Maratha Reservation: मराठा आरक्षण आंदोलन पर नक्सलियों की नजर, पर्चे बांट की संगठित होने की अपील

महाराष्ट्र में नक्सली मराठा युवकों से नक्सली आंदोलन में शामिल होने एवं उनके तौर-तरीके अपनाने की अपील कर रहे हैं। गढ़चिरोली जिले में पिछले दिनों कुछ पर्चे बांटे गए जिसमें मराठा समाज को पिछड़ा बताते हुए उसे आरक्षण देने की मांग की गई थी।

By Babita KashyapEdited By: Publish:Wed, 16 Jun 2021 11:56 AM (IST) Updated:Wed, 16 Jun 2021 12:04 PM (IST)
Maratha Reservation: मराठा आरक्षण आंदोलन पर नक्सलियों की नजर, पर्चे बांट की संगठित होने की अपील
नक्सली आंदोलन को अब मराठा आरक्षण आंदोलन में संजीवनी दिखाई देने लगी है

मुंबई, ओमप्रकाश तिवारी। महाराष्ट्र में निरंतर कमजोर होते जा रहे नक्सली आंदोलन को अब मराठा आरक्षण आंदोलन में संजीवनी दिखाई देने लगी है। नक्सली मराठा युवकों से नक्सली आंदोलन में शामिल होने एवं उनके तौर-तरीके अपनाने की अपील कर रहे हैं। नक्सली ऐसा करके महाराष्ट्र में एक बार फिर जातीय संघर्ष की भूमिका तैयार करने लगे हैं। 

 गढ़चिरोली में बांटे पर्चे

महाराष्ट्र में नक्सलवाद से सर्वाधिक प्रभावित गढ़चिरोली जिले में पिछले दिनों कुछ पर्चे बांटे गए, जिसमें मराठा समाज को पिछड़ा बताते हुए उसे आरक्षण देने की मांग की गई थी। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के सचिव सह्याद्रि की ओर से लिखे गए इस पर्चे में नक्सलियों ने मराठा समाज से संगठित होने की अपील की है। पर्चे में सभी सत्ताधारियों पर पूंजीपतियों का दलाल होने का आरोप लगाते हुए मराठा समाज की एकता का उपयोग केवल राजनीतिक दांवपेच के लिए करने की बात कही गई है।

कहा गया है कि मराठा समाज का उपयोग केवल वोटबैंक के रूप में किया जा रहा है। इसलिए मराठा समाज को अपने शत्रुओं को पहचानना चाहिए। नक्सलियों की इस अपील ने महाराष्ट्र के राजनीतिक क्षेत्र में भी हलचल पैदा कर दी है। राज्य के गृहमंत्री दिलीप वलसे पाटिल ने मराठा युवकों को चेताते हुए कहा है कि मराठा आंदोलन पर नक्सलियों द्वारा लिखे गए पत्र पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत नहीं है।

व्यवस्था के विरुद्ध चलने वाला आंदोलन

नक्सल आंदोलन व्यवस्था के विरुद्ध चलने वाला आंदोलन है। यदि वह लोगों से अपने आंदोलन में शामिल होने की अपील कर रहे हैं, तो यह देश की व्यवस्था को चुनौती देने जैसा है। लोकतंत्र में सभी समस्याओं का समाधान संविधान के दायरे में रहते हुए, सरकार एवं न्यायालय के जरिए होता है। बता दें कि वलसे पाटिल खुद भी मराठा समुदाय से ही आते हैं। मराठा आंदोलन में सक्रिय रहे विधायक विनायक मेटे का भी मानना है कि यदि माओवादियों को मराठा आरक्षण में घुसने का मौका मिला और मराठा आरक्षण का लाभ नहीं पाने वाले छात्र माओवादियों के जाल में फंसे तो राज्य में अराजकता फैल सकती है।

बता दें कि पिछले कुछ वर्षों से महाराष्ट्र में नक्सलवादी आंदोलन निरंतर कमजोर पड़ता जा रहा है। इससे प्रभावित गढ़चिरोली के घने जंगलों में स्थानीय ग्रामवासी ही नक्सलियों के स्मारक तोड़ते दिखाई दे रहे हैं। ग्रामवासियों से नक्सलियों को मिलने वाली मदद भी अब न के बराबर मिलती है। कभी नक्सलियों को संरक्षण देनेवाले लोग ही अब पुलिस एवं नक्सलविरोधी टाक्स फोर्स को उनके बारे में सूचनाएं देने लगे हैं। यही कारण है कि पिछले कुछ महीनों में पुलिस बलों को नक्सलियों के विरुद्ध बड़ी सफलताएं मिली हैं।

मराठा युवकों पर डोरे डालने की कोशिश

मुठभेड़ों में कई नक्सली मारे गए हैं। कुछ वर्ष पहले हुई भीमा-कोरेगांव की घटना के बाद बड़ी संख्या में शहरी माओवादियों की गिरफ्तारी ने भी नक्सलियों की कमर तोड़ दी है। इससे परेशान नक्सली संगठन अब महाराष्ट्र में आरक्षण की मांग कर रहे मराठा एवं पिछड़े वर्ग के युवकों पर डोरे डालने की कोशिश कर रहे हैं। उनका मानना है कि महाराष्ट्र में संख्या बल एवं राजनीतिक रूप से मजबूत मराठा युवकों के बीच यदि उनकी पैठ मजबूत हुई, तो उनके दम तोड़ते आंदोलन को संजीवनी मिल सकती है। 

chat bot
आपका साथी