प्रसिद्ध इतिहासकार और पद्म विभूषण से सम्मानित बाबासाहेब पुरंदरे का पुणे में राजकीय सम्‍मान से हुआ अंतिम संस्‍कार

Babasaheb Purandare passes away प्रसिद्ध इतिहासकार और लेखक बाबासाहेब पुरंदरे का राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया। वह 99 वर्ष के थे और बीते कुछ समय से निमोनिया से ग्रसित थे। आज सुबह 5 बजे पुणे के दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल में उनका निधन हो गया था।

By Babita KashyapEdited By: Publish:Mon, 15 Nov 2021 10:13 AM (IST) Updated:Mon, 15 Nov 2021 01:08 PM (IST)
प्रसिद्ध इतिहासकार और पद्म विभूषण से सम्मानित बाबासाहेब पुरंदरे का पुणे में राजकीय सम्‍मान से हुआ अंतिम संस्‍कार
प्रसिद्ध इतिहासकार और लेखक बाबासाहेब पुरंदरे का निधन

पुणे, एएनआइ। प्रसिद्ध इतिहासकार और लेखक बाबासाहेब पुरंदरे का आज (सोमवार) राजकीय सम्मान के साथ पुणे में अंतिम संस्कार किया गया। बाबासाहेब पुरंदरे का पुणे के दीनानाथ मंगेशकर अस्पताल में आज सुबह 5 बजे निधन हो गया था, वह 99 वर्ष के थे। पुरंदरे निमोनिया से ग्रसित थे और बीते शनिवार से अस्‍पताल में भर्ती थे। उनकी गंभीर हालत को देखते हुए उन्‍हें वेंटीलेटर पर रखा गया था। लेकिन इसके बाद उनकी सेहत में कोई सुधार नहीं दिखा और हालत लगातार बिगड़ती ही चली गई। बाबा पुरंदरे के निधन पर देशभर में उनके चाहने वालों ने शोक व्यक्त किया है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बाबासाहेब के अंतिम संस्कार की घोषणा की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कई अन्य लोगों ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है।

पद्म विभूषण से सम्मानित

बलवंत मोरेश्वर पुरंदरे में जन्मे, बाबासाहेब ने छत्रपति शिवाजी पर कई किताबें लिखीं और अपना जीवन इतिहास और शोध के लिए समर्पित कर दिया। उन्हें 2019 में भारत के दूसरे सबसे बड़े नागरिक पुरस्कार पद्म विभूषण और 2015 में महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्होंने नाटक 'जांता राजा' लिखा और निर्देशित किया, जिसे 200 से अधिक कलाकारों ने प्रस्तुत किया है। इस नाटक का पांच भाषाओं में अनुवाद किया गया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जताया दुख

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया और ट्वीट करते हुए कहा- इस दर्द को वह शब्‍दों में व्‍यक्‍त नहीं कर सकते। पीएम मोदी ने यह भी कहा कि बाबासाहेब अपने व्यापक कार्यों के कारण हमारे बीच हमेशा जीवित रहेंगे। उनके निधन से इतिहास और संस्कृति की दुनिया में एक बड़ा शून्य हो गया है। उनकी किताबों के आने वाली पीढ़ियां छत्रपति शिवाजी महाराज से जुड़ेंगी। उनके कार्यो को हमेशा याद किया जाएगा।

chat bot
आपका साथी