Indian-China Border Update : हिंदी को एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल करता रहा है चीन, योजनाबद्ध तरीके से हिंदी सीख रहे चीनी

इन दिनों लद्दाख सीमा पर चीनी सैनिक लाउडस्पीकर लगाकर भारतीय सैनिकों को हिंदी भाषा में चेतावनी देते सुने जा रहे हैं। चीन हिंदी का इस्तेमाल रणनीतिक हथियार के रूप में पहले भी करता रहा।

By Vijay KumarEdited By: Publish:Sat, 19 Sep 2020 09:25 PM (IST) Updated:Sat, 19 Sep 2020 09:25 PM (IST)
Indian-China Border Update : हिंदी को एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल करता रहा है चीन, योजनाबद्ध तरीके से हिंदी सीख रहे चीनी
Indian-China Border Update : हिंदी को एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल करता रहा है चीन, योजनाबद्ध तरीके से हिंदी सीख रहे चीनी

ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई : इन दिनों लद्दाख सीमा पर चीनी सैनिक लाउडस्पीकर लगाकर भारतीय सैनिकों को हिंदी भाषा में चेतावनी देते सुने जा रहे हैं। यह कोई नई बात नहीं है। चीन भारतीय सीमा पर हमारे सैनिकों को धमकाने एवं भारत के अंदरूनी हिस्सों में जासूसी करने के लिए हिंदी का इस्तेमाल रणनीतिक हथियार के रूप में पहले भी करता रहा है। इसके लिए चीनी सैनिकों को योजनाबद्ध तरीके से हिंदी सिखाई जाती है। 

दुभाषियों का इस्तेमाल धमकाने के लिए करता रहता है

2017 में अरुणाचल प्रदेश के यांग्तसे इलाके में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) स्थित शंकर टिकरी में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के 215 सैनिकों ने भारतीय सीमा में आगे बढ़ने की कोशिश की थी। तब चीनी सेना के चार अधिकारियों की एक दुभाषिए की मदद से भारतीय कमांडिंग ऑफिसर से हुई बातचीत में मामला सुलझा था। चीन इस प्रकार के दुभाषियों का इस्तेमाल भारतीय सैनिकों को धमकाने के लिए करता रहता है। 

चीन की थल सेना में 10 लाख सैनिक हिंदी जानते हैं

‘ये हमारी जमीन है’, ‘पीछे हटो’, ‘खाली करो’ जैसे छिटपुट हिंदी वाक्य तो 1962 के युद्ध में भी चीनी सैनिक बोलते देखे गए थे। इसके लिए चीनी सैनिकों को बाकायदा हिंदी सिखाई जाती है। एक अनुमान के मुताबिक चीन की 23,50,000 की थल सेना में करीब 10 लाख सैनिक हिंदी समझ सकते हैं, और इनमें बहुत सारे हिंदी बोल भी लेते हैं। 

बड़ी संख्या में चीन के लोग भारत आकर हिंदी सीखते हैं

मुंबई विश्वविद्यालय में हिंदी के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर करुणाशंकर उपाध्याय बताते हैं कि फिलहाल चीन के 20 विश्वविद्यालयों में हिंदी पढ़ाई जाती है, और यह संख्या निरंतर बढ़ती भी जा रही है। यही नहीं, वहां के शाओशिंग इंटरनेशनल स्कूल की पूरी श्रृंखला में प्रारंभिक कक्षाओं से ही हिंदी पढ़ाई जाती है। बड़ी संख्या में चीन के लोग भारत आकर भी हिंदी सीखते हैं। 

हर साल बड़ी संख्या में एक साल डिप्लोमा करने आते हैं

वर्धा स्थित महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय के संयुक्त निदेशक कादिर नवाज खान के मुताबिक वहां हर साल बड़ी संख्या में चीन के लोग एक साल का डिप्लोमा करने आते हैं। कुछ तो हिंदी साहित्य में डाक्टरेट भी करते हैं। इनमें लड़कियों की संख्या अधिक होती है। 

दुकानों के बाहर ‘सीता-गीता’ जैसे नामपट भी लगा रखे हैं 

प्रवासी संसार पत्रिका के संपादक राकेश पांडेय बताते हैं कि चीन के एक शहर गोनजाऊ के बाजारों में ज्यादातर व्यापार महिलाएं चलाती हैं। ये महिलाएं भारत से गए लोगों से न सिर्फ हिंदी में बात करती हैं, बल्कि उन्होंने अपनी दुकानों के बाहर ‘सीता-गीता’ जैसे नामपट भी लगा रखे हैं। 

टोरंटो विवि (कनाडा) में 300 चीनी विद्यार्थी हिंदी सीख रहे

प्रोफेसर उपाध्याय के अनुसार टोरंटो विश्वविद्यालय (कनाडा) में 300 चीनी विद्यार्थी हिंदी सीख रहे हैं। वहां के नाइटक्लबों एवं पबों में भारतीय ग्राहकों की उपस्थिति में हिंदी फिल्मों के लोकप्रिय गाने भी बचाए जाते हैं। चीन लोग चीन या भारत में ही नहीं, अन्य देशों में जाकर भी हिंदी सीखते हैं। 

चाइना रेडियो कई बार हिंदी समाचार बुलेटिन पेश करता है

चाइना रेडियो ब्राडकास्ट लि. दिन में कई बार हिंदी में अपने समाचार बुलेटिन पेश करता है। न सिर्फ भारतीय सीमा पर, बल्कि भारत के अंदरूनी हिस्सों में भी धड़ल्ले से हिंदी बोलनेवाले चीनी जासूस बड़ी संख्या में मौजूद बताए जाते हैं। चूंकि इनकी शक्ल-सूरत नेपाल, भूटान या हमारे पूर्वोत्तर के नागरिकों से मिलती-जुलती है, इसलिए इनहें आसानी से पकड़ा भी नहीं जा सकता।

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