देश को खुले में शौच से मुक्त कराने को धर्मगुरुओं ने कसी कमर

World Toilet Summit. सभी धर्मों के धर्मगुरुओं ने भी देश को खुले में शौच की समस्या से मुक्त कराने के लिए साथ आने का संकल्प लिया।

By Sachin MishraEdited By: Publish:Tue, 20 Nov 2018 05:28 PM (IST) Updated:Tue, 20 Nov 2018 05:28 PM (IST)
देश को खुले में शौच से मुक्त कराने को धर्मगुरुओं ने कसी कमर
देश को खुले में शौच से मुक्त कराने को धर्मगुरुओं ने कसी कमर

मुंबई, राज्य ब्यूरो। वर्ल्ड टॉयलेट समिट के दूसरे दिन लगभग सभी धर्मों के धर्मगुरुओं ने भी देश को खुले में शौच की समस्या से मुक्त कराने के लिए साथ आने का संकल्प लिया। जागरण समूह की सहभागिता में यह समिट मुंबई में वर्ल्ड टॉयलेट डे (विश्व शौचालय दिवस-19 नवंबर) के अवसर पर आयोजित किया गया था।

मंगलवार को हिंदू, मुस्लिम, बौद्ध धर्मों के जानेमाने धर्मगुरुओं ने एक मंच पर हाथ से हाथ जोड़कर संकल्प लिया कि दुनिया के खुले में शौच की समस्या से मुक्त कराने के लिए भले ही सन् 2030 की समय सीमा निर्धारित की गई हो, लेकिन इसकी शुरुआत आज से ही करनी होगी। और इसके लिए सबको मिलकर प्रयास करने होंगे।

ऋषिकेश स्थित परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष एवं ग्लोबल इंटरफेथ वाश एलाएंस के संस्थापक स्वामी चिदानंद सरस्वती हम सब साथ आकर इस समस्या का समाधान आसानी से कर सकते हैं। स्वामी चिदानंद के अनुसार देश के हित में इस लक्ष्य में सभी धर्मों-मतों के धर्मगुरु एक साथ आने को तैयार हैं। उनके अनुसार फरवरी में किसी समय इस्लाम के एक प्रमुख केंद्र देवबंद में 10 लाख मुस्लिम इकट्ठा होकर देशहित के मुद्दों पर एकस्वर से बोलेंगे। फरवरी में ही 1000 मदरसों में मदरसों और गुरुकल के विद्यार्थी साथ मिलकर बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण भी करेंगे। स्वामी चिदानंद के अनुसार ऐसा करके हम वसुधैव कुटुंबकम् का संदेश पूरी दुनिया को दे पाएंगे।

इस अवसर पर मुस्लिम धर्मगुरु एवं जमीयत उलमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना महमूद मदनी ने स्वामी चिदानंद सरस्वती के वक्तव्यों से सहमति जताते हुए कहा कि सरकार नीति बना सकती है, हमें रास्ता दिखा सकती है। लेकिन परिवर्तन तो हम लोगों को ही करना होगा। इसके लिए जनता को अपनी मानसिकता बदलनी होगी। एक बार लोग जागरूक हो जाएं, तो उन्हें पानी बचाने एवं स्वच्छता रखने में ही मजा आने लगेगा। लद्दाख से आए महाबोधि इंटरनेशनल मेडीटेशन सेंटर के अध्यक्ष भिक्षु संघसेना ने स्वच्छता के मुद्दे पर अब तक बरती गई चुप्पी पर सवाल उठाते हुए कहा कि चांद पर जाने से पहले हमें ऐसी प्राथमिक समस्याओं को सुलझाने की जरूरत है।

शौचालय इतनी जरूरी चीज है कि इसके बगैर पूजा-पाठ में भी ध्यान नहीं लग सकता। परमार्थ निकेतन आश्रम की प्रतिनिधि स्वामिनी आदित्यनंदा सरस्वती ने दुनिया में बढ़ते जलसंकट की ओर इशारा करते हुए चेताया कि अगले 12 वर्षों में उत्तरभारत के ज्यादातर क्षेत्रों में पेयजल संकट भीषण रूप ले लेगा। इसके लिए अभी से सोचने और तैयार रहने की जरूरत है।

नदियों में मूर्ति विसर्जन भी रुके

नदियों की स्वच्छता के लिए अनेक संगठनों को साथ लाने का प्रयास कर रहे स्वामी चिदानंद सरस्वती ने एक सवाल का जवाब देते हुए नदियों में बड़ी-बड़ी मूर्तियों के विसर्जन पर भी नाखुशी जताई। उन्होंने कहा कि धर्म हमेशा प्रगतिगामी होना चाहिए। यह आस्था का सर्जन नहीं, आस्था का विसर्जन है। यात्रा सर्जन से होनी चाहिए, न कि विसर्जन से। इस मुद्दे पर अदालत की शरण में जाने की तैयारी कर रहे स्वामी चिदानंद ने कहा कि हम लोग कुछ ऐसा बनाएं कि आनेवाली पीढ़ियां हमें गाली न दें। अब समय आ गया है कि हम अपनी नदियों को और प्रदूषित न करें। मूर्तियां बनाएं, लेकिन ऐसी, जो पर्यावरण के अनुकूल हों।

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