Maharashtra: राकांपा प्रमुख शरद पवार के गाल ब्लाडर का हुआ आपरेशन

Maharashtra राकांपा प्रमुख शरद पवार के गाल ब्लाडर का मुंबई के एक निजी अस्पताल में सोमवार को आपरेशन किया गया। महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक ने बताया कि 80 वर्षीय पवार को रविवार को ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Publish:Mon, 12 Apr 2021 07:11 PM (IST) Updated:Mon, 12 Apr 2021 07:11 PM (IST)
Maharashtra: राकांपा प्रमुख शरद पवार के गाल ब्लाडर का हुआ आपरेशन
राकांपा प्रमुख शरद पवार के गाल ब्लाडर का हुआ आपरेशन। फाइल फोटो

मुंबई, एजेंसियां। Maharashtra:  राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार के गाल ब्लाडर का मुंबई के एक निजी अस्पताल में सोमवार को आपरेशन किया गया। महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक ने बताया कि 80 वर्षीय पवार को रविवार को ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। मलिक ने सोमवार को कहा, 'पार्टी अध्यक्ष शरद पवार साहेब के गाल ब्लाडर की डा. बालसारा द्वारा सफलतापूर्वक लैप्रोस्कोपी सर्जरी की गई।' उन्होंने कहा कि राकांपा प्रमुख के स्वास्थ्य की स्थिति स्थिर है और वह अस्पताल में ही हैं। लैप्रोस्कोपी न्यूनतम चीर-फाड़ वाली सर्जिकल प्रक्रिया है। इससे पहले 30 मार्च को राकांपा अध्यक्ष की पित्त की थैली से पथरी निकालने के लिए इंडोस्कोपी कराई गई थी। अस्पताल ने इसके बाद उन्हें सात दिनों तक आराम करने की सलाह दी थी। मलिक ने कहा, 'उनका आपरेशन 15 दिनों बाद होना था। इसी बात को ध्यान में रखते हुए रविवार को उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया और सोमवार सुबह आपरेशन हुआ।'

गौरतलब है कि संसद भवन पर आतंकी हमले के ठीक एक दिन पहले 12 दिसंबर, 2001 को मुंबई के रेसकोर्स में एक भव्य समारोह के बीच शरद पवार ने अपना 61वां जन्मदिन मनाते हुए तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के सामने बड़ी बेबाकी से स्वीकार किया था कि वह भी देश के प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं। इस पद के लिए आवश्यक सारी योग्यताओं के बावजूद अब तक तो वह प्रधानमंत्री नहीं बन सके। लेकिन उन्होंने हार भी नहीं मानी है। देश के अखबारों और समाचार चैनलों में दो दिन से ये खबरें चल रही हैं कि शरद पवार को संप्रग का अध्यक्ष बनाया जा सकता है। हालांकि स्वयं उन्होंने और उनकी पार्टी ने इन शिगूफों का खंडन किया है। लेकिन उन्हीं के लोगों की तरफ से इस बात को हवा भी दी जा रही है। कहा जा रहा है कि यह प्रस्ताव कांग्रेस के ही एक वर्ग की ओर से आया है। यह संभव भी है। क्योंकि कांग्रेस में नेतृत्व विहीनता की स्थिति बहुत पहले से महसूस की जा रही है। संभवतः उस ‘ग्रैंड ओल्ड पार्टी’ में लोग यह महसूस करने लगे हैं कि पार्टी में तो बदलाव हो नहीं सकता, तो संप्रग में ही बदलाव करके विपक्ष को कुछ धार दी जाए।

करीब साल भर पहले महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार शिंदे ने एक बयान में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के कांग्रेस में विलय का प्रस्ताव रखते हुए कहा था कि भले ही कांग्रेस और राकांपा दो अलग-अलग पार्टियां हैं। लेकिन भविष्य में हम दोनों एक-दूसरे के करीब आएंगे, क्योंकि अब शरद पवार भी थक गए हैं, और हम भी थक गए हैं। लेकिन शिंदे के इस बयान का खंडन शरद पवार ने अगले ही दिन यह कहकर कर दिया था कि शिंदे के बारे में तो मैं नहीं जानता। लेकिन मैं नहीं थका हूं। राकांपा एक अलग पार्टी है, और उसका पृथक अस्तित्व कायम रहेगा। और उसी विधानसभा चुनाव में पवार ने अपने कथन को सिद्ध भी कर दिखाया। प्रवर्तन निदेशालय द्वारा उन्हें नोटिस भेजा जाना तब बहुत मजबूत दिख रही भाजपा को ऐसा भारी पड़ा कि ‘मैं पुनः आऊंगा’ का नारा बुलंद करने वाले देवेंद्र फड़णवीस सत्ता से ही बाहर हो गए।

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