Maharashtra: संजय राउत ने फिर अलापा शरद पवार को यूपीए अध्यक्ष बनाने का राग

Maharashtra संजय राउत फिर राकांपा अध्यक्ष शरद पवार को संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन का अध्यक्ष बनाने का राग अलापते नजर आ रहे हैं। उनका कहना है कि संप्रग को लकवा जैसा मार गया है। इसलिए शरद पवार को राष्ट्रीय स्तर पर इसका नेतृत्व संभालना चाहिए।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Publish:Thu, 25 Mar 2021 09:46 PM (IST) Updated:Thu, 25 Mar 2021 09:46 PM (IST)
Maharashtra: संजय राउत ने फिर अलापा शरद पवार को यूपीए अध्यक्ष बनाने का राग
संजय राउत ने फिर अलापा शरद पवार को यूपीए अध्यक्ष बनाने का राग। फाइल फोटो

मुंबई, ओमप्रकाश तिवारी। Maharashtra: शिवसेना नेता संजय राउत फिर राकांपा अध्यक्ष शरद पवार को संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) का अध्यक्ष बनाने का राग अलापते नजर आ रहे हैं। उनका कहना है कि संप्रग को लकवा जैसा मार गया है। इसलिए शरद पवार को राष्ट्रीय स्तर पर इसका नेतृत्व संभालना चाहिए। राउत पहले भी इस तरह का बयान दे चुके हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या अन्य दल इस मांग का समर्थन करेंगे ? राउत ने कहा कि इस समय शायद ही कोई क्षेत्रीय दल हो, जो इसका विरोध करेगा। क्योंकि इस समय हम सभी भाजपा के विरोध में खड़े हैं। लेकिन राउत की यह मांग कांग्रेस नेताओं को रास नहीं आ रही। महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रवक्ता सचिन सावंत ने इसका जवाब देते हुए कहा है कि शिवसेना तो अभी संप्रग की सदस्य भी नहीं है। यदि वह इसका सदस्य होती, तो हम समझ सकते थे। उन्हें ऐसे बयान देने से बचना चाहिए।

महाराष्ट्र के ही वरिष्ठ कांग्रेस नेता हुसैन दलवई भी शिवसेना के संप्रग का हिस्सा न होने की ओर इशारा करते हुए कहते हैं कि पिछले विधानसभा चुनाव में शिवसेना के पास ज्यादा सीटें थीं, इसलिए उसका मुख्यमंत्री बन गया। लेकिन शिवसेना अभी भी संप्रग का हिस्सा नहीं है। इसलिए संजय राउत की बातों को गंभीरता से नहीं लेना चाहिए। दलवई के अनुसार, राउत को यह नहीं भूलना चाहिए कि कांग्रेस के समर्थन से ही महाविकास अघाड़ी की सरकार बन सकी है। इसलिए उन्हें ऐसी कोई बात नहीं कहनी चाहिए, जिससे विवाद खड़ा हो।

संजय राउत पिछले विधानसभा चुनाव के बाद से ही राकांपा अध्यक्ष शरद पवार को अत्यधिक महत्व देते आ रहे हैं। वह मानते हैं कि महाराष्ट्र में शिवसेना का मुख्यमंत्री शरद पवार के कारण ही बन सका है। चुनाव के बाद जब शिवसेना भाजपा से सिर्फ ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद मांग रही थी, शरद पवार न सिर्फ स्वयं शिवसेना को पूरे पांच वर्ष के लिए मुख्यमंत्री पद देने पर राजी हुए, बल्कि कांग्रेस को भी इसके लिए राजी कर लिया था। पवार का मानना था कि ऐसा करके ही तीन दलों की स्थायी सरकार बनाई जा सकती है। इसे शरद पवार का मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा था। आज भी, जब पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह की एक चिट्ठी के बाद महाविकास अघाड़ी सरकार पर तमाम तरह के आरोप लग रहे हैं, तो शरद पवार की ही पहल पर ही न सिर्फ राकांपा, बल्कि महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता भी एक सुर में बोलते दिखाई दे रहे हैं। इस एकजुटता को और मजबूत करने के लिए ही गुरुवार को शरद पवार की पुत्री व बारामती से लोकसभा सदस्य सुप्रिया सुले ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की है। इसलिए राउत को लगता है कि पवार की छत्रछाया रही, तो विपक्ष के अनेक आरोपों के बावजूद महाराष्ट्र में शिवसेनानीत सरकार को कायम रखा जा सकता है।

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