Maharashtra: प्रतिशोध का आरोप लगा जांच से नहीं बच सकते परमबीर सिंह: महाराष्ट्र सरकार

Maharashtra न्यायमूर्ति एसएस शिंदे व एनजे जमादार की खंडपीठ ने परमबीर की याचिका पर सुनवाई करते हुए जब उनके विरुद्ध शुरू की गई दो प्राथमिक जांचों के बारे में जानना चाहा तो सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त लोक अभियोजक जयेश याग्निक ने बताया कि दोनों जांचें चालू हैं।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Publish:Wed, 28 Jul 2021 08:51 PM (IST) Updated:Wed, 28 Jul 2021 10:24 PM (IST)
Maharashtra: प्रतिशोध का आरोप लगा जांच से नहीं बच सकते परमबीर सिंह: महाराष्ट्र सरकार
मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह जांच से नहीं बच सकतेः महाराष्ट्र सरकार फाइल फोटो

राज्य ब्यूरो, मुंबई। महाराष्ट्र सरकार ने बुधवार को मुंबई उच्च न्यायालय में कहा कि मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह यह कहकर अपने ऊपर लगे आरोपों की जांच से नहीं बच सकते कि उनके विरुद्ध बदले की भावना से कार्रवाई की जा रही है। राज्य सरकार के वकील ने यह बात परमबीर सिंह द्वारा दायर उस याचिका पर सुनवाई के दौरान कही, जिसमें सिंह ने हाल ही में अपने विरुद्ध दर्ज दो आपराधिक मामलो को चुनौती दी है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने इस बात पर अपना फैसला सुरक्षित रखा है कि परमबीर सिंह की याचिका सुनवाई की जानी है या नहीं। न्यायमूर्ति एसएस शिंदे व एनजे जमादार की खंडपीठ ने परमबीर की याचिका पर सुनवाई करते हुए जब उनके विरुद्ध शुरू की गई दो प्राथमिक जांचों के बारे में जानना चाहा तो सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त लोक अभियोजक जयेश याग्निक ने बताया कि दोनों जांचें अभी भी चालू हैं।

इस दौरान राज्य सरकार की ओर से ही पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता डेरियस खंबाटा ने उच्च न्यायालय द्वारा सिंह की याचिका सुने जाने पर ही सवाल खड़े कर दिए। उन्होंने कहा कि यह मामला एक अधिकारी सेवा से संबंधित है। इसकी सुनवाई सिर्फ प्रशासनिक ट्रिब्यूनल में ही हो सकती है। खंबाटा ने परमबीर सिंह के इस तर्क को भी बोगस करार दिया कि उनके खिलाफ बदले की भावना के तहत कार्रवाई की जा रही है। खंबाटा ने कहा कि सिर्फ इसलिए कि आपने अनिल देशमुख के विरुद्ध कुछ आरोप लगा दिए हैं, आप अपने विरुद्ध लगे आरोपों से बच नहीं सकते। आपके विरुद्ध इंस्पेक्टर अनूप डांगे ने दो फरवरी, 2021 को शिकायत दर्ज कराई थी। जबकि उस समय तक इस प्रकरण की शुरुआत भी नहीं हुई थी।

उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर के निकट जिलेटिन लदी स्कार्पियो खड़ी करने का मामला 25 फरवरी को सामने आया था। उसके बाद ही इस स्कार्पियो के कथित मालिक मनसुख हिरेन की हत्या हो गई थी। इसके कुछ दिनों बाद ही तत्कालीन मुंबई पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह का तबादला कर दिया गया था। तबादले के बाद जब तत्कालीन गृहमंत्री अनिल देशमुख ने बयान दिया कि परमबीर सिंह को उनकी अक्षमता के कारण हटाया गया है, तब परमबीर सिंह ने मुख्यमंत्री के नाम एक लंबा पत्र लिखकर देशमुख पर 100 करोड़ रुपयों की वसूली करवाने का आरोप लगा दिया था। इस प्रकरण के बाद ही एक ओर देशमुख को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा और उन पर सीबीआइ व प्रवर्तन निदेशालय की जांच चल रही है। दूसरी ओर, परमबीर सिंह के विरुद्ध भी कुछ पुराने मामलों में एफआइआर दर्ज करके जांच शुरू की जा चुकी है। परमबीर सिंह यही जांच रुकवाने के लिए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है।

परमबीर सिंह के वकील महेश जेठमलानी ने कोर्ट को बताया कि उनके मुवक्किल को अभी कोई समन प्राप्त नहीं हुआ है। जेठमलानी ने कहा कि सिंह के विरुद्ध दोनों प्रारंभिक जांचें जल्दबाजी में शुरू की गईं। इससे पता चलता है कि यह कार्रवाई बदले की भावना के तहत की जा रही है। सिंह ने अनिल देशमुख के विरुद्ध भ्रष्टाचार की शिकायत की थी। उनकी इस शिकायत पर कार्रवाई करने के बजाय व्हिसिल ब्लोअर पर ही कार्रवाई शुरू कर दी गई है। जेठमलानी ने आरोप लगाया कि सरकार डीजीपी संजय पांडे के साथ मिलकर देशमुख के विरुद्ध लगाए गए आरोपों को वापस कराने की साजिश रच रही है। जबकि डीजीपी पांडे की ओर से पेश वकील नवरोज सीरवाल ने कहा कि परमबीर की याचिका में डीजीपी पांडे पर लगाए गए आरोप सिर्फ उन्हें साजिशन फंसाने व एक साफ-सुथरी छवि वाले अधिकारी को छवि खराब करने के लिए लगाए गए हैं।

परमबीर के साथ फंसे पांच अधिकारी एलए यूनिट भेजे गए

एक नए घटनाक्रम के तहत राज्य सरकार ने परमबीर सिंह के विरुद्ध दर्ज दो एफआइआर में उनके सहआरोपित पांच अधिकारियों को लोकल आर्म्स यूनिट में भेज दिया गया है। मुंबई के पुलिस आयुक्त हेमंत नगराले ने डीसीपी (डिटेक्शन-1) अकबर पठान, डीसीपी (आर्थिक अपराध शाखा) पराग मनेरे, एसीपी (अपराध) संजय पाटिल, एसीपी सिद्धार्थ शिंदे एवं इंस्पेक्टर आशा कोर्के को लोकल आर्म्स यूनिट में स्थानांतरित कर दिया गया है। नगराले ने अपने आदेश में कहा कि चूंकि इन अधिकारियों के नाम भी एफआइआर में हैं, इसलिए उन्हें वर्तमान पदों पर ही बरकरार रखना उचित नहीं होगा। 

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