Maharashtra: पुणे में रिश्वत लेने के आरोप में जज गिरफ्तार

Maharashtra एसीबी में पुलिस उपायुक्त सीमा मेहंदले ने बताया कि भ्रष्टाचार निरोधक मामलों की एक विशेष अदालत के समक्ष गुरुवार को अग्रिम जमानत की याचिका खारिज होने के बाद न्यायिक मजिस्ट्रेट (प्रथम श्रेणी) अर्चना जटकर ने आत्मसमर्पण कर दिया है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Publish:Thu, 01 Apr 2021 05:49 PM (IST) Updated:Thu, 01 Apr 2021 05:49 PM (IST)
Maharashtra: पुणे में रिश्वत लेने के आरोप में जज गिरफ्तार
पुणे में रिश्वत लेने के आरोप में जज गिरफ्तार। फाइल फोटो

पुणे, प्रेट्र। Maharashtra: महाराष्ट्र के पुणे जिले में एक स्थानीय अदालत के जज को रिश्वत लेने के आरोप में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने गिरफ्तार कर लिया है। अधिकारियों ने बताया कि पुणे के एसीबी ने इससे पहले एक निलंबित पुलिस कर्मी समेत तीन लोगों को रिश्वतखोरी के आरोप में गिरफ्तार किया था। एसीबी में पुलिस उपायुक्त सीमा मेहंदले ने बताया कि भ्रष्टाचार निरोधक मामलों की एक विशेष अदालत के समक्ष गुरुवार को अग्रिम जमानत की याचिका खारिज होने के बाद न्यायिक मजिस्ट्रेट (प्रथम श्रेणी) अर्चना जटकर ने आत्मसमर्पण कर दिया है। एसीबी के मुताबिक, इनमें से एक आरोपित शुभावरी गायकवाड ने डेयरी का बिजनेस करने वाले एक शिकायतकर्ता से 2.5 लाख रुपये मांगे थे। उनका कहना था कि इससे उनके खिलाफ वडगांव मावल कोर्ट में दर्ज मामले को खत्म करने में मदद मिलेगी। शिकायतकर्ता ने एसीबी से संपर्क साधा और एक शिकायत दर्ज कराई। इसके बाद गायकवाड को रंगे हाथों पकड़ा गया। उन्होंने 13 जनवरी को 50 हजार रुपये की रिश्वत ली थी। एसीपी ने बताया कि जांच के दौरान निलंबित पुलिस इंस्पेक्टर भानुदास जाधव समेत दो और लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया है।

इधर, मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह बांबे हाई कोर्ट में दायर अपनी जनहित याचिका पर बुधवार को खुद ही घिरते नजर आए। उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस ने पूछा कि आपके सामने ही अपराध होता रहा, और आपने एफआइआर क्यों नहीं दर्ज करवाई? फिलहाल सिंह की याचिका पर हाई कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है। सुप्रीम कोर्ट से लौटाए जाने के बाद परमबीर सिंह ने महाराष्ट्र के गृहमंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ बांबे हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। उनके वकील विक्रम ननकानी ने इस याचिका में कहा है कि चूंकि इस मामले में कई बड़े लोग और राज्य सरकार के विभाग शामिल हैं, इसलिए हाई कोर्ट को इस मामले की जांच राज्य के बाहर की सीबीआइ जैसी किसी एजेंसी को सौंपना चाहिए। ननकानी ने इस संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट के कुछ फैसले भी कोर्ट के समक्ष रखे। लेकिन चीफ जस्टिस, दीपंकर दत्ता ने उनसे सीधा सवाल किया कि क्या इस मामले में आपने एफआइआर दर्ज कराई है? बिना एफआइआर के हम किसी भी जांच एजेंसी को जांच का आदेश कैसे दे सकते हैं? 

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