फडणवीस के कार्यकाल में हुई फोन टैपिंग की जांच कराएगी महाराष्ट्र सरकार, गृहमंत्री दिलीप वलसे पाटिल ने विस में दिए आदेश

महाराष्ट्र विधानमंडल के सिर्फ दो दिवसीय मानसून सत्र के दूसरे दिन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने फोन टैपिंग का मुद्दा उठाते हुए कहा कि 2016-17 में विधायकों-सांसदों के फोन टैप किए जाते थे। बता दें कि उस समय राज्य में देवेंद्र फडणवीस की सरकार थी।

By Vijay KumarEdited By: Publish:Tue, 06 Jul 2021 09:54 PM (IST) Updated:Wed, 07 Jul 2021 07:05 AM (IST)
फडणवीस के कार्यकाल में हुई फोन टैपिंग की जांच कराएगी महाराष्ट्र सरकार, गृहमंत्री दिलीप वलसे पाटिल ने विस में दिए आदेश
2016-17 में विधायकों-सांसदों के फोन टैप किए जाते थे। उस समय राज्य में देवेंद्र फडणवीस की सरकार थी

राज्य ब्यूरो, मुंबई। महाराष्ट्र की महाविकास आघाड़ी सरकार पूर्व की भाजपा सरकार के कार्यकाल में हुई प्रमुख व्यक्तियों की फोन टैपिंग मामले की जांच कराएगी। यह आदेश आज गृहमंत्री दिलीप वलसे पाटिल ने महाराष्ट्र विधानसभा में दिए। मंगलवार को महाराष्ट्र विधानमंडल के सिर्फ दो दिवसीय मानसून सत्र के दूसरे दिन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने फोन टैपिंग का मुद्दा उठाते हुए कहा कि 2016-17 में विधायकों-सांसदों के फोन टैप किए जाते थे। बता दें कि उस समय राज्य में देवेंद्र फडणवीस की सरकार थी।

पटोले का आरोप था कि उस दौरान समाज के लिए घातक लोगों के फोन टैप करने के नाम पर सांसदों-विधायकों के फोन टैप किए जाते थे। इसी कड़ी में मेरा नंबर ‘अमजद खान’ के नाम से टैप किया गया। पटोले ने सवाल उठाया कि यह फोन टैपिंग किसके आदेश पर की जाती रही है ? इसका सूत्रधार कौन था ? पटोले इन सवालों के साथ पूरे प्रकरण की जांच कराने की मांग सदन में उठाई। उनके इस प्रश्न पर गृहमंत्री दिलीप वलसे पाटिल ने इस पूरे प्रकरण की जांच के आदेश देते हुए कहा कि फोन टैपिंग एक गंभीर मामला है। इसका आदेश आसानी से नहीं दिया जाना चाहिए। पाटिल के अनुसार वह बुधवार को उच्च अधिकारियों के साथ बैठक कर इस पर चर्चा करेंगे।

बता दें कि राजनीतिक हलकों में यह मामला महाविकास आघाड़ी सरकार के ही कार्यकाल के शुरुआती दिनों में हुई फोन टैपिंग की प्रतिक्रिया के रूप में देखा जा रहा है। उस दौरान महाराष्ट्र पुलिस में इंटेलीजेंस की प्रभारी रहीं आईपीएस रश्मि शुक्ला ने गृह विभाग की अनुमति से कुछ लोगों के फोन टैप किए थे। इस फोन टैपिंग से ही पूर्व गृहमंत्री अनिल देशमुख के ट्रांस्फर-पोस्टिंग मामले में हस्तक्षेप का खुलासा हुआ था।

रश्मि शुक्ला ने यह रिपोर्ट सीधे मुख्यमंत्री को दी थी। लेकिन बाद में यह रिपोर्ट उन्हीं गृहमंत्री के पास जा पहुंची थी, जिनके खिलाफ यह रिपोर्ट तैयार की गई थी। मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने सर्वोच्च न्यायालय में दायर एक याचिका में इस रिपोर्ट का भी जिक्र किया था। बाद में यह रिपोर्ट मुंबई उच्चन्यायालय के सामने भी पेश की गई। अब उच्चन्यायालय के आदेश पर सीबीआई अनिल देशमुख पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच कर रही है। इसी कड़ी में वह रश्मि शुक्ला की रिपोर्ट की भी जांच करना चाहती है। लेकिन महाराष्ट्र सरकार सीबीआई जांच का दायरा बढ़ाने के खिलाफ उच्चन्यायालय में याचिका दायर कर चुकी है।

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