Maharashtra: भाजपा के इशारे पर परमबीर सिंह ने अनिल देशमुख को फंसायाः नवाब मलिक
Maharashtra एनसीपी नेता नवाब मलिक ने कहा कि अंटीलिया मामले में परमबीर सिंह ने भाजपा के इशारे पर अनिल देशमुख को फंसाने का काम किया है। चार्जशीट से पता चलता है कि जो व्यक्ति इस मामले की जांच करने वाले साइबर एक्सपर्ट्स को गुमराह करने का काम कर रहा है।
मुंबई, राज्य ब्यूरो। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के राष्ट्रीय प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा कि अंटीलिया मामले में मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने भाजपा के इशारे पर तत्कालीन गृहमंत्री अनिल देशमुख को फंसाने का काम किया है। मलिक ने यह बात वीरवार को प्रेस से बात करते हुए कही। नवाब मलिक ने हाल ही में एनआइए द्वारा पेश की गई चार्जशीट का हवाला देते हुए कहा कि इस चार्जशीट से अंटीलिया मामले में सवालिया निशान खड़े हो गए हैं। इस चार्जशीट में मुंबई पुलिस के बर्खास्त एपीआइ सचिन वाझे को मुख्य अभियुक्त बनाया गया है। नवाब मलिक इस चार्जशीट में पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह का नाम न आने पर आश्चर्य जताते हुए कहते हैं कि हम पहले दिन से कहते आ रहे हैं कि परमबीर सिंह ने खुद को बचाने के लिए तत्कालीन गृहमंत्री अनिल देशमुख पर आरोप लगाए।
सचिन वाझे की ओर इशारा करते हुए मलिक कहते हैं कि इस मामले में जो व्यक्ति मुख्य आरोपित है, उसकी नियुक्ति करने का काम तत्कालीन पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने किया। विशेष सेल बनाकर मुंबई शहर के क्राइम ब्रांच की पूरी जिम्मेदारी वाझे को सौंपने का काम भी परमबीर सिंह ने किया। अंटीलिया कांड के बाद उस मामले की जांच भी उसी अधिकारी को सौंपने का काम भी परमबीर सिंह ने किया। जब यह मामला सामने आया तो मंत्री व मुख्यमंत्री को गुमराह करने का काम भी परमबीर सिंह ने ही किया। जब यह मामला बड़ा हो गया तो वाझे के साथ बंद दरवाजे में बैठक करने का काम भी परमबीर सिंह ने ही किया।
मलिक के अनुसार, चार्जशीट से पता चलता है कि जो व्यक्ति इस मामले की जांच करने वाले साइबर एक्सपर्ट्स को गुमराह करने का काम कर रहा है, उसे आरोपित नहीं बनाया जा रहा है। हमें पहले दिन से शंका थी कि इस पूरे षडयंत्र में पुलिस आयुक्त की भूमिका थी। खुद को बचाने के लिए गृहमंत्री पर आरोप लगाने का काम परमबीर सिंह ने भाजपा के इशारे पर किया है। नवाब मलिक द्वारा भाजपा पर लगाए गए इस आरोप का जवाब देते हुए मुंबई के भाजपा नेता आशीष शेलार कहते हैं कि एनआइए अपना काम कर रही है। जो उसके आरोपपत्र पर सवाल उठाना चाहते हैं वे कोर्ट में जा सकते हैं, लेकिन एनआइए के आरोपपत्र को लेकर राजनीति नहीं की जानी चाहिए।