक नहीं। इसके पीछे के कारणों को नजरंदाज नहीं किया जा सकता। शिवसेना नेता संजय राऊत ने बोले दिल्ली में कानून-व्यवस्था की धज्जियां उड़ गईं इसकी जिम्मेदारी किसकी है?

By Vijay KumarEdited By: Publish:Tue, 26 Jan 2021 09:06 PM (IST) Updated:Tue, 26 Jan 2021 09:06 PM (IST)
ट्रैक्टर मार्च के दौरान भड़की हिंसा के लिए केंद्र सरकार को दोषी मान रहे संजय राऊत और शरद पवार
बोले-आज हुई हिंसा टाली जा सकती थी। जो कुछ भी चल रहा है, उसका समर्थन नहीं किया जा सकता।

 राज्य ब्यूरो, मुंबई : मंगलवार को किसानों के ट्रैक्टर मार्च के दौरान भड़की हिंसा के लिए शिवसेना नेता संजय राऊत एवं राकांपा अध्यक्ष शरद पवार केंद्र सरकार को दोषी मान रहे हैं। दोनों नेताओं ने ट्वीट कर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।

राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने कहा है कि पंजाब, हरियाणा एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे। लेकिन सरकार ने उन्हें गंभीरता से नहीं लिया। जब उनका धैर्य समाप्त हो गया, तो उन्होंने ट्रैक्टर मार्च निकाला। कानून-व्यवस्था बनाए रखना केंद्र सरकार की जिम्मेदारी थी। सरकार उसमें असफल रही है। 

पवार मानते हैं कि आज दिल्ली में जो हुआ, वह ठीक नहीं हुआ। लेकिन इसके पीछे के कारणों को नजरंदाज नहीं किया जा सकता। जो अब तक शांत बैठे थे, उनका गुस्सा अचानक फूट पड़ा। सरकार अपनी जिम्मेदारियां नहीं निभा पाई। सरकार को परिपक्वता पूर्वक उचित निर्णय करना चाहिए। बता दें कि शरद पवार सबसे लंबी अवधि तक देश के कृषि मंत्री रह चुके हैं। 

एक दिन पहले मुंबई में हुई किसानों की एक रैली को संबोधित करते हुए पवार ने कहा था कि सरकार को नए कृषि कानूनों पर सभी दलों से बात करके आंदोलन का हल निकालना चाहिए।

शिवसेना के राज्यसभा सदस्य संजय राऊत ने भी दिल्ली में हुई हिंसा पर प्रतिक्रिया देते हुए सरकार पर तंज कसा है। 

उन्होंने पूछा है कि दिल्ली में कानून-व्यवस्था की धज्जियां उड़ गईं, इसकी जिम्मेदारी किसकी है? अब इसके लिए किसका इस्तीफा मांगा जाना चाहिए? सोनिया गांधी, ममता बनर्जी, उद्धव ठाकरे, शरद पवार या जो बाइडेन का? त्यागपत्र तो बनता है साहब – ऐसा कहते हुए राऊत कहते हैं कि दिल्ली में जो कुछ भी हो रहा है, उसकी जिम्मेदारी तो किसी को लेनी पड़ेगी। 

सरकार इसी दिन की प्रतीक्षा कर रही थी क्या?  सरकार ने लाखों किसानों की बात इतने दिन तक क्यों नहीं सुनी? राऊत कहते हैं कि आज हुई हिंसा टाली जा सकती थी। जो कुछ भी चल रहा है, उसका समर्थन नहीं किया जा सकता। 

कुछ भी हो, लालकिले पर तिरंगे का अपमान सहन नहीं किया जा सकता। राऊत सवाल करते हैं कि सरकार किसान विरोधी कृषि कानून रद्द करने को तैयार नहीं है। इसके पीछे कोई अदृश्य शक्ति काम कर रही है क्या?

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