पीएम मोदी की मंजूरी मिले तो नहीं होगी Corona Vaccine की कमी, मुख्यमंत्री ठाकरे ने दो विकल्प रखकर जताई उम्मीद

दो विकल्पों में पहला वैक्सीन की तकनीक हस्तांतरित करके। दूसरा सारी सुविधाओं का उपयोग करके किसी कंपनी द्वारा वैक्सीन का उत्पादन करके। स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे बोले देश की इस सबसे पुरानी वैक्सीन उत्पादक संस्था के पास उच्चस्तरीय तकनीक उपलब्ध।

By Vijay KumarEdited By: Publish:Wed, 07 Apr 2021 06:02 PM (IST) Updated:Wed, 07 Apr 2021 06:02 PM (IST)
पीएम मोदी की मंजूरी मिले तो नहीं होगी Corona Vaccine की कमी, मुख्यमंत्री ठाकरे ने दो विकल्प रखकर जताई उम्मीद
कालरा, टिटनेस, डिप्थीरिया, पर्ट्यूसिस के टीके बनते हैं। एंटी रैबीज सीरम एवं एंटी स्नेक वेनम सीरम भी तैयार किए हैं।

 ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई : देश में कोरोनारोधी वैक्सीन की कमी की खबरों के बीच देश की सबसे पुरानी वैक्सीन उत्पादक संस्था हाफकिन इंस्टीट्यूट इस कमी को दूर करने में सहायक हो सकती है। कुछ दिनों पहले ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने यह प्रस्ताव रख चुके हैं कि हाफकिन इंस्टीट्यूट को कोरोनारोधी वैक्सीन बनाने की अनुमति प्रदान की जाए। उद्धव ठाकरे ने प्रधानमंत्री के सामने हाफकिन इंस्टीट्यूट में वैक्सीन उत्पादन के दो विकल्प प्रस्तुत किए थे। पहला, वैक्सीन की तकनीक हस्तांतरित करके। दूसरा, हाफकिन इंस्टीट्यूट की सारी सुविधाओं का उपयोग करते हुए किसी कंपनी द्वारा वैक्सीन का उत्पादन करके। 

दूसरे हिस्सों में भी वैक्सीन की कमी को दूर किया जा सके

राज्य के स्वास्थ्यमंत्री राजेश टोपे का कहना है कि देश की इस सबसे पुरानी वैक्सीन उत्पादक संस्था के पास उच्चस्तरीय तकनीक उपलब्ध है। उसका उपयोग करके देश की वैक्सीन उत्पादन क्षमता को बढ़ाया जाना चाहिए। ताकि महाराष्ट्र के साथ-साथ देश के दूसरे हिस्सों में भी वैक्सीन की कमी को दूर किया जा सके। 

सीएम उद्धव ठाकरे हाफकिन इंस्टीट्यूट का दौरा कर चुके 

बता दें कि महाराष्ट्र इन दिनों कोरोना से सर्वाधिक पीड़ित होने के साथ-साथ कोरोनारोधी टीकाकरण में भी सबसे आगे है। लेकिन यहां वैक्सीन की बेहद कमी भी महसूस की जा रही है। राज्य सरकार का मानना है कि सार्वजनिक क्षेत्र की इस संस्था को कोरोना रोधी वैक्सीन के उत्पादन में सक्रिय करके न केवल राज्य, बल्कि देश की भी भी वैक्सीन जरूरतों को काफी हद तक पूरा किया जा सकता है। यही कारण है कि प्रधानमंत्री से अपील करने के बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे हाफकिन इंस्टीट्यूट का दौरा भी कर चुके हैं।

इंस्टीट्यूट शोध, प्रशिक्षण एवं टेस्टिंग के लिए जाना जाता है

हाफकिन इंस्टीट्यूट की शुरुआत 1899 में डॉ.वाल्दीमर मोर्डीसाई हाफकिन ने की थी। वह यूक्रेन के मूल निवासी वैज्ञानिक थे। इसी संस्थान में उन्होंने कालरा एवं प्लेग के टीके तैयार किए थे। 1896 में मुंबई (तब बॉम्बे) में प्लेग का प्रकोप फैला था। तब उस समय की सरकार ने उन्हें इसकी रोकथाम का उपाय करने को कहा था। हाफकिन इंस्टीट्यूट तभी से संक्रमण से फैलनेवाली तमाम बीमारियों पर शोध, प्रशिक्षण एवं टेस्टिंग के लिए जाना जाता है। 

ओरल वैक्सीन का उत्पादक भी हाफकिन इंस्टीट्यूट ही रहा

निजी क्षेत्र की वैक्सीन निर्माता कंपनियों के अस्तित्व में आने के काफी पहले से मुंबई के परेल इलाके में स्थित यह संस्था देश की टीका जरूरतों को पूरा करती आ रही है। कालरा, टिटनेस, डिप्थीरिया, पर्ट्यूसिस जैसी बीमारियों के टीके यहां बनते रहे हैं। एंटी रैबीज सीरम एवं एंटी स्नेक वेनम सीरम भी इसी संस्थान ने तैयार किए हैं। यहां तक कि पिछले कई वर्षों से देशभर में बच्चों को दी जा रही पोलियो की ओरल वैक्सीन का उत्पादक भी हाफकिन इंस्टीट्यूट ही रहा है। फिलहाल यह संस्था एड्स के संक्रमण पर भी शोध कर रही है।

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