Maharashtra: तकनीक में उन्नति से भारत बन सकता है महाशक्ति: राजनाथ सिंह

Maharashtra राजनाथ सिंह ने कहा कि पीएम मोदी देश को अनुसंधान और नवाचार के क्षेत्र में आगे ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। सैन्य बलों उद्योग और शिक्षा जगत के साझे प्रयासों से अनुसंधान और नवाचार के क्षेत्र में प्रगति के लिए रक्षा मंत्रालय ने कुछ कदम उठाए हैं।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Publish:Fri, 27 Aug 2021 07:50 PM (IST) Updated:Fri, 27 Aug 2021 07:50 PM (IST)
Maharashtra: तकनीक में उन्नति से भारत बन सकता है महाशक्ति: राजनाथ सिंह
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पुणे, प्रेट्र। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को कहा कि भारत यदि तकनीक में उन्नति हासिल कर लेता है तो यह महाशक्ति बन सकता है। उन्नत प्रौद्योगिकी रक्षा संस्थान (डीआइएटी) के छात्रों और शोधकर्ताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने यह बात कही। डीआइएटी रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) से जुड़ा डीम्ड विश्वविद्यालय है। राजनाथ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को अनुसंधान और नवाचार के क्षेत्र में आगे ले जाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। सैन्य बलों, उद्योग और शिक्षा जगत के साझे प्रयासों से अनुसंधान और नवाचार के क्षेत्र में प्रगति के लिए रक्षा मंत्रालय ने कुछ कदम उठाए हैं। यह काम सिर्फ आपसी समझदारी और जानकारी के आदान-प्रदान से हो सकता है।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि नई प्रतिभाओं को आकर्षित करने के लिए रक्षा मंत्रालय ने आइ-डेक्स नाम से एक प्लेटफार्म बनाया है। उन्होंने कहा कि आइ-डेक्स के लिए केंद्र सरकार ने 1,000 करोड़ रुपये का आवंटन किया है। इसके अलावा एयरोस्पेस और रक्षा क्षेत्र में अनुसंधान और नवाचार के लिए 500 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। अपनी हालिया नागपुर यात्रा का जिक्र करते हुए उन्होंने निजी कंपनी द्वारा सेना को पांच महीने में एक लाख हैंड ग्रेनेड दिए जाने का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि कंपनी ने इसी तरह के ग्रेनेड का ऊंची कीमतों में इंडोनेशिया को निर्यात भी किया है। राजनाथ ने कहा कि प्रत्येक हैंड ग्रेनेड की कीमत 3,400 रुपये थी और कंपनी ने इंडोनेशिया को इसका निर्यात 7,000 रुपये से ज्यादा में किया। मेरे कहने का आशय यह है कि यदि हम तकनीक के क्षेत्र में उन्नति हासिल करते हैं तो भारत महाशक्ति बन सकता है। इतना ही नहीं हम आर्थिक महाशक्ति भी बन सकते हैं।

गौरतलब है कि जोधपुर की रक्षा प्रयोगशाला व अनुसंधान संगठन डीआरडीओ ने देश के विमानों को सुरक्षित करने की चैफ टेक्नीक को ना सिर्फ डेवलप किया, बल्कि प्रोडक्शन का जिम्मा भी संभाला है। अब भारत इस टेक्नोलाजी के लिए विदेशी कंपनी पर निर्भर नहीं है। जोधपुर की रक्षा प्रयोग में देश की वायुसेना की वार्षिक एक लाख कार्टिज की खपत को पूरा करने के लिए चेफ प्रोडक्शन प्लांट लगा दिया है। डीआरडीओ के डायरेक्टर रविन्द्र कुमार ने बताया कि यहां नेवी की चेफ डिमांड का प्रोडक्शन भी किया जाएगा। पहले इस प्रोडक्ट के लिए अरबों डालर देकर विदेशों से खरीदा जाता था। कुल मिलाकर अब यह जोधपुर में ही तैयार होगा। इससे भारत की मुद्रा विदेश जाने से बचेगी। यह रक्षा क्षेत्र में भारत के आत्मनिर्भरता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।

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