Maharashtra: मुस्लिमों को भारत में डरने की जरूरत नहींः मोहन भागवत

Maharashtra मोहन भागवत के मुताबिक हमारी एकता का आधार हमारी मातृभूमि और गौरवशाली परंपरा है। भारत में रहने वाले हिंदू और मुस्लिमों के पूर्वज समान हैं। इस्लाम आक्रमणकारियों के साथ ही भारत में आया। यही इतिहास है और उसे वैसे ही बताना जरूरी है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Publish:Mon, 06 Sep 2021 09:23 PM (IST) Updated:Mon, 06 Sep 2021 09:23 PM (IST)
Maharashtra: मुस्लिमों को भारत में डरने की जरूरत नहींः मोहन भागवत
मुस्लिमों को भारत में डरने की जरूरत नहींः मोहन भागवत। फाइल फोटो

मुंबई, राज्य ब्यूरो। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सर संघचालक मोहन भागवत ने कहा कि मुस्लिमों को भारत में डरने की जरूरत नहीं है, लेकिन हमें मुस्लिम वर्चस्व की नहीं बल्कि भारत के वर्चस्व की सोच रखनी होगी। देश को आगे बढ़ाने के लिए सबको साथ चलना होगा। भागवत ने यह बात सोमवार को मुंबई में मुस्लिम बुद्धिजीवियों के बीच बोलते हुए कही। मुंबई के एक पांच सितारा होटल में पुणे की एक सामाजिक संस्था ग्लोबल स्ट्रेटेजिक पालिसी फाउंडेशन (जीएसपीएफ) द्वारा ‘राष्ट्र प्रथम-राष्ट्र सर्वोपरि’ विषय पर आयोजित कार्यक्रम में सर संघचालक ने कहा कि मुस्लिम समाज के समझदार नेतृत्व को कट्टरपंथियों की बात का विरोध करना चाहिए। उन्हें कट्टरपंथियों के सामने डटकर खड़े होना पड़ेगा। यह काम अथक प्रयासों व हौसले के साथ करना पड़ेगा। हम सबकी परीक्षा लंबी और कड़ी होगी, लेकिन हम इस कार्य का प्रारंभ जितनी जल्दी करेंगे, उतना हमारे समाज का नुकसान कम होगा।

मोहन भागवत ने कहा कि हमारी एकता का आधार हमारी मातृभूमि और गौरवशाली परंपरा है। भारत में रहने वाले हिंदू और मुस्लिमों के पूर्वज समान हैं। इस्लाम आक्रमणकारियों के साथ ही भारत में आया। यही इतिहास है, और उसे वैसे ही बताना जरूरी है। मोहन भागवत के अनुसार, हिंदू शब्द मातृभूमि, हमारे पूर्वज व भारतीय संस्कृति की विरासत का परिचायक है। इसी संदर्भ में हम हर भारतीय नागरिक को हिंदू मानते हैं। हिंदू किसी से दुश्मनी नहीं रखता। वह हमेशा सभी की भलाई पर जोर देता रहा है। इसलिए दूसरे के मत का यहां अनादर नहीं होगा। भागवत कहते हैं कि भारत वैश्विक महाशक्ति बनेगा, लेकिन किसी को डराने के लिए नहीं। वह विश्वगुरु के रूप में महाशक्ति बनेगा। उन्होंने कहा कि हिंदू हमेशा सभी की उन्नति के बारे में सोचता रहा है। जो भी इस सोच में विश्वास रखता है, उसका धर्म कोई भी हो, वह हिंदू है। सर संघचालक के अनुसार, यही बात दूसरे शब्दों में ‘राष्ट्र प्रथम’ (नेशन फस्ट) के रूप में कही जाती है। जो लोग राष्ट्र को तोड़ने की बात करते हैं, वे यह कहने की कोशिश करते हैं कि हम एक नहीं हैं, हम भिन्न हैं। भागवत ने कहा कि हम एक राष्ट्र हैं। हमें एक राष्ट्र के रूप में संगठित रहना है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी यही सोच रखता है, और हम आपको यही बताने आए हैं।

कार्यक्रम में केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ल कश्मीर केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सैयद अता हुसैन सहित कई मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने भाग लिया। सैयद अता हुसैन ने अफगानिस्तान के घटनाक्रम का उल्लेख करते हुए दुनिया की बदलती भौगोलिक-राजनीतिक परिस्थितियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि बदलते समय में पाकिस्तान द्वारा भारतीय मुस्लिमों को लक्ष्य किया जा सकता है। मुस्लिम बुद्धिजीवियों को सतर्क रहकर इस षड्यंत्र को खारिज करना होगा। जबकि आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि दुनिया में जहां भी जितनी विविधता है, वहां उतना ही संपन्न समाज है। भारतीय संस्कृति में किसी को गैर नहीं माना जाता। क्योंकि यहां सब समान हैं।

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